Chai Par Sameeksha: कांग्रेस सरकारों की सस्ती चीजें किसको महँगी पड़ेंगी? क्या 2024 लोकसभा चुनाव भी होंगे Modi Vs Rahul Gandhi
प्रभासाक्षी संपादक ने बताया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री दो महीने से राजनीतिक रूप से प्रचार कर रहे थे कि इस बार का बजट जनता के लिए राहत भरा होगा। यही नहीं एक दिन पहले उन्होंने देश के बड़े समाचार पत्रों में करोड़ों रुपए के विज्ञापन देकर सूचना दी कि जनता का बजट आने वाला है।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क का खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा इस सप्ताह भी बदले स्वरूप में रहा जहां दर्शकों के प्रश्नों के उत्तर दिये गये। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रभासाक्षी संपादक ने बताया कि हमारे दर्शकों ने हमें बड़ी संख्या में प्रश्न भेजे थे, उनमें से अधिकांश प्रश्न लगभग समान थे। हमने सभी प्रश्नों के मर्मों कों मिलाकर दो प्रश्न बनाये जोकि इस प्रकार हैं-
प्रश्न-1. जिस तरह से कांग्रेस की राज्य सरकारें चीजों को सस्ता कर रही हैं क्या उससे जनता का समर्थन वापस कांग्रेस को मिलेगा?
प्रश्न-2. प्रधानमंत्री ने संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान चर्चा का जो जवाब दिया, उससे क्या संकेत मिलते हैं?
प्रश्नों के जवाब देते हुए प्रभासाक्षी संपादक ने बताया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दो महीने से राजनीतिक रूप से प्रचार कर रहे थे कि इस बार का बजट जनता के लिए राहत भरा होगा। यही नहीं एक दिन पहले उन्होंने देश के बड़े समाचार पत्रों में करोड़ों रुपए के विज्ञापन देकर सूचना दी कि जनता का बजट आने वाला है। लेकिन मुख्यमंत्री ने विधानसभा में आठ मिनट तक पिछले साल का बजट भाषण पढ़ दिया। जब इतने महत्वपूर्ण दस्तावेज को विधानसभा में पेश करने से पहले मुख्यमंत्री ने नहीं जांचा तो ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या उनकी घोषणाओं के क्रियान्वयन को जांचने की जहमत कोई उठाता होगा? उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना के तहत जो सस्ते सिलेंडर देने की बात कही गयी है वह छलावा है क्योंकि यह लोक लुभावन घोषणा तब की गयी है जब विधानसभा चुनावों में बहुत कम समय बचा है। उन्होंने कहा कि हमें ध्यान रखना होगा कि वर्तमान सरकार पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के "पापों" को धो रही है क्योंकि उसे ईंधन सब्सिडी का पुनर्भुगतान करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्यसभा में राज्यसभा में बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने बताया है कि संप्रग सरकार ने पेट्रोलियम कंपनियों को तेल की कीमतें नहीं बढ़ाने पर हुए नुकसान के बदले तेल बॉन्ड जारी किए थे। ये बॉन्ड सब्सिडी थे जिनका भुगतान भविष्य की सरकारों द्वारा किया जाना था। कुल मिलाकर, 1.71 लाख करोड़ रुपये मूल्य के तेल बॉन्ड जारी किए गए और इस संबंध में ब्याज सहित 2.34 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है और 1.07 लाख करोड़ रुपये बाकी हैं जिनका अंतिम भुगतान 2025-26 में किया जाना है। प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि गहलोत या कांग्रेस की अन्य सरकारें बजट में जिस सब्सिडी का प्रावधान कर रही हैं उसका खामियाजा कांग्रेस की आने वाली सरकारों को भुगतना पड़ेगा।
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उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान गरीब परिवारों को छह हजार रुपए मासिक देने का वादा किया था लेकिन जनता ने उसे नकार दिया। उन्होंने कहा कि अब देश अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़ना चाहता है और जो नेता जनता को मुफ्तखोर बनाने पर तुले हैं उन्हें आसपास के देशों के आर्थिक हालात से भी सबक लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दो बार उत्पाद करों में कटौती कर पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें कम कीं लेकिन विपक्ष शासित राज्य सरकारों ने वैट के दाम नहीं घटाए। राजस्थान सरकार भी बहुत समय से पेट्रोलियम पदार्थों पर सर्वाधिक वैट ले रही है ऐसे में जनता से उगाहे गये पैसे से अब उसको कुछ राहत देने की घोषणा की गयी है जोकि पूरी तरह छलावा है।
इसके अलावा दूसरे प्रश्न के उत्तर में प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर संसद में धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का तो बखूबी वर्णन किया ही साथ ही विपक्ष पर भी जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के संबोधन ने दर्शाया है कि सरकार को इस बात का विश्वास है कि जनता यह स्वीकार रही है कि उसके हित में निर्णय लिये गये हैं और जब जनता संतुष्ट होती है तो चुनावों में एंटी इनकम्बेंसी जैसी कोई चीज नहीं होती। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का संबोधन सुनने के बाद संभवतः विपक्ष को भी लग रहा होगा कि मोदी से मुकाबला आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि साथ ही प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान जिस तरह कांग्रेस को ही सीधे निशाने पर रखा उससे साबित होता है कि अगला लोकसभा चुनाव भी इन्हीं दोनों पार्टियों के बीच होगा। साथ ही प्रधानमंत्री ने जिस तरह कहा है कि एक अकेला सब पर भारी, वह भी दर्शा रहा है कि अकेले मोदी ही सारे विपक्षी नेताओं का मुकाबला करने की तैयारी एक बार फिर कर चुके हैं।
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