पश्चिम बंगाल में अत्याचार और भ्रष्टाचार के पुराने सभी रिकॉर्ड टूटते जा रहे हैं

Sandeshkhali
ANI

पश्चिम बंगाल ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) ने शिक्षक भर्ती घोटाले का खुलासा किया जिसमें सरकार के 2 मंत्री संलिप्त हैं। राज्य के शिक्षा राज्यमंत्री परेश चंद्र अधिकारी और उनकी बेटी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है।

पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के तौर-तरीकों से यही लगता है यह भारत का नहीं बल्कि किसी दूसरे मुल्क का हिस्सा है। देश का यह एक ऐसा प्रदेश बनता जा रहा है जहां संविधान के अनुसार शासन करने की जद्दोजहद जारी है। पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार की मनमर्जी ने इस प्रदेश के हालात बिगाड़ दिए हैं। पश्चिम बंगाल ऐसे प्रदेश की शक्ल इख्तियार करता जा रहा है, जहां सरकार समर्थित लोगों पर भ्रष्टाचार और गंभीर अपराधों के आरोप लगे हैं। घोटालों, चुनावी हिंसा और हाल ही में संदेशखाली में महिलाओं से बलात्कार के मामलों से पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत आ गई है। हालांकि केंद्र की भाजपा सरकार यह गलती नहीं करेगी। ऐसी स्थिति में न सिर्फ राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है, बल्कि ममता बनर्जी को सहानुभूति का फायदा भी मिल सकता है। यही वजह है कि संदेशाखाली की घटना के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग और प्रदेश भाजपा की राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग के बावजूद केंद्र सरकार ने इस कोई फैसला नहीं लिया।

घोटालों और चुनावी हिंसा के कारण बदनामी का कलंक झेलने वाली ममता सरकार अब संदेशखाली में हिन्दू महिलाओं से बलात्कार के मामले में सुर्खियों में है। संदेशखाली के सरगना शाहजहां शेख के आतंक की कहानी ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। तृणमूल कांग्रेस समर्थित अपराधियों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां भी उनके हमलों से सुरक्षित नहीं हैं। संदेशखाली में मनी लॉन्ड्रिंग में छापे के कार्रवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय की टीम को हमले का शिकार बनाया गया। जब अधिकारियों ने संदेशखाली में उसके घर में घुसने की कोशिश की तो 2,000 से ज्यादा लोगों की भीड़ ने लाठी, डंडे और रॉड से हमला बोल दिया। इस घटना के बाद ही शेख के काले कारनामों का खुलासा हुआ। ममता सरकार ने इस मामले को दबाने-छिपाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। इस घटना की जानकारी लेने के लिए गए राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम को मौके पर नहीं जाने दिया गया। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी भी संदेशखाली कोर्ट की परमिशन से पहुंच सके।

इसे भी पढ़ें: शाहजहां शेख व्यक्ति नहीं प्रवृत्ति है जिसे विशेष प्रकार का सेक्युलर संरक्षण प्राप्त है

कलकत्ता हाई कोर्ट ने संदेशखाली में यौन उत्पीडऩ के आरोपों पर स्वत: संज्ञान लिया। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि शाहजहां शेख के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। कोर्ट ने संदेशखाली मामले में पूरे मामले में राज्य की सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है। अब सरकार को हाई कोर्ट में हलफनामा देना होगा। इस हलफनामे में सरकार को बताना होगा कि संदेशखाली की पीडि़त महिलाओं के लिए अब तक क्या-क्या किया गया है? शाहजहां पर पहले भी गंभीर आरोप लगे थे। इसमें जबरन वसूली, हमला, बलात्कार और हत्या शामिल है। हालांकि उसे सजा नहीं हुई। 2020 में जब उस पर दो भाजपा नेताओं की हत्या का आरोप लगा तब भी वह फरार हो गया था। संदेशखाली प्रोटेस्ट के बाद उसके दो करीबियों शिबू हजारा और उत्तम सरदार को गिरफ्तार किया गया है। पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था के हालात कितने खराब हैं, इसका अंदाजा चुनावी हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लगाया जा सकता है। पश्चिम बंगाल में 2021 में राज्य चुनाव के बाद हुई हिंसा मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों में चल रही सुनवाई पर अंतरिम रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। ये अंतरिम आदेश सीबीआई की उस याचिका पर दिया गया है, जिसमें सीबीआई ने राज्य में चुनावों के बाद हुई हिंसा के मामलों की सुनवाई राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की गुहार लगाई थी। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि राज्य में गवाहों को धमकाया जा रहा है और राज्य की एजेंसियां मूकदर्शक बनी हुई हैं।

पश्चिम बंगाल ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें कथित तौर पर चुनाव के बाद हिंसा के दौरान हुई हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों की सीबीआई जांच का आदेश दिया गया था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह आदेश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सात सदस्यीय समिति की एक रिपोर्ट के आधार पर दिया था। हाईकोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति का गठन कर दिया था। आदेश मई 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद, हिंसा के कारण अपने घरों से भागने वाले कई लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और दावा किया था कि सत्तारुढ़ अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के डर से वो अपने घर नही लौट पा रहे हैं।

पश्चिम बंगाल ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) ने शिक्षक भर्ती घोटाले का खुलासा किया जिसमें सरकार के 2 मंत्री संलिप्त हैं। राज्य के शिक्षा राज्यमंत्री परेश चंद्र अधिकारी और उनकी बेटी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है। इससे पहले ममता सरकार में कोयला घोटाला, पशु तस्करी घोटाला, शारदा चिट फंड घोटाला, रोज वैली घोटाला हुआ है। ममता बनर्जी सरकार ने लगता है कि घोटालों का बंगाल माडल बना दिया है। बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर 2 लाख करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप लगाया। पैसे के बाद काम होने पर एक साल के अंदर यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट देना होता है। 1.9 लाख करोड़ रुपये का ममता सरकार ने यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं दिया है। ममता सरकार ने 2018 से 2021 तक 2.4 करोड़ का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। इसमें ग्रामीण विकास, शहरी विकास और शिक्षा मंत्रालय है। इन विभागों में ज्यादा भ्रष्टाचार है।

पश्चिम बंगाल में अपराधों के अलावा घोटालों की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि करीब एक दर्जन तृणमूल के नेता जेलों में बंद हैं। इनमें से ज्यादातर को जमानत तक नहीं मिल सकी है। प्रवर्तन निदेशालय ने शिक्षक भर्ती घोटाले में ममता सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को हिरासत में लिया जिनके घर से करीब 20 करोड़ रुपए मिले थे। कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर ई.डी. की टीम पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग भर्ती घोटाले के आरोपी पार्थ चटर्जी के घर पहुंची थी। जब यह कथित घोटाला हुआ था, तब चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे। मौजूदा परिदृश्य से यही लगता है कि ममता बनर्जी अपनी मर्जी के हिसाब से सरकार चलाना चाहती है। एनआईए, सीबीआई और ईडी ने भ्रष्टाचार या अपराधों के मामलों में देश के दूसरे राज्यों में भी कार्रवाई की है, किन्तु जांच एजेंसियों को जिस तरह का हिंसात्मक विरोध का सामना पश्चिमी बंगाल में करना पड़ा है, वैसा देश के किसी भी दूसरे राज्य में देखने को नहीं मिला। घपले-घोटालों के एक भी मामलों से ममता सरकार मुक्त नहीं हो सकी। इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि ममता बनर्जी ने पश्चिमी बंगाल में मजबूत राजनीतिक पकड़ बना रखी है।

यही वजह है कि पिछले डेढ़ दशक से अधिक समय से ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस राज्य में सत्ता में बनी हुई है। कांग्रेस, भाजपा और वाम दल पश्चिम बंगाल में जड़े जमाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। लेकिन पूर्व के चुनावों तक ममता ने इन्हें टिकने नहीं दिया। सत्ता में लंबे समय से बने रहने का ममता बनर्जी ने शायद यह मतलब निकाल लिया है कि पश्चिम बंगाल में उनकी मर्जी ही कानून है, यही वजह है कि ममता सरकार को विभिन्न मामलों में हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से फटकार खानी पड़ी है। ममता बनर्जी को यह समझना है कि नेताओं की लोकप्रियता का अर्थ यह कदापि नहीं हो सकता है कि देश के कानून से खिलवाड़ किया जाए। यदि लोकप्रियता और सत्ता ही पैमाना होता तो देश में लालू यादव सहित दर्जनों ऐसे नेता हैं, जिन्होंने न सिर्फ सत्ता गंवाई बल्कि जेल का मुंह भी देखा है।

-योगेन्द्र योगी

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़