Lockdown के 22वें दिन Covid-19 से मरने वालों की संख्या 400 पार, कई राज्यों में बढ़े मामले

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पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन सही तरीके से लागू नहीं होने से नाखुश राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि पुलिस और प्रशासन के जो अधिकारी प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। इस पर तीखी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मंगलवार शाम से कोरोना वायरस से 39 मौतें हुई हैं जिससे मृतक संख्या बढ़कर 392 हो गई है। वहीं कोविड-19 से संक्रमण के मामलों में 1118 की वृद्धि हुई है जिससे इसमें मामले बुधवार को बढ़कर 11,933 हो गए। मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 से अभी भी संक्रमित मामलों की संख्या 10,197 है जबकि 1,343 लोगों को ठीक होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है जबकि एक व्यक्ति बाहर चला गया है। कुल मामलों में 76 विदेशी नागरिक शामिल हैं। मंगलवार शाम से 39 व्यक्तियों की मौत हुई हैं। इनमें 18 मौतें महाराष्ट्र से, छह उत्तर प्रदेश से, चार गुजरात से, तीन मध्य प्रदेश से, दिल्ली और कर्नाटक से दो-दो और तेलंगाना, तमिलनाडु, पंजाब और मेघालय से एक-एक मौते होने की सूचना है। कुल 392 मौतों में से, महाराष्ट्र में सबसे अधिक 178 मौतें हुई हैं, इसके बाद मध्य प्रदेश में 53, दिल्ली और गुजरात में 30-30, तेलंगाना में 18 मौतें हुई हैं। पंजाब में 13 मौतें हुई हैं, तमिलनाडु में 12, जबकि उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में 11-11 मौतें हुई हैं। आंध्र प्रदेश में नौ मौतें, पश्चिम बंगाल में सात मौतों हुई हैं। जम्मू-कश्मीर में कोविड-19 से चार लोगों की जान गई है जबकि केरल, हरियाणा और राजस्थान में तीन-तीन लोगों की मौत हुई है। झारखंड में दो मौतें हुई हैं। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मेघालय, बिहार, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में एक-एक मौत हुई है।

हालांकि, विभिन्न राज्यों से बुधवार तक प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई तालिका के अनुसार कोविड-19 के कम से कम 11,946 मामले सामने आये हैं और 405 मौतें हुई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों और विभिन्न राज्यों के आंकड़ों में अंतर है। अधिकारी इसके लिए प्रक्रियात्मक देरी को कारण बता रहे हैं जो इसको लेकर हो रही है कि कौन-सा मामला किस राज्य से जुड़ा है।

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने पर ध्यान

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बढ़ाए गए लॉकडाउन पर गृह मंत्रालय द्वारा जारी समेकित संशोधित दिशा-निर्देश के तहत ढील का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव गोविंद मोहन ने कहा कि बुधवार को घोषित दिशा-निर्देशों में कुछ गतिविधियों पर दी गयी ढील 20 अप्रैल से लागू होगी और ये केवल उन इलाकों के लिए है जिन्हें ‘हॉटस्पॉट’ घोषित नहीं किया गया है। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि लॉकडाउन जब तक लागू है प्रवासी मजदूरों की आवाजाही संभव नहीं है क्योंकि इस अवधि में किसी भी सार्वजनिक परिवहन को परिचालन की अनुमति नहीं दी गयी है। मोहन ने कहा कि गृह मंत्रालय ने श्रमिकों के लिए राहत और आश्रय शिविरों में सुविधाएं बढ़ाने के लिए राज्य आपदा राहत कोष के तहत धन मुहैया कराया है। उन्होंने कहा कि संशोधित दिशा-निर्देशों के तहत जिन गतिविधियों को अनुमति दी गयी है, उनका मकसद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देना है।

सार्वजनिक स्थानों पर थूकना अब अपराध

नियमों की परवाह किये बिना सार्वजनिक स्थानों पर थूकना अब आसान नहीं होगा क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कोविड-19 पर रोक के लिए लागू लॉकडाउन के वास्ते जारी अपने संशोधित दिशानिर्देशों में इस कृत्य को सख्त आपदा प्रबंधन कानून के तहत एक संज्ञेय अपराध बना दिया है। मंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देशों में सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है। विभिन्न शहरों में नगरपालिका कानूनों के तहत सार्वजनिक स्थानों पर थूकना अपराध है, लेकिन देश में लोगों द्वारा इसे शायद ही गंभीरता से लिया जाता है। बृह्न मुंबई महानगरपालिका ने सार्वजनिक स्थान पर थूकते पकड़े गए व्यक्ति के लिए 1,000 रुपये का जुर्माना निर्धारित किया है। इसी तरह के उपाय दिल्ली नगर निगमों और कई अन्य राज्यों में भी हैं। बिहार, झारखंड, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, नागालैंड और असम ने कोविड-19 के प्रकोप के बीच बिना धुंए वाले तंबाकू उत्पादों के उपयोग और सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर रोक के लिए पहले ही आदेश जारी किए हैं। लॉकडाउन तीन मई तक बढ़ाये जाने के मद्देनजर गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए समेकित संशोधित दिशानिर्देशों के तहत आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 (बी) के तहत थूकने को एक जुर्माने के साथ दंडनीय बनाया गया है।

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भड़काऊ पोस्ट पर कार्रवाई

लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के प्रदर्शन के एक दिन बाद महाराष्ट्र में बुधवार को पुलिस ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया और झूठी खबर देने के लिए टीवी के एक पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने नवी मुंबई के एक व्यक्ति को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भ्रामक संदेश पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस का आरोप है कि इन संदेशों के कारण मंगलवार को बांद्रा में रेलवे स्टेशन के पास बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर एकत्र हो गए थे। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पास के नवी मुंबई के निवासी विनय दुबे को एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 21 अप्रैल तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि आरोपी को बुधवार की सुबह गिरफ्तार किया गया। उससे फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उसके पोस्ट को लेकर पूछताछ की गई। अधिकारी ने बताया कि उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया था जिसमें उसने मांग की थी कि महाराष्ट्र सरकार ऐसे प्रवासियों के जाने की व्यवस्था करे, जो कोरोना वायरस महामारी के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए हैं और अपने मूल स्थानों पर वापस जाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि आरोपी ने इस मुद्दे को लेकर ट्वीट भी किया था और धमकी दी थी कि प्रवासी मजदूरों को उनके मूल स्थानों पर ले जाने के लिए अगर 18 अप्रैल तक ट्रेनों की व्यवस्था नहीं की गई तो देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। संबंधित घटनाक्रम में, एक टीवी पत्रकार के खिलाफ उस खबर को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें कहा गया था कि ट्रेन सेवाएं बहाल होंगी। इस कारण से उपनगर बांद्रा में प्रवासी कामगार उमड़ पड़े।

कोविड-19 के टीके पर छह भारतीय कंपनियां कर रहीं काम

देश के एक शीर्ष वैज्ञानिक का कहना है कि कोविड-19 का टीका खोजने के लिए छह भारतीय कंपनियां काम कर रही हैं और वे इस महामारी का तोड़ ढूंढ़ने की वैश्विक दौड़ में शामिल हैं। लगभग 70 तरह के टीकों का परीक्षण हो रहा है और कम से कम तीन टीके मानव परीक्षण के चरण में पहुंच चुके हैं, लेकिन नोवेल कोरोना वायरस का टीका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए 2021 से पहले तैयार होने की संभावना नहीं है। कोरोना वायरस विश्वभर में 19 लाख से अधिक लोगों को बीमार कर चुका है और इनमें से 1,26,000 लोगों की जान ले चुका है। भारतीय वैज्ञानिक भी इस महामारी का कोई सटीक उपचार ढूंढ़ने के वैश्विक प्रयासों में शामिल हैं। ट्रंसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट फरीदाबाद के कार्यकारी निदेशक गगनदीप कांग ने कहा, ‘‘जाइडस कैडिला जहां दो टीकों पर काम कर रही है, वहीं सीरम इंस्टिट्यूट, बॉयलॉजिकल ई, भारत बायोटेक, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स और मिनवैक्स एक-एक टीके पर काम कर रही हैं।’’ कांग ‘कोअलिशन फॉर एपिडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनोवेशंस (सीईपीआई)’ के उपाध्यक्ष भी हैं जिसने एक हालिया अध्ययन में उल्लेख किया कि ‘‘कोविड-19 महामारी का तोड़ निकालने के क्रम में वैश्विक टीका अनुसंधान एवं विकास प्रयास स्तर और गति के लिहाज से अभूतपूर्व है।’’ विशेषज्ञों का कहना है कि लेकिन यह एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें परीक्षण के कई चरण और अनेक चुनौतियां हैं। टीके का परीक्षण पहले जानवरों, प्रयोगशालाओं और फिर मानव पर विभिन्न चरणों में होता है।

समुद्र में नहाने को लेकर 17 विदेशी पर्यटकों पर मामला दर्ज

केरल में लॉकडाउन (बंद) के दौरान कथित तौर पर कोवलम तट पर समुद्र में नहाने को लेकर 17 विदेशी पर्यटकों के खिलाफ पुलिस ने कोविड-19 लॉकडाउन अधिनियम के उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार विदेशी पर्यटक लॉकडाउन के कारण 22 मार्च से जिन पांच होटलों में रुके हुए हैं उनके मालिकों और प्रबंधकों के खिलाफ भी मामले दर्ज किए गए हैं। ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस सहित विभिन्न देशों से आए इन पर्यटकों ने इस तरह की गतिविधियों पर प्रतिबंध होने के आदेश के बावजूद मंगलवार को समुद्र में स्नान किया। उनके खिलाफ केरल महामारी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 188 और 269 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।

भारत से पैरासिटामोल की पहली खेप पहुंची

भारत द्वारा ब्रिटेन को भेजी गई दवा पैरासिटामोल के 28 लाख पैकेट की पहली खेप यहां पहुंचने पर ब्रिटिश सरकार ने दोनों देशों के संबंधों की सराहना की। अब यह दवा कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए पूरे देश के सुपरमार्केट और खुदरा दवा दुकानों तक पहुंचाई जाएगी। उल्लेखनीय है कि पैरासिटामोल के 28 लाख पैकेट की यह खेप भारत द्वारा आवश्यक दवाओं के निर्यात में ढील देने के बाद यहां पहुंची है। व्यापार मंत्री लिज ट्रस की ओर से मंगलवार को जारी बयान में कहा गया, ‘‘इसका अभिप्राय है कि पैरासिटामोल के करीब तीस लाख और पैकेट ब्रिटेन की दवा दुकानों में उपलब्ध होंगे।’’ उन्होंने कहा, ''दशकों में कोरोना वायरस ऐसा सबसे बड़ा खतरा है जिसका सामना हम कर रहे हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि हम वैश्विक कारोबार जारी रखने और आपूर्ति मार्ग खुला रखने के लिए मिलकर काम करें। मैं भारत और ब्रिटेन के उन अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहती हूं जिन्होंने इस समझौते पर काम किया और मैं भविष्य में भारत एवं अन्य देशों के साथ मिलकर कोविड-19 की हार सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहती हूं।’’

रेलवे को 1,490 करोड़ रुपये की राशि वापस करनी होगी

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाये गये राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से पहले यात्रियों द्वारा बुक कराई गई 94 लाख टिकटों के रद्द होने पर भारतीय रेलवे को राजस्व में 1,490 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। रेलवे के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि 22 मार्च से 14 अप्रैल के बीच यात्रा के लिए बुक कराई गई 55 लाख टिकटों के लिए 830 करोड़ रुपये की राशि वापस की जाएगी। रेलवे ने 21 दिन के लॉकडाउन लागू होने से तीन दिन पहले 22 मार्च को अपनी यात्री ट्रेन सेवाओं को व्यापक पैमाने पर स्थगित कर दिया था। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन को 15 अप्रैल से बढ़ाकर तीन मई तक किए जाने के निर्णय के कारण बुक कराए गए 39 लाख टिकटों के लिए 660 करोड़ रुपये की राशि वापस की जायेगी। भारत में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक 21 दिन का लॉकडाउन लगाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लॉकडाउन तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा की थी। रेलवे ने 15 अप्रैल से यात्रा के लिए बुकिंग की व्यवस्था बंद नहीं की थी। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “लगभग 660 करोड़ रुपये वापस किए जाएंगे। 15 अप्रैल से तीन मई के बीच यात्रा के लिए 39 लाख बुकिंग की गई थी।” भारतीय रेलवे ने कहा है कि लॉकडाउन की बढ़ी हुई अवधि के दौरान यात्रा के लिए बुक कराए गए टिकटों के पूरे पैसे वापस किए जाएंगे। रेलवे ने कहा कि वापस की गई राशि ऑनलाइन बुकिंग कराने वाले यात्रियों के खाते में सीधे भेज दी जाएगी जबकि आरक्षण काउंटर पर टिकट बुक कराने वाले लोग 31 जुलाई तक पैसे वापस ले सकते हैं। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद भारतीय रेलवे ने अपने सभी यात्री सेवाओं को स्थगित किये जाने की अवधि को लॉकडाउन की समाप्ति तक बढ़ा दिया है। रेलवे ने कहा कि अगले आदेशों तक ई-टिकट समेत किसी भी टिकट की अग्रिम बुकिंग नहीं की जाएगी। हालांकि सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि रेलवे ने टिकट रद्द करने पर पैसा वापस करते समय ऑनलाइन बुकिंग पर सुविधा शुल्क में कटौती की है। रेलवे ने इस संबंध में स्पष्टीकरण देते हुए एक बयान में कहा, ‘‘जब ट्रेन रद्द हो जाती है, तो यात्री को पूरा किराया वापस कर दिया जाता है। सुविधा शुल्क वापस नहीं किया जाता है जो एक व्यक्ति के लिए नाममात्र होता है।’’

बदल-बदलकर ड्यूटी लगाने के निर्देश

देश में कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में ड्यूटी के दौरान पुलिस कर्मियों के संक्रमित होने का सिलसिला जारी है। इस महामारी के मरीजों की सूची में बुधवार को एक थाने के प्रभारी का नाम भी जुड़ गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) प्रवीण जड़िया ने पुष्टि की कि कोरोना वायरस के नये मरीजों में शहर के पूर्वी क्षेत्र के एक थाने के प्रभारी शामिल हैं। उन्होंने बताया, "थाना प्रभारी के सम्पर्क में आये पुलिस कर्मियों को पृथक वास में भेजा जा रहा है।" अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले जिले के एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) और एक अन्य थाना प्रभारी भी कोविड-19 से संक्रमित पाये गये हैं। इस बीच, पुलिस के एक आला अफसर ने बल के कर्मियों को इस महामारी के खतरे से बचाने के लिये जरूरी निर्देश जारी किये हैं।

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कोविड-19 मेडिकल किट की गुणवत्ता

कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये कम गुणवत्ता वाले मेडिकल उपकरणों के चीन से निर्यात के बारे में बढ़ती शिकायतों के बीच चीन ने बुधवार को सभी देशों को ये सामग्री सरकार द्वारा मंजूरी प्राप्त प्रतिष्ठित चीनी कंपनियों से ही आयात करने को कहा। साथ ही, नकली उत्पाद बनाने में शामिल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी संकल्प लिया है। कोरोना वायरस महामारी से दो महीने से अधिक समय की लड़ाई के बाद चीन में कल-कारखाने फिर से खुल गये हैं। अब चीन अहम मेडिकल सामग्री, खासतौर पर वेंटीलेटर और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का भारत सहित विश्व भर में निर्यात करने के व्यापारिक अवसर का लाभ उठाने में जुट गया है। भारत सहित दुनिया भर से निजी और सरकारी संस्थाएं इन उत्पादों के लिये आर्डर कर रहे हैं। उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में कई देशों के चिंता जताए जाने के बारे में सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन सरकार व्यवस्थित निर्यात को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि विदेशी खरीदार उन कंपनियों से उत्पादों को चुनेंगे जिन्हें अच्छे उत्पाद की विश्वसनीयता के लिये चीनी नियामक से मान्यता प्राप्त है। ’’

यूरोपीय संघ ने पाबंदी से निकलने की योजना पेश की

यूरोपीय संघ (ईयू) ने बुधवार को लॉकडाउन में ढील की वजह से संभावित अफरातफरी के माहौल से बचने के लिए योजना का खुलासा किया। इसके साथ ही उसने सभी 27 सदस्य देशों को आगाह किया कि वे आम जनजीवन को बहाल करने के लिए सतर्कता से कदम उठाएं और उनकी कार्रवाई वैज्ञानिक सलाह पर आधारित होनी चाहिए। ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य और डेनमार्क पहले ही लॉकडाउन के कुछ प्रावधानों को वापस ले चुके हैं जिसके बाद यूरोपीय संघ की कार्यकारी इकाई यूरोपीय आयोग सक्रिय हुआ। यूरोपीय आयोग ने दुनिया के सबसे बड़े कारोबारी समूह में लॉकडाउन से बाहर निकलने में समन्वय करने के लिए रूपरेखा पेश की। उम्मीद है कि लॉकडाउन को खत्म करने में कम से कम कुछ और महीने लगेंगे और बड़े पैमाने पर जांच की जरूरत होगी। यूरोपीय रोग निवारण और नियंत्रण केंद्र के मुताबिक, यूरोप में कोरोना वायरस से 80 हजार लोगों की मौत हुई है जो दुनिया में इस संक्रमण से हुई मौतों का एक तिहाई आंकड़ा है। यूरोपीय आयोग ने कहा कि आने वाले हफ्तों या महीनों में लॉकडाउन से निकलने की राष्ट्रीय रणनीति बना रहे देशों का फैसला वैज्ञानिकों की सलाह पर आधारित होना चाहिए।

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चीन ने ट्रंप की निन्दा की

चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वित्तीय मदद रोकने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर ‘‘गंभीर चिंता’’ व्यक्त करते हुए इसकी निन्दा की और संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के लिए अपना अंशदान बढ़ाने के संकेत दिए। ट्रंप ने मंगलवार को डब्ल्यूएचओ को अमेरिका से मिलने वाली वित्तीय मदद रोकने की घोषणा की और कहा कि घातक कोरोना वायरस के प्रसार से संबंधित जानकारी छिपाने और इससे निपटने के लिए उचित कदम न उठाने को लेकर इस स्वास्थ्य एजेंसी का आकलन किया जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर डब्ल्यूएचओ पर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिकी करदाता डब्ल्यूएचओ को हर साल 40 से 50 करोड़ डॉलर के बीच अंशदान देते हैं, जबकि चीन मुश्किल से चार करोड़ डॉलर या इससे कम देता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘‘चीन डब्ल्यूएचओ की वित्तीय मदद रोकने के अमेरिका के निर्णय पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है।’’

आरोग्य सेतु के उपयोगकर्ताओं की संख्या 5 करोड़ पहुंची

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि सरकार का कोरोना वायरस मरीजों पर नजर रखने के लिये विकसित मोबाइल एप आरोग्य सेतु के उपयोगकर्ताओं की संख्या केवल 13 दिनों में 5 करोड़ पहुंच गयी है। इस लिहाज से यह दुनिया का तीव्रता से लोकप्रिय होने वाला एप बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल को राष्ट्र के नाम संबोधन में लोगों से एप डाउनलोड करने की अपील की थी। कांत ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘टेलीफोन को 5 करोड़ ग्राहक तक पहुंचने में 75 साल लगे, रेडियो को 38 साल, टेलीविजन को 13 साल, इंटरनेट को चार साल, फेसबुक को 19 महीना, पोकेमॉन गो को 19 दिन लगे। कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान के तहत तैयार आरोग्य सेतु के उपयोगकर्ताओं की संख्या केवल 13 दिन में 5 करोड़ पहुंच गयी।’’ आरोग्य सेतु एप लोगों के आसपास या उनके क्षेत्र में कोरोना वायरस मरीज का पता चलने पर उन्हें सूचित करता है।

-नीरज कुमार दुबे

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