अपने पंच से भारत के लिए मेडल किया पक्का, लवलीना बोरगोहेन की असम से Tokyo पहुंचने की कहानी
स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने लवलीना की दक्षता का अंदाजा लगातार नौंवी कक्षी में ही उसे परंपरागत करने का बीड़ा उठाया। लवलीना का बॉक्सिंग सफर 2012 से शुरू हो गया।
"घर में हम तीन लड़कियां थीं। सभी लोग ऐसे बोलते थे कि लड़की कुछ नहीं कर सकती। बचपन से मां हमें सिखाती थी कि बड़े होकर कुछ करना होगा। रविवार के दिन पिताजी पेपर में मिठाई पैक करके लाए थे। उस अखबार में मोहम्मद अली के बारे में लिखा था। मोहम्मद अली के बारे में सुनकर ही पहली बार बॉक्सिंग के बारे में मुझे पता चला था।"
टोक्यो ओलंपिक 2020 का आगाज हो चुका है और सभी भारतीय खिलाड़ी भारत को मेडल दिलाने के लिए पहुंचे हैं। भारतीय भारत्तोलक मीराबाई चानू ने सिल्वर मेडल के साथ ओलंपिक 2020 में पदक की रेस में भारत का खाता खोल दिया है। लेकिन भारत के लिए दूसरा मेडल पक्का कर दिया। आज हम आपको लवलीना बोरगोहन के संघर्ष से लेकर अपने पंच के जरिये भारत को मेडल दिलाने की कहानी सुनाएंगे।
असम से टोक्यो तक का सफर
लवलीना बोरगोहेन की कहानी जीती-जागती संघर्ष की कहानी है। असम के गोलाघाट में 2 अक्टूबर 1997 को टिकेन और मामोनी बॉरगोहेन के घर लवलीना का जन्म हुआ। उनके पिता टिकेन एक छोटे व्यापारी थे और 1300 रुपये महीना कमाते थे। लवलीना की दो बड़ी जुड़वां बहनों लिचा और लीमा ने भी राष्ट्रीय स्तर पर किक बॉक्सिंग स्पर्धा में भाग लिया, लेकिन दोनों इसके आगे नहीं बढ़ सकीं। इधर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने लवलीना की दक्षता का अंदाजा लगातार नौंवी कक्षी में ही उसे परंपरागत करने का बीड़ा उठाया। लवलीना का बॉक्सिंग सफर 2012 से शुरू हो गया। पांच साल के भीतर ही वो एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज तक पहुंच गई।
मोहम्मद अली की कहानी सुन बॉक्सिंग के प्रति बढ़ी दिलचस्पी
बचपन के एक किस्से का जिक्र करते हुए लवलीना ने खुद बताया था कि एक बार उनके पिताजी मिठाई लेकर आए थे। लेकिन जिस अखबार में मिठाई लपेटी गई थी, उसमें मोहम्मद अली के बारे में लिखा था। लवलीना उसे पढ़ने लगी और फिर पिता से मोहम्मद अली के बारे में सुनकर उनकी दिलचस्पी बॉक्सिंग के प्रति बढ़ी।
वीडियो का सहारा लेकर किया अभ्यास
असम से ओलंपिक की राह इतनी आसान नहीं थी। विश्व व्यापी मुकाबले में जहां हर कोई जी-तोड़ कोशिश और अभ्यास में लगा था लेकिन इन सब से इतर लवलीना अपनी मां के स्वास्थ्य को लेकर संघर्षर्त थीं। उनकी मां का किडनी ट्रांसफ्लांट होना था। जिसकी वजह से वे बॉक्सिंग से दूर और मां के करीब थीं। मां की सफल सर्जरी के बाद ही लवलीना वापस अभ्यास के लिए गईं। कोरोना की सेंकेंड वेब की वजह से बंद कमरे में ही लवलीना ने वीडियो का सहारा लेकर ट्रेनिंग किया।
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