दक्षिण राज्यों में कमल खिलाने की तैयारी ! भाजपा की लचीलेपन वाली रणनीति का सबसे सटीक विश्लेषण

JP Nadda
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भाजपा ने दक्षिण के लिए अपनी रणनीति में लचीलेपन को शामिल किया। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का प्रभाव उत्तर भारत में सबसे ज्यादा है लेकिन दक्षिण की तरफ इसका प्रभाव कम ही दिखाई दे सकता है। ऐसे में भाजपा ने क्षेत्रीय मुद्दों को, क्षेत्रीय हिंदुत्व को आगे बढ़ाने की रणनीति में काम किया।

भाजपा ने दक्षिणी राज्यों में जिस तरह पांव पसारने का प्रयास शुरू किया है उससे वहां राज कर रही राजनीतिक पार्टियों की नींद उड़ गई है। आज की तारीख में हर राजनीतिक दल जानता है कि भाजपा जो लक्ष्य निर्धारित करती है उसे हासिल भी करती है, इसीलिए चाहे वर्षों से सत्ता में जमे हुए परिवारवादी दल हों या फिर द्रविड़ पार्टियां, सभी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार को बाध्य हो रहे हैं। प्रभासाक्षी के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में संपादक नीरज कुमार दुबे के साथ भाजपा की दक्षिण संबंधी रणनीति की समीक्षा की गयी। 

संपादक नीरज कुमार दुबे ने बताया कि भाजपा ने दक्षिण के लिए अपनी रणनीति में लचीलेपन को शामिल किया। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का प्रभाव उत्तर भारत में सबसे ज्यादा है लेकिन दक्षिण की तरफ इसका प्रभाव कम ही दिखाई दे सकता है। ऐसे में भाजपा ने क्षेत्रीय मुद्दों को, क्षेत्रीय हिंदुत्व को आगे बढ़ाने की रणनीति में काम किया। इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि तेलंगाना में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा को संबोधित किया। वहां पर उन्होंने हैदराबाद का नाम नहीं लिया बल्कि भाग्य नगर का जिक्र किया। दरअसल, भाग्य महालक्ष्मी माता के जरिए पार्टी ने जनता को अपने पाले में लाने की कोशिश की। क्योंकि वहां की जनता का वहां के मुद्दों से सीधा जुड़ाव और लगाव है।

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इसी बीच संपादक ने परिवारवाद राजनीति का जिक्र किया और यह स्पष्ट किया कि परिवारवाद की राजनीति का उल्लेख महज कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए नहीं है। बल्कि उन तमाम पार्टियों से है जो परिवारवाद को बढ़ावा देते हैं। जैसे डीएमके, टीआरएस, एआईएडीएमके... हर पार्टियों में कलह है और यह पार्टियां मौजूदा हालातों के बारे में सोचती हैं। जबकि भाजपा दूरगामी सोच के आधार पर काम करती है।

उन्होंने बताया कि हो सकता है कि तमाम पार्टियां और लोग यह सोचे कि भाजपा को सिर्फ चुनाव जीतने से मतलब है लेकिन ऐसा नहीं है। तभी तो पार्टी ने हिमाचल और गुजरात चुनाव के साथ-साथ लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां शुरू कर दीं और उसी दिशा की तरफ आगे बढ़ रही है। दक्षिण की बात की जाए तो हैदराबाद में दो दिनों तक चली भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तेलंगाना में कमल खिलाने को लेकर प्रस्ताव पास किया गया और यह भी माना गया कि हम दक्षिणी राज्यों में कमजोर हैं। ऐसे में पार्टी संगठन को मजबूत करने की दिशा पर आगे बढ़ रही है।

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राजनीतिक समीकरणों की बात की जाए तो भाजपा ने दक्षिण राज्यों से 4 नामी हस्तियों को राज्यसभा भेजा। इसे जरिए पार्टी ने न सिर्फ समीकरण साधने की कोशिश की बल्कि उस वर्ग और समाज के लोगों को संदेश दिया कि उनकी भागीदारी भी देश की उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी उत्तर भारत के लोगों की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी मध्य प्रदेश में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम आवास योजना का जिक्र करते हैं, उनके लाभार्थियों से बातचीत करते हैं तो वो फिर दक्षिण के राज्यों में भी जाकर ऐसा ही करते हैं। इसका सीधा सा मतलब यह है कि दक्षिण हमसे कोई अलग नहीं है और यह योजना हिंदुस्तान के हर राज्यों के लिए बराबर है।

- अनुराग गुप्ता

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