पहले भारतीय रेसिंग ड्राइवर बनने से लेकर स्टार्टअप शुरू करने तक, दिलचस्प रही है Narayan Karthikeyan की कहानी
कार्तिकेयन भारत के एकमात्र फॉर्म्यूला वन रेसर थे। उन्होंने 2005 में जॉर्डन टीम के साथ ऑस्ट्रेलियन ग्रैंड प्री से अपने फॉर्म्यूला वन करियर की शुरुआत की थी। नारायण के पिता जी.आर. कार्तिकेयन पूर्व भारतीय राष्ट्रीय रैली चैंपियन हैं। इसी वजह से नारायण की कार रेसिंग गेम्स में बचपन से ही दिलचस्पी थी।
फ़ॉर्मूला वन रेसिंग और भारत का नाम जब भी साथ में लेने पर लोगों की जवान पर सबसे पहला नाम नारायण कार्तिकेयन का ही आता है। कार्तिकेयन भारत के एकमात्र फॉर्म्यूला वन रेसर थे। उन्होंने 2005 में जॉर्डन टीम के साथ ऑस्ट्रेलियन ग्रैंड प्री से अपने फॉर्म्यूला वन करियर की शुरुआत की थी। नारायण के पिता जी.आर. कार्तिकेयन पूर्व भारतीय राष्ट्रीय रैली चैंपियन हैं। इसी वजह से नारायण की कार रेसिंग गेम्स में बचपन से ही दिलचस्पी थी। उन्होंने बचपन से ही भारत का प्रथम फार्मूला वन ड्राइवर बनने का सपना देखा हुआ था जो उन्होंने सिर्फ 16 साल की उम्र में पूरा कर लिया।
चेन्नई के पास श्री पेरम्बूर में हुई नारायण की पहली रेस का नाम था ‘फार्मूला मारुति’। उन्होंने इस रेस में न सिर्फ इसमें भाग लिया बल्कि विनर भी रहे। उन्होंने फ्रांस के एल्फ विन्फील्ड रेसिंग स्कूल से ट्रेनिंग ली और 1992 को फार्मूला रिनॉल्ट कार की पायलट एल्फ प्रतियोगिता में सेमी फाइनलिस्ट बने। नारायण के नाम एक दो तीन नहीं कई सारे खिताब हैं। 1993 में नारायण फार्मूला मारुति रेस में भाग लेने भारत आए। उन्होंने ‘फार्मूला वॉक्सहाल जूनियर चैंपियनशिप’ में ब्रिटेन में भी भाग लिया। यूरोपीय रेसिंग में अनुभव के बाद 1994 में ‘फार्मूला फोर्ड जेटी सीरीज’ में फाउंडेशन रेसिंग टीम में नम्बर दो ड्राइवर के रूप में उन्होंने ब्रिटेन में भाग लिया।
उसी साल एस्टोरिल रेस में भी वह जीत गए। वह ‘ब्रिटिश फार्मूला फोर्ड सीरीज’ में यूरोप में चैंपियनशिप जीतने वाले प्रथम भारतीय बने। उसके बाद नारायण कार्तिकेयन ने ‘फार्मूला एशिया चैंपियनशिप’ की ओर रुख किया। 1995 में उन्होंने कार रेस में भाग लिया और अपनी काबिलियत को साबित किया। मलेशिया के शाह आलम में उन्होंने दूसरी रैंक हासिल की। 1996 का पूरा साल उन्होंने फार्मूला वन रेसों में ही बिताया और सभी प्रतियोगिताओं में भाग लिया। फार्मूला एशिया इन्टरनेशनल सीरीज में जीतने वाले वह प्रथम भारतीय ही नहीं प्रथम एशियाई भी थे।
1999 में नारायण ने पांच बार चैंपियनशिप जीती जिसमें से दो बार ब्रांड्स हैच रेस में विजयी रहे। 2010 में उनके अचीवमेंट के लिए भारत सरकार ने पद्म श्री पुरस्कार से भी नवाजा। रेसिंग इंडस्ट्री में अपना बड़े बड़े मुकाम हासिल करने के बाद नारायण ने स्टार्टअप की भी शुरुआती की। अप्रैल 2020 में DriveX नाम से शुरू हुई यह कंपनी टू वीलर्स के लिए सब्सक्रिप्शन और लीज मॉडल पर सस्ती और किफायती मोबिलिटी सलूशन ऑफर कर रही थी।
हालांकि बाद में उनके पास इस टू वीलर को खरीदने की मांग आने लगी। तब कंपनी ने ओनरशिप और सब्सक्रिप्शन दो मॉडल शुरू कर दिए। कंपनी तमाम ब्रैंड्स के प्री-ओन्ड टू वीलर को खरीदने से लेकर रिफर्बिशमेंट उनकी रिटेलिंग का काम करती है। कंपनी के बिजनेस में ग्रोथ ने अच्छे खासे निवेशकों का ध्यान खींचा। शुरू होने के कुछ ही महीने बाद कंपनी में टीवीएस मोटर्स ने 85.41 करोड़ रुपये देकर 48.27 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीद ली। 2021 में कंपनी ने 9 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाया था। जबकि इस वित्त वर्ष इसके 12 करोड़ का रेवेन्यू हासिल करने का अनुमान है।
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