“टिकाऊ भविष्य के लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण जरूरी”
भारत सरकार ने वर्ष 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में नामित किया था। वर्ष 1928 में इसी दिन सर सी.वी. रामन ने 'रामन प्रभाव' की खोज की घोषणा की थी, जिसके लिए उन्हें वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत सरकार के विभिन्न विज्ञान मंत्रालयों और विभागों को सामान्य विषयों पर संयुक्त परियोजनाएं शुरू करने के लिए कहा है। बुधवार को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी)-2022 की विषयवस्तु "टिकाऊ भविष्य के लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण" की घोषणा करते हुए उन्होंने ये बातें कही हैं।
भारत सरकार ने वर्ष 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में नामित किया था। वर्ष 1928 में इसी दिन सर सी.वी. रामन ने "रामन प्रभाव" की खोज की घोषणा की थी, जिसके लिए उन्हें वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। "रामन प्रभाव" की खोज के सम्मान में हर वर्ष 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में मनाया जाता है।
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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सभी विज्ञान केंद्रित मंत्रालयों और विभागों को परस्पर तालमेल के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस वर्ष एनएसडी की विषयवस्तु का चयन वैज्ञानिक मुद्दों की सार्वजनिक सराहना को शामिल करने के उद्देश्य से किया गया है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण वैज्ञानिक दिवसों का उत्सव एक दिन का आयोजन नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे नियमित आधार पर मनाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर डॉ. शेखर सी. मांडे, सचिव, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) और महानिदेशक, सीएसआईआर, डॉ. राजेश एस. गोखले, सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), डॉ. एस. चंद्रशेखर, सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का न केवल विज्ञान के प्रति एक सहज झुकाव है, बल्कि पिछले 7-8 वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित पहल तथा परियोजनाओं को समर्थन और बढ़ावा देने में भी वह आगे रहे हैं। उन्होंने कहा कि "आत्मनिर्भर भारत" के निर्माण में भारत के वैज्ञानिक कौशल की प्रमुख भूमिका होगी।
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डॉ सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में उनकी योजना केंद्र और राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के विज्ञान मंत्रालयों और विभागों को शामिल करते हुए राष्ट्रीय विज्ञान सम्मेलन आयोजित कराने की है, ताकि विभिन्न समस्याओं और उसके प्रभावी समाधानों पर चर्चा की जा सके। एकीकृत दृष्टिकोण की सफलता का उल्लेख करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा सहित सभी छह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्रित विभागों द्वारा वैज्ञानिक अनुप्रयोगों, तकनीकी सहायता और समाधान के लिए 33 संबंधित मंत्रालयों/विभागों से 168 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़े वैज्ञानिक संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं और स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थानों में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उत्सव कार्यक्रमों में सहयोग, उत्प्रेरण और समन्वयन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। डीएसटी ने 1987 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों की स्थापना की। ये पुरस्कार हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर प्रदान किए जाते हैं। इसी के साथ-साथ, विज्ञान दिवस पर विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा एसईआरबी महिला वैज्ञानिकों को उत्कृष्टता पुरस्कार और लोकप्रिय विज्ञान लेखन के लिए पीएचडी एवं पोस्ट डॉक्टोरल शोधार्थियों को ‘अवसर’ (एडब्ल्यूएसएआर) पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं। डॉ श्रीवरी चंद्रशेखर, सचिव, डीएसटी ने बताया कि देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन किया जाएगा, जो इस वर्ष की विषयवस्तु "टिकाऊ भविष्य के लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण" पर आधारित होगा।
(इंडिया साइंस वायर)
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