लगातार कई हिट फिल्में देने वाले सुपरस्टार थे राजेश खन्ना
1970 में राजेश खन्ना को उनकी फिल्म ‘सच्चा-झूठा’ के लिए पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। इसके बाद कटी पतंग, आनंद, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी, अंदाज, दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल जैसी सुपरहिट फिल्में उनके खाते में आईं।
जमाना चाहे तब का हो या अब का यदि फिल्मों की बात निकलेगी तो शायद ही कोई फिल्म प्रेमी ऐसा मिलेगा जो राजेश खन्ना का नाम नहीं जानता होगा। बॉलीवुड के इस पहले सुपर स्टार ने अपने अलग अन्दाज से फिल्मी जगत में जो जगह बनाई वो अमिट है। 70 से 80 का दशक राजेश खन्ना की जिन्दगी का डायमंड समय था जब अपनी फिल्मों के जरिए वे एक के बाद एक कई हिट फिल्में देकर दर्शकों के दिल दिमाग में छा गए। विशेषतौर पर लड़कियों में तो राजेश खन्ना का क्रेज देखते ही बनता था।
बॉलीवुड में राजेश खन्ना को ‘काका’ के नाम से भी जाना जाता है अपने एक इंटरव्यू में राजेश खन्ना ने बताया था कि उन्हें काका इसलिए कहा जाता है, क्योंकि पंजाबी में ‘काका’ का मतलब होता है छोटा बच्चा और वे जब फिल्म में आये तब बहुत छोटे थे इसीलिए उन्हें काका कहकर पुकारा जाने लगा। आपको बता दें कि राजेश खन्ना का बचपन का नाम जतिन था फिल्मों उन्होंने राजेश खन्ना नाम से एंट्री की।
राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था।
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अभिनय का शौक उन्हें बचपन से ही था। 1960 में अपने इसी शौक को पूरा करने वे मुंबई चले आए। 1965 में मुंबई में युनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर द्वारा आयोजित एक टैलेंट हंट में राजेश खन्ना दस हजार लोगों में विजेता बने और 1966 में उन्हें पहली बार फिल्म ‘आखिरी खत’ में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। इस फिल्म के बाद राजेश खन्ना ने कई फिल्मों में काम किया और 1969 में आई फिल्म ‘आराधना’ ने उन्हें जबर्दस्त कामयाबी दिलाई। ‘आराधना’ के बाद राजेश खन्ना का हिट फिल्मों का ग्राफ ऊंचा ही होता गया जिसके चलते उन्हें उस समय का सुपर स्टार होने का खिताब हासिल हुआ।
1970 में राजेश खन्ना को उनकी फिल्म ‘सच्चा-झूठा’ के लिए पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। इसके बाद कटी पतंग, आनंद, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी, अंदाज, दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल जैसी सुपरहिट फिल्में उनके खाते में आईं। फिल्म ‘आनंद’ को राजेश खन्ना की फिल्मों का मील का पत्थर कहा जा सकता है इसमें राजेश खन्ना का अभिनय गजब का था। इस फिल्म के अभिनय के लिए 1971 में उन्हें लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि फिल्म आनंद में मिली सफलता के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे मैं भगवान के बगल में हूं। पहली बार मैंने महसूस किया कि सफलता क्या होती है। बंगलुरु में इस फिल्म के प्रीमियर के समय करीब दस मील तक सड़क पर लोगों के सिर के सिवा और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
तीसरा फिल्म फेयर पुरस्कार राजेश खन्ना को फिल्म ‘आविष्कार’ के लिए मिला और 2005 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला। बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा हिन्दी फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी अधिकतम चार बार उनके ही नाम रहा।
अभिनेत्रियों के साथ राजेश खन्ना की हिट जोड़ी की बात की जाए तो शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी सुपरहिट रही। शर्मिला टैगोर के साथ उनकी फिल्में आराधना, सफर, बदनाम फरिश्ते, छोटी बहू, अमर प्रेम, राजा-रानी, और आविष्कार व मुमताज के साथ दो रास्ते, बंधन, सच्चा-झूठा, दुश्मन, अपना देश, आपकी कसम, रोटी तथा प्रेम कहानी सुपर फिल्में रहीं।
राजेश खन्ना की फिल्में ही नहीं बल्कि उनकी फिल्मों का गीत-संगीत भी लोगों की जुबां पर खूब चढ़ा। संगीतकार आरडीबर्मन ने राजेश खन्ना की अधिकांश फिल्मों को संगीत दिया, वहीं किशोर कुमार की आवाज उन पर खूब जंची। अपनी फिल्मों के गाने की रिकॉर्डिग के समय राजेश खन्ना स्वयं संगीत स्टूडियों में रहकर संगीत निर्देशकों को अपने सुझाव दिया करते थे। राजेश खन्ना पर फिल्माए गीत आज भी लोगों की जुबां पर छाए हुए हैं।
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यूं तो राजेश खन्ना का नाम बॉलीवुड में कई फिल्मी अभिनेत्रियों के साथ जोड़ा गया पर, राजेश खन्ना की शादी बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया से हुई। डिंपल कपाड़िया से राजेश खन्ना की पहली मुलाकात अहमदाबाद के नवरंगपुरा स्पोर्ट्स क्लब में हुई थी, जहां 70 के दशक में राजेश खन्ना नवरंगपुरा स्पोर्ट्स क्लब के प्रोग्राम में बतौर चीफ गेस्ट आए थे और यहां पहली नजर में ही वे डिंपल कपाड़िया के दीवाने हो गए थे।
कहा जाता है कि राजेश खन्ना की प्रसिद्धि का एटिटूड उन्हें कुछ ज्यादा ही था जिसके चलते उनके साथ काम करने में उनके साथी कलाकारों को असहजता रहती थी, कई साथी कलाकारों का कहना यह भी था कि राजेश खन्ना का स्टारडम हमेशा उनके साथ चलता था।
80 के दशक के अंत में हिन्दी फिल्म जगत में एक्शन फिल्मों का जोर रहा और इसी समय को राजेश खन्ना की फिल्मों की कामयाबी का अंतिम दौर कहा जा सकता है। एक्शन फिल्मों जंजीर और शोले की अपार सफलता के बाद अमिताभ बच्चन को लोग पसंद करने लगे थे जिसके बाद राजेश खन्ना ने कई महत्वपूर्ण फिल्मों को ठुकरा दिया जिनमें अमिताभ को काम मिला और वे सुपरहिट फिल्में बनी।
फिल्मों के अलावा राजेश खन्ना ने अपना एक रोल राजनीति में भी निभाया वे कांग्रेस पार्टी के नेता बने। दिल्ली लोकसभा सीट से वे पांच वर्ष 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे। हालांकि, बाद में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था।
साल 2012 में राजेश खन्ना कुछ समय से बीमार चल रहे थे और 18 जुलाई 2012 को उन्होंने इस दुनिया से विदा ली। उनका अपने बंगले ‘आशीर्वाद’ में देहांत हुआ। सन् 2013 में राजेश खन्ना को भारत सरकार की तरफ से पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया।
- अमृता गोस्वामी
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