साक्षात्कारः DDCA अध्यक्ष रोहन जेटली ने कहा- क्रिकेट की बेहतरी के लिए काम करेंगे
''मुझे आप नेता समझते हैं क्या? ठीक है मैं एक राजनीतिज्ञ घराने से ताल्लुक रखता हूं, पर ऐसा नहीं है कि डीडीसीए में सभी राजनेता ही हैं। मैनेजमेंट द्वारा तय नियमों के मुताबिक फैसले लिए जाते हैं जिसमें किसी बाहरी व्यक्ति का दखल नहीं होता, नेतागिरी तो कतई नहीं होती।''
दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन यानी डीडीसीए अध्यक्ष चुनाव का रिजल्ट वैसा ही आया जिसकी उम्मीद थी। रोहन जेटली के सिर फिर से ताज सजा है, दोबारा से अध्यक्ष चुने गए हैं, उन्होंने अपने मुकाबले अधिवक्ता विकास सिंह को मात दी है। डीडीसीए संस्था बेशक खेल से ताल्लुक रखती हो, पर राजनीतिक अखाड़े से कभी अछूती नहीं रही। रोहन से पहले डीडीसीए का उनके पिता और नामी राजनेता अरुण जेटली प्रतिनिधित्व करते रहे थे। देखा जाए तो डीडीसीए के हालात सुधरे नहीं हैं, वैसे ही हैं। भविष्य में रोहन जेटली कितना बदलाव ला पाते हैं, इन सब मुद्दों को लेकर डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से-
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प्रश्न- जीत को लेकर आप कितने आश्वस्त थे?
उत्तर- देखिए, हर तरह के चुनाव चुनौती देते हैं, उन्हें गंभीरता से लेना चाहिए। रही बात परिणाम की, तो उम्मीद तो थी जीत हमारे ही खेमे की होगी और हुआ भी वैसा ही। पर, रिजल्ट के लिए अंतिम वोट तक इंतजार करना पड़ा। डीडीसीए अध्यक्ष का ये मेरा दूसरा कार्यकाल है, मेरी कोशिश रहेगी कि मैं अपने मार्गदर्शक मंडलों, शुभचिंतकों, पूर्व क्रिकेटरों, पदाधिकारियों व मित्र-साथियों की उम्मीदों पर खरा उतर पाउं। उनके मुताबिक बेहतर कार्य कर सकूं।
प्रश्न- डीडीसीए में हमेशा सफेदपोशों की दखल रही है, कब तक चलेगा ऐसा?
उत्तर- मुझे आप नेता समझते हैं क्या? ठीक है मैं एक राजनीतिज्ञ घराने से ताल्लुक रखता हूं, पर ऐसा नहीं है कि डीडीसीए में सभी राजनेता ही हैं। मैनेजमेंट द्वारा तय नियमों के मुताबिक फैसले लिए जाते हैं जिसमें किसी बाहरी व्यक्ति का दखल नहीं होता, नेतागिरी तो कतई नहीं होती। जो लोग सियासत से आते भी हैं, तो उनका डीडीसीए के कामों से कोई लेना-देना नहीं होता? क्रिकेट देखना, क्रिकेट से लगाव रखना तो सभी का हक है।
प्रश्न- दिल्ली क्रिकेट को और बेहतर बनाने के लिए क्या करेंगे?
उत्तर- बीते दो वर्ष कोरोना महामारी में खराब हो गए, इससे क्रिकेट और क्रिकेटरों को खासा नुकसान हुआ, खिलाड़ियों की प्रैक्टिस में खलल पड़ा। उन्हें फिर से उभारने के लिए जो संभव होगा किया जाएगा, दिल्ली ने विश्व स्तर के कई खिलाड़ी दिए हैं, ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। क्रिकेटरों को असुविधा नहीं होने देंगे। उनकी जरूरतों को पूरा किया जाएगा। क्वालिटी स्तर के खेल के लिए कार्ययोजनाएं तैयार हैं, उन्हें जल्द अमल में लाएंगे।
प्रश्न- सचिव पद पर सिद्धार्थ वर्मा ने बाजी मारी है, कैसा रहेगा आपका उनके साथ तालमेल?
उत्तर- सिद्धार्थ वर्मा सुलझे हुए इंसान हैं। वह प्रथम श्रेणी के अच्छे क्रिकेटर रहे हैं। सचिव पद के चुनाव में उन्होंने विनोद तिहाड़ा को हराया हैं। उन्हें किक्रेट और किक्रेट से जुड़ी जरूरतों का अच्छा ज्ञान है। सिद्धार्थ वर्मा के आने से डीडीसीए को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। कुल मिलाकर टीम अच्छी है, पवन गुलाटी और शशि खन्ना का सहयोग मिलता रहा है आगे भी मिलेगा। हम चाहते हैं ग्राउंड पर जितने भी मैच हों, उनमें खिलाड़ियों और दर्शकों को किसी बात की परेशानियों का सामना न करना पड़े।
प्रश्न- सुविधाओं के लिहाज से आपके एजेंडे में क्या कुछ है?
उत्तर- दर्शक दीघा में अतिआधुनिक सुविधाएं मिलें, ईडन गार्डन और वानखेडे जैसे बड़े स्टेडियमों की भांति हर तरह की सुविधाएं हों, इसके लिए काम किया जाएगा। दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए अतिरिक्त सीटें भी लगाए जाने की प्लानिंग हैं। ग्राउंड की खूबसूरती पर जोर दिया जाएगा, टिकट वितरण के अतिरिक्त काउंटर और पार्किंग जैसी व्यवस्थाओं पर मंथन किया जा रहा है।
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प्रश्न- इस बार आपने अपने विरोधी को खासे अंतर से पछाड़ा?
उत्तर- ये चुनाव डीडीसीए की बेहतरी के लिए हुआ था। क्योंकि मताधिकारियों ने पहले से ठाना हुआ था कि उन्हें क्या करना है? बड़े अंतराल से जीत मिलने का संकेत यही है कि डीडीसीए में अच्छा काम किया जाए, जो पूरी तरह से पारदर्शी भी होगा। जो ऐसा सोचते हैं कि डीडीसीए में राजनीति होगी, तो मैं उनको बता देना चाहता हूं कि अगले एकाध सालों में डीडीसीए की तस्वीर बदली हुई दिखाई देगी। रजत शर्मा के वक्त की कुछ प्लानिंग हैं जिसे आगे बढ़ाया जाएगा। मुझे कुल 1658 मत मिले हैं, जबकि मुकाबले वाले उम्मीदवार को मात्र 662 वोट प्राप्त हुए। इससे साफ प्रतीत होता है, मुझसे कितनी उम्मीदें हैं, मेरी कोशिशें रहेंगी कि उनकी उम्मीदों पर खरा उतरूं।
-डीडीसीए के अध्यक्ष रोहन जेटली ने जैसा डॉ. रमेश ठाकुर से कहा।
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