Lockdown के 24वें दिन महाराष्ट्र, मप्र में स्थिति गंभीर, देशभर में कुल 457 मौतें
देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर सीबीएसई ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को स्कूल फीस भुगतान तथा शिक्षकों के वेतन के मुद्दे पर ‘संवेदनशीलता एवं समग्रता’ के साथ सभी पक्षकारों के हितों को ध्यान में रख कर विचार करने की सलाह दी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते बृहस्पतिवार शाम से 32 लोगों की मौत होने के साथ अब तक कुल 452 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि संक्रमण के 1,076 नये मामले सामने आने से शुक्रवार को यह आंकड़ा बढ़ कर 13,835 पहुंच गया। मंत्रालय के मुताबिक कोविड-19 के 11,616 मरीज इलाजरत हैं जबकि 1,766 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। वहीं, एक व्यक्ति देश से बाहर चला गया। कुल मामलों में 76 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। बृहस्पतिवार शाम से 32 मौत हुई हैं, जिनमें राजस्थान में आठ, महाराष्ट्र में सात, दिल्ली में छह, मध्य प्रदेश में चार, पश्चिम बंगाल में तीन, गुजरात में दो और तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में एक-एक व्यक्ति की मौत शामिल है। देश में कुल 452 लोगों की मौत में सबसे ज्यादा 194 लोगों की महाराष्ट्र में जान गई है। इसके बाद मध्य प्रदेश में 57, दिल्ली और गुजरात- प्रत्येक में 38, और तेलंगाना में 18 लोगों की मौत हुई है। तमिलनाडु में 15 मौतें हुई हैं जबकि आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश, प्रत्येक में 14 लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा पंजाब और कर्नाटक, प्रत्येक में 14 लोगों की मौतें हुई हैं। राजस्थान में 11 लोगों की मौत हुई है जबकि पश्चिम बंगाल में 10 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार जम्मू-कश्मीर में चार लोगों की मौत हुई है। केरल, हरियाणा में तीन-तीन लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा झारखंड में दो लोगों की मौत हुई है। वहीं मेघालय, बिहार, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में एक-एक मौत हुई हैं। हालांकि, बृहस्पतिवार को विभिन्न राज्यों द्वारा दर्ज आंकड़ों के आधार पर तैयार की गयी तालिका में 457 लोगों की मौत होने की जानकारी दी गई है।
इसे भी पढ़ें: अपने कर्मों की वजह से ही गांधी परिवार पर गहरा रहा है विश्वास का संकट
मंत्रालय द्वारा शाम में अद्यतन किये गये आंकड़ों के मुताबिक देश में संक्रमण की पुष्टि किये गये कुल मामलों में सर्वाधिक संख्या महाराष्ट्र में है जहां अब तक 3,205 मामले सामने आये हैं। वहीं, दिल्ली में 1640, मध्य प्रदेश में 1308 और तमिलनाडु में 1,267 मामले सामने आये हैं। राजस्थान में संक्रमण के मामले बढ़ कर 1131, गुजरात में 1021 और उत्तर प्रदेश में 846 हो गये हैं। तेलंगाना में 743 मामले, आंध्र प्रदेश में 572 और केरल में 395 मामले सामने आये हैं। कर्नाटक में संक्रमण के मामले बढ़ कर 353, जम्मू कश्मीर में 314, पश्चिम बंगाल में 255, हरियाणा में 205 और पंजाब में 186 पहुंच गये हैं। बिहार में 83 मामले जबकि ओडिशा में 60 मामले सामने आये हैं। उत्तराखंड में 37, छत्तीसगढ में 36, हिमाचल प्रदेश और असम में 35-35 मामले सामने आये हैं। झारखंड में 29, चंडीगढ़ में 21 और लद्दाख में 18, जबकि अंडमान निकोबार में अब तक 11 मामले सामने आये हैं। मेघालय में नौ, गोवा और पुडुचेरी में सात-सात, मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो, जबकि मिजोरम और अरूणाचल प्रदेश में एक-एक मामला सामने आया है।
लॉकडाउन के फायदे
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि पिछले एक सप्ताह में 6.2 दिन में देश में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या दोगुनी हुई जबिक देशभर में लॉकडाउन लागू किये जाने से पहले यह दर तीन गुनी थी। स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कोविड-19 की स्थिति पर ताजा जानकारी के बारे में अपनी दैनिक मीडिया ब्रीफिंग में दावा किया कि कोरोना वायरस संक्रमण से सही होने वाले और संक्रमण से मौत की संख्या के अनुपात के मामले में भारत अन्य कई देशों से बेहतर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर भारत में 80 प्रतिशत रोगी सही हो रहे हैं और 20 प्रतिशत मामलों में मौत की बात पता चल रही है तो मानकों के अनुसार भारत इस अनुपात के मामले में अन्य कई देशों से थोड़ा बेहतर कर रहा है।’’ अग्रवाल ने कहा, ‘‘लॉकडाउन के पहले कोरोना वायरस के मामलों के दोगुने होने की दर तीन दिन थी। पिछले सात दिन के मामलों को देखें तो मामलों की संख्या दोगुनी होने की दर 6.2 हो गयी है। 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मामले दोगुने होने की दर राष्ट्रीय औसत से कम है।’’ स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने यह भी कहा कि जांच के कारण मामलों में 40 प्रतिशत की गिरावट भी आ गयी है जिनमें श्वसन संबंधी गंभीर संक्रमण (एसएआरआई) और इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के भी मामले हैं। उन्होंने संवाददाताओं से यह भी कहा कि अब तक कोविड-19 के लिए देशभर में 1,919 विशेष अस्पताल तैयार किये गये हैं जिनमें 1.73 लाख पृथक बिस्तर और 21,800 आईसीयू बैड तैयार किये गये हैं। अग्रवाल ने कहा कि 24 घंटे में भारत में कोरोना वायरस के मामलों में 1,007 का इजाफा हुआ है और 23 मौत के मामले सामने आए हैं। इसके बाद देश में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 13,387 हो गयी है और मरने वालों की संख्या 437 पहुंच गयी है। उन्होंने बताया कि अब तक 1,749 लोग सही हो गए हैं जो कुल रोगियों का 13.06 प्रतिशत हैं। अग्रवाल ने बताया कि चीन से बृहस्पतिवार को पहुंचीं पांच लाख रैपिड एंटीबॉडी जांच किट को राज्यों में उन जिलों के लिए वितरित किया जा रहा है जहां संक्रमण के मामले अत्यधिक हैं।
रिजर्व बैंक की ओर से रियायतें
रिजर्व बैंक ने कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के मद्देनजर राज्यों की मदद करने के लिये अल्पकालिक अर्थोपाय के जरिये 67 हजार करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध कराने की शुक्रवार को घोषणा की। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने वीडियो के माध्यम से सोशल मीडिया पर शुक्रवार को राहत उपायों की दूसरी फेहरिस्त की घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यों के लिये अल्पकालिक अर्थोपाय (वेज एंड मीन्स एडवांसेज) की सीमा 31 मार्च के यानी पिछले वित्त वर्ष की स्तर से 60 प्रतिशत बढ़ा दी गयी है। यह बढ़ी सीमा 30 अप्रैल 2020 तक के लिये उपलब्ध रहेगी।’’ अल्पकालिक अर्थोपाय की सीमा पिछले वित्त वर्ष के स्तर से 60 प्रतिशत बढ़ाने से राज्यों को रिजर्व बैंक से मिलने वाली सस्ती ऋण सुविधा के तहत अब अतिरिक्त 67,028 करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे। इससे राज्यों को बाजार से महंगी दरों पर कर्ज उठाने से बचाव मिलेगा। उल्लेखनीय है कि कई राज्य लगातार शिकायत कर रहे थे कि उन्हें बाजार से ऋण उठाने में काफी ब्याज देना पड़ रहा है। राज्य इस कारण रिजर्व बैंक से ऋण सुविधा की मांग कर रहे थे। इससे पहले रिजर्व बैंक ने सात अप्रैल को राज्यों को ओवरड्राफ्ट सुविधाओं में ढील देने की घोषणा की थी। इसके तहत राज्यों के लिये ओवरड्राफ्ट की सुविधा लेने का समय सात दिन से बढ़ाकर 21 दिन कर दिया गया था। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने आठ अप्रैल को राज्यों को खुले बाजार से 3.20 लाख करोड़ रुपये तक का उधार जुटाने की छूट भी दी थी।
इसे भी पढ़ें: लॉकडाउन से किसानों को राहत देना इस समय की सबसे बड़ी जरूरत
शिक्षा मंत्री की स्कूलों से अपील
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने शुक्रवार को सभी निजी स्कूलों से अपील की कि वे कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन के दौरान सालाना स्कूल फीस वृद्धि और तीन महीने की फीस एक साथ लेने के निर्णय पर पुनर्विचार करें। केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब देश के विभिन्न हिस्सों में अभिभावकों द्वारा बंदी के दौरान कई स्कूलों द्वारा फीस में वृद्धि और तीन महीने के फीस एक साथ देने की मांग पर चिंता व्यक्त की जा रही है। निशंक ने कहा, ''इस वैश्विक आपदा के समय मेरा सभी स्कूलों से निवेदन है कि सालाना स्कूल फीस वृद्धि और तीन महीने की फीस एक साथ नहीं लेने पर सहानुभूति पूर्वक विचार करें।’’ फेसबुक और ट्विटर पर अपने पोस्ट में मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि देश भर से कई अभिभावकों द्वारा उनके संज्ञान में यह बात लाई गई है कि इस संकट के समय में भी कई स्कूल अपनी सालाना फीस में वृद्धि और तीन महीने की वर्तमान फीस एक साथ ले रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: तबलीगी जमात ने जो कुछ किया, उसकी सजा पूरे समुदाय को देना गलत
राशन कार्ड गिरवी रखकर पैसे ले रहे हैं लोग
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में जारी लॉकडाउन के बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने अगले छह महीने तक मुफ्त में राशन बांटने की योजना शुरू किए जाने के बाद पुरुलिया जिले के झालद ब्लॉक में पैसे के बदले कई लोगों द्वारा राश्न कार्ड को गिरवी रखने की घटना सामने आई है। जिला अधिकारियों ने बताया कि मामले की जानकारी मिलते ही उचित कार्रवाई की गई और सभी राशन कार्ड उनके असली मालिकों को लौटाए गए। उन्होंने बताया कि झालदा ब्लॉक-1 के सरजूमातुर इलाके में दिहाड़ी मजदूरों ने पांच से 30 हजार रुपये के बदले में साहूकारों के पास अपने राशन कार्ड गिरवी रखे थे। ऐसा इस इलाके में लंबे समय से किया जा रहा था। 20 से अधिक परिवारों के राशन कार्ड साहूकारों के पास मिले। झालदा के प्रखंड विकास अधिकार (बीडीओ) राजकुमार बिस्वास ने कहा, ''साहूकार और राशन कार्ड गिरवी रखने वाले दिहाड़ी मजदूर दोनों ने कानून का उल्लंघ किया हैं। यह गैरकानूनी है, कोई सरकारी सम्पत्ति कैसे गिरवी रख सकता है? जैसे ही हमें इस मामले का पता चला, हमने कार्ड लेकर उनके असली मालिकों को लौटा दिए ताकि वे राशन ले सके।’’ बिस्वास ने कहा कि साहूकारों ने हमें लिखित में दिया है कि वे ऐसा दोबारा नहीं करेंगे।
मकान मालिकों से 3 महीने तक किराया न लेने को कहा
महाराष्ट्र के आवासीय विभाग ने मकान मालिकों से कहा है कि लॉकडाउन के कारण उपजी स्थिति के चलते वे किराएदारों से कम से कम तीन महीने तक किराया न लें। शुक्रवार को जारी एक परिपत्र में अतिरिक्त मुख्य सचिव (आवासीय विभाग) संजय कुमार ने मकान मालिकों से यह भी कहा कि यदि किराएदार किराया देने में असमर्थ हैं तो उन्हें इस समय घरों से न निकाला जाए। अधिकारी ने कहा कि बंद के कारण बाजार और कारखानों में वित्तीय लेनदेन नहीं हो पा रहा है और इस वजह से लोगों की आय और रोजगार प्रभावित हुआ है। कुमार ने परिपत्र में कहा, “कई लोग कठिन वित्तीय स्थिति से जूझ रहे हैं। बहुत सारे लोग मकान का किराया देने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए कम से कम तीन महीने तक किराया नहीं लेना चाहिए और किराया न देने की स्थिति में किसी किराएदार को निकाला नहीं जाना चाहिए।”
सरपंच ने परिवार के बजाय कर्तव्य को तरजीह दी
तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में एक गांव के सरपंच ने लॉकडाउन के चलते अपने परिवार के बजाय कर्तव्य को तरजीह देते हुए अपनी मां को गांव में प्रवेश करने से रोक कर वापस भेज दिया। संगारेड्डी जिले के गोसाईपल्ली गांव के सरपंच साई गौड़ की मां पिछले महीने लॉकडाउन प्रभावी होने के बाद से एक रिश्तेदार के घर में फंसी हुई थीं, जब वह लौटीं तो सपरंच ने उन्हें गांव में प्रवेश करने से रोककर वापस भेज दिया। गौड़ ने कहा, 'मुझे अपनी मां को वापस जाने के लिये कहकर बहुत दुख हुआ। मैंने गांव वालों की भलाई के लिये ऐसा किया। मैं अच्छी तरह जानता हूं कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।' उन्होंने कहा कि तुलसम्मा (मां) किसी दूसरे गांव में संबंधी के यहां गई थीं और लॉकडाउन लागू होने के बाद से वहीं फंसी हुई थीं। वह सोमवार को गोसाइपल्ली के पास पहुंची लेकिन उन्हें वहीं रोक दिया गया क्योंकि गांववासियों के निर्णय के बाद यहां के सभी प्रवेश और निकास द्वारों को सील किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि गांव के तीन परिवारों में कोविड-19 के संदिग्ध लक्षण दिखाई देने के बाद यह फैसला लिया गया। गौड़ को जब अपनी मां के आने की खबर मिली तो वह उनके पास पहुंचे और लॉकडाउन का हवाला देकर उन्हें वापस रिश्तेदार के घर भेज दिया। उन्होंने मां से कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद वह घर लौटें। मां ने भी हालात को समझते हुए गांव वालों की सराहना की और वापस चली गईं।
इसे भी पढ़ें: कोरोना के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है 'आरोग्य सेतु' एप
छंटनी करने की बजाय वेतन में कटौती करें कंपनियां
कर्नाटक सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), जैव प्रौद्योगिकी (बीटी) और अन्य कंपनियों से शुक्रवार को आग्रह किया कि वे लॉकडाउन के कारण काम न मिलने से कंपनियां बंद करने या छंटनी करने जैसे कदम उठाने की बजाय वेतन में कटौती करने जैसे उपायों पर विचार करें। सरकार ने कहा कि राज्य में आईटी/बीटी कंपनियां 20 अप्रैल से अपने आधे कर्मचारियों के साथ फिर से काम शुरू कर सकती हैं। उप मुख्यमंत्री और आईटी/बीटी विभाग का कार्यभार संभाल रहे सीएन अश्वथ नारायण ने लॉकडाउन से उपजी स्थिति पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उद्योगपतियों से बातचीत की। नारायण ने संवाददाताओं को बताया, “हम अभी 50 प्रतिशत कर्मचारियों को अनुमति दे रहे हैं लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि 50 प्रतिशत कर्मचारी तुरंत काम पर चले जाएंगे। उन्हें ऐसा करने में कुछ हफ्ते लगेंगे। धीरे-धीरे यह प्रतिशत बढ़ेगा और सामान्य होना शुरू हो जाएगा।”
चीन ने तथ्य छिपाने की बात से इनकार किया
चीन ने कोविड-19 महामारी से जुड़े तथ्यों को छिपाने की बात से शुक्रवार को इनकार किया और आरोप लगाया कि अमेरिका यह कहकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है कि कोरोना वायरस वुहान स्थित एक विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला से उत्पन्न हुआ। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब चीन ने कोरोना वायरस के केंद्र वुहान में महामारी से मरनेवालों की संख्या में संशोधन के बाद देश में मृतक संख्या 4,632 बताई है। लिजियान ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘मैं जोर देकर कहना चाहता हूं कि संक्रामक रोग के विवरण की समीक्षा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत एक परंपरा है।’’ आंकड़ों में संशोधन इन आरोपों के बीच आया है कि चीन ने कोरोना वायरस के मामलों और इससे मरनेवालों की संख्या कम बताई है। उन्होंने कहा कि महामारी फैलने के शुरुआती चरण में कुछ रिपोर्ट देरी से मिलीं, कुछ में भूल हुई और कुछ गलत सूचना मिली।
- नीरज कुमार दुबे
अन्य न्यूज़