ओलंपिक पदक चूकने का मलाल विश्व कप में दूर करने उतरेगी भारतीय महिला हॉकी टीम

indian women's hockey team
ANI

भारतीय महिला टीम ने पिछले साल तोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहकर इतिहास रच दिया था जबकि पुरूष टीम ने 41 साल बाद कांस्य पदक जीता। अब भारतीय महिला टीम एक जुलाई से नीदरलैंड और स्पेन में विश्व कप में खेलेगी।

नयी दिल्ली। ‘‘ओलंपिक में इतने करीब पहुंचकर पदक चूकने का मलाल आज भी हमें कचोटता है और हर पल अहसास दिलाता है कि देश के लिये पदक जीतने का हमारा मिशन अभी अधूरा है और उससे पहले हमें चैन नहीं लेना है लिहाजा विश्व कप में हम एक बार फिर जान लगा देंगे ’’, यह कहना है भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सविता का। भारतीय महिला टीम ने पिछले साल तोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहकर इतिहास रच दिया था जबकि पुरूष टीम ने 41 साल बाद कांस्य पदक जीता। अब भारतीय महिला टीम एक जुलाई से नीदरलैंड और स्पेन में विश्व कप में खेलेगी जबकि उससे पहले एफआईएच प्रो लीग में बेल्जियम, अर्जेंटीना, नीदरलैंड और अमेरिका का सामना करना है।

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तोक्यो ओलंपिक में भारत के बेहतरीन प्रदर्शन के सूत्रधारों में से एक रही गोलकीपर सविता ने को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘तोक्यो में हमारे प्रदर्शन के बाद सभी ने कहा कि हमने दिल जीता लेकिन पदक तो पदक ही होता है और उसे नहीं जीत पाने की कमी कचोटती है। इतने पास आकर पदक चूकने का मलाल हमसे बेहतर कौन समझ सकता है।’’ रियो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता ब्रिटेन से कांस्य पदक का मुकाबला 3 . 4 से हारने के बाद भारतीय महिला टीम के आंसू नहीं थम रहे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर उन्हें ढांढस भी बंधाया। सविता ने उस पल को याद करके कहा ,‘‘प्रधानमंत्री से फोन पर बात करते समय हमारे आंसू नहीं रूक रहे थे और आज भी लगता है कि प्रदर्शन कितना भी अच्छा हो लेकिन पदक तो हमारे पास नहीं है ना।’’ उन्होंने कहा कि टीम एक जुलाई से शुरू हो रहे विश्व कप में इस कमी को पूरा करने का प्रयास करेगी जिसमें भारत को पूल बी में इंग्लैंड, चीन और न्यूजीलैंड के साथ रखा गया है। इससे पहले भारत को बेल्जियम , अर्जेंटीना , नीदरलैंड जैसी टीमों के खिलाफ एफआईएच प्रो लीग में खेलना है। सविता ने कहा ,‘‘ विश्व कप में भी वहीं टीमें हैं जो ओलंपिक में थी।

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ओलंपिक की कमी हम विश्व कप में पूरी करने का प्रयास करेंगे और हमारी नजरें अगले ओलंपिक पर लगी है। हम चौथे स्थान से संतोष नहीं करने वाले हैं, हमें ओलंपिक पदक जीतना ही है।’’ उन्होंने प्रो लीग के बारे में कहा ,‘‘ इस तरह के हार्ड टेस्ट बड़े टूर्नामेंट से पहले जरूरी है। यूरोपीय टीमें तो एक दूसरे के खिलाफ खेलती रहती है लेकिन हमें अभी मौका मिला है और हम इसे जरूर भुनायेंगे।’’ उन्होंने कहा कि ओलंपिक के बाद से भारतीय महिला हॉकी के लिये बहुत कुछ बदला है। लोगों की महिला हॉकी के प्रति सोच और खुद खिलाड़ियों की मानसिकता में बदलाव आया है। उन्होंने कहा ,‘‘निश्चित तौर पर चीजें बदली है और महिला हॉकी को लेकर नजरिया बदला है। लोग हमारे मैचों का इंतजार करते हैं और हमारे प्रदर्शन को सराहना मिलती है। हमारी टीम में भी खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढा है और जीत का जज्बा भी। किसी को अब कम पर संतोष नहीं है।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ हर खिलाड़ी को अपनी भूमिका पता है। कोच यानेके शॉपमैन खुद ओलंपियन रह चुकी है और उन्होंने काफी ऊंचे मानदंड बनाये हैं। वह उसी के हिसाब से खिलाड़ियों से भी मांग करती है और अच्छे प्रदर्शन के लिये लगातार प्रेरित करती है। सकारात्मक रवैया और जीत के तेवरलेकर ही हम उतरने वाले हैं।’’

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भारतीय महिला हॉकी टीम हाल ही में एफआईएच रैंकिंग में कैरियर की सर्वश्रेष्ठ छठी रैंकिंग पर पहुंची और सविता ने कहा कि इससे टीम का मनोबल काफी बढा है। उन्होंने कहा ,‘‘ इससे लगता है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं। हॉकी की वजह से ही हमारी पहचान है और देश का प्यार तथा सम्मान मिला है। हम अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। विश्व कप में किसी टीम को हलके में नहीं लिया जा सकता और हम मैच दर मैच रणनीति पर फोकस करेंगे।’’ तोक्यो ओलंपिक में फिटनेस का स्तर बनाये रखने के लिये भारतीय महिला टीम ने चॉकलेट, मिठाई , मसालेदार खाना छोड़ दिया था और वह सिलसिला आज भी जारी है और सविता का कहना है कि अब यह संयम हॉकी छूटने पर ही छूटेगा। उन्होंने कहा ,‘‘छह महीने पहले कोच ने पार्टी दी थी और केक खाने की छूट दे दी थी लेकिन हमने खुद ही संयम रखा। घर जाते हैं तो एकाध दिन मनपसंद खा लेते हैं जैसे मां के हाथ का खाना लेकिन फिटनेस का पूरा ध्यान रखते हैं।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ शारीरिक के साथ मानसिक तैयारी के लिये भी कई सत्र होते हैं। कोच का जोर दबाव का सामना करने पर रहता है। उनका कहना है कि मैदान पर आपको परिणाम की बजाय सिर्फ गेंद के बारे में सोचना है , उस पर नियंत्रण रखना है। इससे दबाव खुद ब खुद हट जाता है। उनका कहना है कि तकनीक में चूक चलेगी लेकिन प्रयास में कोताही नहीं होनी चाहिये।’’ भारतीय पुरूष टीम के दिग्गज गोलकीपर पी आर श्रीजेश को आदर्श मानने वाली सविता ने कहा ,‘‘ श्रीजेश भैया भी शिविर में हैं और उनका खेल देखकर ही काफी कुछ सीखने को मिलता है। वह मेरे लिये बड़े प्रेरणास्रोत हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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