रामचरित मानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान पर अखिलेश की चुप्पी बहुत कुछ कह रही है
रामचरित मानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य की विवादित टिप्पणी के बाद उम्मीद यह की जा रही थी कि सपा इस बड़बोले नेता को बाहर का रास्ता दिखा देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। समाजवादी पार्टी मौर्या के विवादित बयान के सहारे मण्डल-कमंडल जैसी आग भड़काना चाहती है।
बिहार में रामचरितमानस को लेकर उठा विवाद अब उत्तर प्रदेश पहुंच गया है। तमाम हिंदू संगठन रामचरितमानस के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने वाले नेताओं के ऊपर टूट पड़े हैं। इसमें भारतीय जनता पार्टी के नेता सबसे आगे हैं। लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि एक तरफ स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरित मानस को विवादित और दलित विरोधी बता रहे हैं तो उनकी बेटी और भारतीय जनता पार्टी की सांसद संघ प्रिय मौर्या अभी तक इस मामले में चुप्पी ओढ़े हुए हैं। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब संघप्रिय मौर्या ने अपने पिता के विवादित बयान पर मुंह नहीं खोला है। इससे पूर्व विधानसभा चुनाव के समय भी स्वामी ने बीजेपी और मोदी-योगी को खूब अनाप-शनाप कहा था। उस समय स्वामी ने चार वर्षों तक योगी सरकार में मंत्री रहने के बाद ऐन चुनाव से पहले सपा का दामन थाम लिया था, जबकि उनकी बेटी तब और अब भी बीजेपी में ही है। उधर, बसपा ने भी स्वामी के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। कांग्रेस जरूर स्वामी के बयान की आलोचना कर रही है, लेकिन उसके शब्द भी काफी नपे-तुले हुए हैं।
इसे भी पढ़ें: Ramcharitmanas पर टिप्पणी कर मुश्किल में फंसे स्वामी प्रसाद मौर्य, SP ने बयान से किया किनारा, 3 थानों में दी गई तहरीर
खैर, रामचरित मानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य की विवादित टिप्पणी के बाद उम्मीद यह की जा रही थी कि सपा इस बड़बोले नेता को बाहर का रास्ता दिखा देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। समाजवादी पार्टी मौर्या के विवादित बयान के सहारे मण्डल-कमंडल जैसी आग भड़काना चाहती है। उस समय मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं ने अगड़े-पिछड़ों में हिन्दुओं को बांटने की खूब साजिश रची थी और स्वयं पिछड़ों के लंबरदार बन गए थे। बहरहाल, ऐसा कहा जरूर जा रहा है कि अखिलेश यादव अपने नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान से खफा हैं, लेकिन अभी तक उनकी तरफ से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है जिससे उनकी नाराजगी पर मुहर लग सके।
दरअसल, समाजवादी पार्टी स्वामी के बयान पर अपनी स्थिति साफ करने की बजाय इससे होने वाले राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन करने में लगी है। बात दें कि समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की है कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है। इसके बाद बीजेपी और कांग्रेस एक साथ सपा पर जुबानी हमला बोल रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: Swami Prasad Maurya के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाए : स्वामी आनंद स्वरूप
कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सपा एमएलसी के बयान को घटिया बताया है। कांग्रेस नेता ने कहा, 'प्रतिबंध इस तरह की घटिया और बेहूदी बयानबाजी करने वाले नेताओं पर लगना चाहिये जो रोज हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का “अपमान” करने को ही अपनी बहादुरी समझते हैं। जबकि बीजेपी के ओर से प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि इस मामले पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवपाल यादव, डिंपल यादव और रामगोपाल यादव को जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में एक बड़ा नेता बनने के लिए छटपटा रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुन नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि सपा को यह तय करना होगा कि स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान पार्टी का आधिकारिक बयान है या नहीं।
-अजय कुमार
अन्य न्यूज़