शोधकर्ताओं ने विकसित की बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन गैस उत्पादन की पद्धति
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), इंदौर के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में पानी में मेथनॉल से कम तापमान पर हाइड्रोजन गैस के उत्पादन के लिए रुथेनियम नामक रासायनिक तत्व का उपयोग उत्प्रेरक के रूप में किया गया है।
दुनिया में ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग ने विभिन्न वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दिया है। इस कारण पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा प्रदान करने के तरीकों की खोज महत्वपूर्ण होती जा रही है। ऊर्जा के स्वच्छ स्रोत के रूप में हाइड्रोजन, जीवाश्म ईंधन का एक आशाजनक विकल्प बनकर उभर रहा है। भारतीय शोधकर्ताओं ने मेथनॉल-पानी से हाइड्रोजन गैस उत्पादन की एक ऐसी प्रक्रिया विकसित की है, जो बड़े पैमाने पर किफायती एवं शुद्ध हाइड्रोजन गैस के उत्पादन में मददगार हो सकती है।
इसे भी पढ़ें: भारतीय विज्ञान के विकास में महिला वैज्ञानिकों का योगदान
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), इंदौर के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में पानी में मेथनॉल से कम तापमान पर हाइड्रोजन गैस के उत्पादन के लिए रुथेनियम नामक रासायनिक तत्व का उपयोग उत्प्रेरक के रूप में किया गया है। मेथनॉल को दबाव एवं ऊष्मा के जरिये उत्प्रेरक के साथ परस्पर क्रिया द्वारा हाइड्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित कर दिया जाता है। यह अध्ययन आईआईटी, इंदौर में रसायन विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संजय सिंह की देखरेख में महेंद्र के. अवस्थी और रोहित के. राय की टीम द्वारा मिलकर किया गया है।
यह विधि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में भारत के प्रयासों के अनुरूप है, जहां हाइड्रोजन गैस से संचालित वाहनों में ईंधन के रूप में विशुद्ध हाइड्रोजन गैस का उपयोग किया जा सकता है। विशेष रूप से, बायोमास अपशिष्ट और अन्य स्रोतों से मेथनॉल का उत्पादन किया जा सकता है, और भारत सरकार भी मेथनॉल के उत्पादन को गैसोलीन ब्लेंडर के रूप में उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
आईआईटी, इंदौर के जनसंपर्क अधिकारी सुनील कुमार ने कहा है कि "यह नयी विकसित प्रक्रिया मेथनॉल के उपयोग से हाइड्रोजन उत्पादन का एक स्वच्छ तरीका प्रदान करेगी। इस प्रक्रिया के माध्यम से, शोधकर्ता शुद्ध हाइड्रोजन गैस का उत्पादन करने में सफल रहे हैं। इससे हाइड्रोजन के शुद्धिकरण की लागत काफी कम हो सकती है।"
इसे भी पढ़ें: विश्व की पहली साइंटून आधारित पुस्तक का लोकार्पण
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रक्रिया के उपयोग से 150 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर मेथनॉल से विशुद्ध हाइड्रोजन गैस उत्पन्न की जा सकती है। पारंपरिक रूप से, हाइड्रोजन उत्पादन के लिए 200 डिग्री सेल्सियस के अत्यधिक उच्च तापमान पर मेथनॉल रिफॉर्मिंग की जाती है। मेथनॉल और पानी (भाप) मिश्रण परस्पर प्रतिक्रिया करके शुद्ध हाइड्रोजन गैस और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन करते हैं। शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि कार्ब-धात्विक यौगिक (Organometallic) से मूल रूप से उत्पन्न रुथेनियम नैनो कण अपेक्षाकृत रूप से कम तापमान पर पानी में मेथनॉल से हाइड्रोजन उत्पादन कर सकते हैं। मेथनॉल से हाइड्रोजन उत्पादन की उच्च दर प्राप्त करने के लिए रुथेनियम नैनो कणों को विशेष रूप से तैयार किया जाता है।
आईआईटी, इंदौर के शोधकर्ता पिछले दो वर्षों से इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, शोधकर्ता हाइड्रोजन गैस उत्पादन से जुड़ी अन्य कई परियोजनाओं पर भी काम कर रहे हैं। यह अध्ययन हाल ही में शोध पत्रिका कैटलिसिस साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। डॉ. संजय सिंह ने इस विधि में एक पेटेंट भी दायर किया है। अब, उनकी टीम निजी क्षेत्र के साथ मिलकर औद्योगिक पैमाने पर हाइड्रोजन गैस-उत्पादन की संभावनाएं तलाशने में जुटी है।
(इंडिया साइंस वायर)
अन्य न्यूज़