मुस्लिमों के सवाल पर निर्मला सीतारमण ने पाकिस्तान पर स्ट्राइक कर दुनिया को बड़ा संदेश दे दिया है
भारत के मुस्लिम जानते हैं कि वह कितने सुखी हैं लेकिन जो लोग विदेशों में मोदी सरकार की मुस्लिम विरोधी छवि बनाने का अभियान चलाते रहते हैं उन्हें कुछ ना कुछ ऐसा चाहिए होता है जिससे वह अपने झूठे दावों को विश्वसनीय बनाकर नफरत के कारोबार को चला सकें।
भाजपा और मोदी सरकार की छवि मुस्लिम विरोधी के रूप में दर्शाने के काफी प्रयास किये जाते हैं लेकिन यह पहली सरकार है जिसने अन्य दलों की तरह मुस्लिमों को सिर्फ वोट बैंक नहीं समझा बल्कि उनके समावेशी विकास के लिए तेजी से कदम उठाये। पहले की सरकारें जहां तुष्टिकरण की राजनीति करती थीं तो वहीं मोदी सरकार ने 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' का नारा देकर अपने कामकाज की शुरुआत की। सभी सरकारी योजनाओं का लाभ हर वर्ग को पूरी पारदर्शिता के साथ मिले इसके लिए पहली बार ईमानदार और पारदर्शी तरीके से कदम उठाये गये। नौ साल पहले देश में मुस्लिम समाज से डॉक्टरों, इंजीनियरों और अन्य बड़े पदों पर काम कर रहे लोगों की संख्या की तुलना आज के आंकड़ों से कर लीजिये आपको साफ पता लग जायेगा कि मुस्लिम समाज से डॉक्टर, इंजीनियर भी बढ़े हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर मुस्लिम युवा उद्यमी भी बने हैं। साथ ही मुस्लिम महिलाओं को पहली बार तीन तलाक के अभिशाप से भी आजादी मिली। भारत के मुस्लिम जानते हैं कि वह कितने सुखी हैं लेकिन जो लोग विदेशों में मोदी सरकार की मुस्लिम विरोधी छवि बनाने का अभियान चलाते रहते हैं उन्हें कुछ ना कुछ ऐसा चाहिए होता है जिससे वह अपने झूठे दावों को विश्वसनीय बनाकर नफरत के कारोबार को चला सकें। लेकिन ऐसे लोगों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने करारा जवाब दिया है।
क्या कहा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने?
हम आपको बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है और अल्पसंख्यकों के मुद्दों को लेकर देश को दोष देने वाले लोगों को ज़मीनी हकीकत के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स’ में अनौपचारिक बातचीत के दौरान सीतारमण ने कहा कि भारत में मुस्लिम जनसंख्या में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि जैसा ज्यादातर लेखों में दावा किया गया है कि मुसलमानों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया गया है, अगर इसमें सच्चाई होती तो क्या 1947 के बाद से मुस्लिम आबादी में इज़ाफा होता..। उन्होंने कहा कि मगर उसी वक्त अस्तित्व में आए पाकिस्तान में स्थितियां इसके उलट हैं। सीतारमण ने कहा कि पाकिस्तान में मुहाजिर (शरणार्थियों), शियाओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा हुई है जबकि भारत में मुस्लिम समुदाय का हर वर्ग अपना काम कर रहा है।
उन्होंने कहा, ''भारत दो भागों में विभाजित हुआ। पाकिस्तान ने खुद को इस्लामी देश घोषित किया, लेकिन कहा कि अल्पसंख्यकों की रक्षा की जाएगी। परन्तु पाकिस्तान में हर अल्पसंख्यक समूह की संख्या कम होती रही है। कुछ मुस्लिम फिरके के लोगों की भी संख्या कम हुई है।” केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि यह धारणा केवल एक भ्रम है कि पूरे भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा हो रही है। वित्त मंत्री ने कहा, ''ऐसा नहीं हो सकता है। हर प्रांत और उसकी पुलिस अलग है। उनका संचालन उन सूबों की चुनी हुई सरकारें करती हैं। लिहाज़ा यह अपने आप बताता है कि कैसे इन खबरों को लिखने वालों को भारत में कानून और व्यवस्था की प्रणाली की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, ''इसके लिए भारत सरकार को जिम्मेदार ठहराएंगे तो मैं कहना चाहूंगी कि 2014 से आज के बीच, क्या आबादी घटी है, क्या किसी समुदाय विशेष पर कर्ज बहुत ज्यादा है।” सीतारमण ने कहा, ''जो लोग इस तरह की खबरें लिखते हैं, मैं उन्हें भारत आने के लिए आमंत्रित करती हूं। मैं उनकी मेजबानी करूँगी। वे भारत आएं और अपनी बात साबित करें।’’
आरएसएस को भी बनाया जा रहा है निशाना
सिर्फ भाजपा को ही मुस्लिम विरोधी बताया जाता हो ऐसा नहीं है। आरएसएस पर भी झूठे आरोपों के सहारे लगातार वार किया जाता है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से लगातार मुलाकातें क्या शुरू कीं, संघ के विरोधियों के कान खड़े हो गये। संघ विरोधियों ने ऐसा नेटवर्क तैयार कर लिया है जोकि पहले किसी झूठी खबर को फैलाता है फिर उस नेटवर्क के सदस्य सोशल मीडिया पर उस झूठी खबर के आधार पर विमर्श गढ़ते हैं और उसके आधार पर संघ के खिलाफ बातें आम जन तक पहुँचायी जाती हैं। ऐसा ही एक वाकया हाल में तब सामने आया जब एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। यह पत्र कथित तौर पर आरएसएस के लैटर हेड पर लिखा गया था जिसमें हिंदू लड़कों से मुस्लिम लड़कियों का धर्मांतरण कराने और उनके जीवन को एक तरह से बर्बाद करने का आह्वान किया गया था। यह पत्र जैसे ही सामने आया आरएसएस विरोधी नेटवर्क सक्रिय हो गया और सोशल मीडिया पोस्टों के माध्यम से भ्रम फैलाया जाने लगा लेकिन संघ ने इस पत्र को तत्काल खारिज कर दिया। वैसे देखा जाये तो आरएसएस के विरोध में यह कोई पहली साजिश नहीं थी। समय-समय पर इस तरह के दुष्प्रचार फैलाये जाते हैं और अक्सर संघ प्रमुख मोहन भागवत के संबोधनों में कही गयी बातों को तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया जाता है। लेकिन मुस्लिम समाज भी इस तरह के दुष्प्रचार के षड्यंत्रों से वाकिफ है और वह जानता है कि जब भी जरूरत पड़ी है तब संघ ने हर संभव मदद दी है।
मुस्लिमों का बदल रहा है मन
देखा जाये तो देशभर में अब संघ और भाजपा के प्रति मुस्लिम समाज की धारणा में बड़ा बदलाव दिखाई दे रहा है। हाल ही में राष्ट्रीय हज समिति के अध्यक्ष एपी अब्दुल्लाकुट्टी ने आरोप लगाया था कि सारे देश में दुष्प्रचार किया जा रहा है कि भाजपा मुस्लिमों के खिलाफ है जो बिल्कुल गलत है। अब्दुल्लाकुट्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास’ को अल्पसंख्यक समुदाय का भरोसा जीतने वाला कदम बताया।
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हम आपको यह भी याद दिलाना चाहेंगे कि हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पद्मश्री पुरस्कार ग्रहण करने वाले कर्नाटक के बीदरी शिल्प कलाकार शाह रशीद अहमद कादरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा था कि मेरा यह सोचना गलत था कि भाजपा सरकार उन्हें प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार से सम्मानित नहीं करेगी। राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार समारोह के समापन के बाद प्रधानमंत्री ने जब कादरी को बधाई दी और हाथ मिलाया, तो उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा, ''मैं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान पद्म पुरस्कार की उम्मीद कर रहा था, लेकिन मुझे यह नहीं मिला। जब आपकी सरकार आई तो मैंने सोचा कि अब भाजपा सरकार मुझे कोई पुरस्कार नहीं देगी। लेकिन आपने मुझे गलत साबित किया। मैं आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।’’
इसके अलावा, मुस्लिमों में बेहद पिछड़ा वर्ग माने जाने वाले पसमांदा समाज को अपने साथ लेकर भाजपा पहले ही कई दलों के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा चुकी है। हाल ही में भाजपा ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर को उत्तर प्रदेश विधान परिषद में मनोनीत कर जो कदम उठाया है उससे खासतौर पर मुस्लिम बुद्धिजीवी वर्ग भी भाजपा के साथ तेजी से जुड़ रहा है। निश्चित रूप से यह उन दलों को बेहद खटका है जोकि मुस्लिम वोटों की राजनीति करते रहे हैं।
इसके अलावा, लोकसभा के आगामी चुनाव के मद्देनजर मुसलमानों के बीच व्यापक पैठ बना रही सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में दिये गए संबोधनों के संकलन को उर्दू किताब की शक्ल देकर उसे उत्तर प्रदेश के मदरसों, उलमा और अन्य इस्लामी विद्वानों के बीच तोहफे के तौर पर बंटवा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम की 12 कड़ियों का उर्दू में अनुवाद कराकर उसे एक किताब के तौर पर प्रकाशित कराया गया है। जनवरी 2022 से दिसम्बर 2022 तक की कड़ियों को इसमें शामिल किया गया है। इसके अलावा, भाजपा इस माह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्रों में 'स्नेह मिलन— एक देश, एक डीएनए' सम्मेलन भी कर रही है।
बहरहाल, जो लोग मुस्लिमों को लेकर भारत को सीख देते हैं उन्हें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का निमंत्रण स्वीकार कर भारत आना चाहिए और अपनी आंखों से देखना चाहिए कि वाकई 'सबका साथ सबका विकास' के मूलमंत्र पर भारत आगे बढ़ रहा है और देश की तरक्की में 'सबका प्रयास' शामिल है।
-नीरज कुमार दुबे
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