चेतेश्वर पुजारा ने बताया, डे-नाइट मैच में कब होती है बल्लेबाजी करना सबसे मुश्किल
पुजारा ने दूसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद कहा कि दूधिया रोशनी में बल्लेबाजी करना मुश्किल था लेकिन जब हमने दूधिया रोशनी में खेलना शुरू कर दिया तो यह ज्यादा ही चुनौतीपूर्ण था। पहला सत्र बल्लेबाजी के लिये थोड़ा आसान था। लेकिन जब दूधिया रोशनी जलायी गयी तो गेंद थोड़ी ज्यादा स्विंग करनी शुरू हो गयी।
कोलकाता। भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश के खिलाफ पहले दिन-रात्रि मैच के दौरान दूधिया रोशनी में विशेषकर सांझ ढलते हुए गुलाबी गेंद का सामना करना सबसे ज्यादा मुश्किल काम था। पुजारा घरेलू स्तर पर गुलाबी गेंद से दोहरा शतक जड़ चुके हैं और वह दिन-रात्रि टेस्ट में अर्धशतक जड़ने वाले पहले भारतीय बने लेकिन वह शुक्रवार को 55 रन की पारी को बड़े स्कोर में तब्दील नहीं कर सके।
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पुजारा ने दूसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद कहा कि दूधिया रोशनी में बल्लेबाजी करना मुश्किल था लेकिन जब हमने दूधिया रोशनी में खेलना शुरू कर दिया तो यह ज्यादा ही चुनौतीपूर्ण था। पहला सत्र बल्लेबाजी के लिये थोड़ा आसान था। लेकिन जब दूधिया रोशनी जलायी गयी तो गेंद थोड़ी ज्यादा स्विंग करनी शुरू हो गयी। यह दिन का सबसे परीक्षा भरा समय था। धूप की रोशनी में गेंद देखना आसान होता है। उन्होंने कहा कि सांझ का पहर गेंदबाजी करने के लिये सही समय था। गेंद स्विंग कर रही थी और हमने सोचा कि हम जल्दी विकेट चटका सकते हैं। वह सही समय था और ओस भी नहीं थी। चायकाल के बाद ओस गिरनी शुरू हुई।
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पुजारा ने कहा कि गुलाबी गेंद से बल्लेबाजी करने का आदर्श समय पारी के शुरू में था और अंतिम सत्र से अंत में था। उन्होंने कहा कि यह दोनों का मिश्रण था। एक बार ओस गिरने लगी तो यह फिर आसान हो गया। बल्लेबाजी करने के लिये शुरू में कुछ घंटे और शायद अंतिम घंटे आसान थे। कूकाबूरा (दलीप ट्राफी) और एसजी गुलाबी गेंद दोनों से सामना करने वाले पुजारा ने कहा कि गेंद तेजी से बल्ले पर आ रही है जैसे कूकाबूरा की गेंद आती है। लेकिन एसजी गेंद ज्यादा स्विंग होती है। और कूकाबूरा से स्पिनरों को कोई मदद नहीं मिलती लेकिन यहां देखा कि अश्विन और ताईजुल गेंद को स्पिन कर पा रहे थे। स्पिनरों को थेाड़ी मदद मिल रही थी लेकिन यह इतनी नहीं थी जितनी लाल गेंद से मिलती थी।
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