Pranab Mukherjee Birth Anniversary: कांग्रेस के संकटमोचक और इंदिरा गांधी के करीबी थे प्रणब मुखर्जी, जिंदगी में अहम था 13 नंबर

Pranab Mukherjee
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भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 11 दिसंबर को जन्म हुआ था। उन्होंने राष्ट्रपति के तौर पर न सिर्फ देश बल्कि रंक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय का भी नेतृत्व किया था। भारत की राजनीति में प्रणब जी का काफी अहम योगदान था।

आज के दिन यानी की 11 दिसंबर को देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म हुआ था। प्रणब मुखर्जी को पूरा देश प्रणब दा के नाम से भी जानता था। भारत के 13वें राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने न सिर्फ देश को संभालने का काम किया, बल्कि रंक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय का भी नेतृत्व किया। भारत की राजनीति में प्रणब जी का काफी अहम योगदान था। बता दें कि प्रणब मुखर्जी 15 जून 2012 को देश के राष्ट्रपति बने थे। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर प्रणब मुखर्जी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

बंगाल के बीरभूम इलाके के मिराटी में 11 दिसंबर 1935 को प्रणब मुखर्जी का जन्म हुआ था। उनके बचपन का नाम पोल्टू था। वहीं पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और मां का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रणब मुखर्जी के पिता कामदा किंकर ने भी हिस्सा लिया था। प्रणब मुखर्जी बचपन से ही पढ़ने-लिखने में बहुत तेज थे। उन्होंने बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से राजनीति विज्ञान और इतिहास में एमए की डिग्री ली। इसके अलावा उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से LLB पढ़ाई की थी। 

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राजनीति में प्रवेश लेने से पहले प्रणब मुखर्जी डिप्टी अकाउंटेंट-जनरल (पोस्ट एंड टेलीग्राफ) में अपर डिवीजन क्लर्क के पद पर थे। वहीं साल 1963 में विद्यानगर कॉलेज में वह राजनीति के प्रोफेसल बन गए थे। हांलाकि बाद में उन्होंने पत्रकार के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की थी। प्रणब दा ने बांग्ला प्रकाशन संस्थान देशेर डाक में काम किया।

राजनीति में प्रवेश

प्रणब मुखर्जी के लिए साल 1969 टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी की काबिलियत को देखते हुए उनको राज्यसभा भेजा। इस तरह से वह तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के खास सिपहसालारों में से एक थे। इसके बाद साल 1973 में इंदिरा ने उनको कैबिनेट में शामिल किया। फिर वह औद्योगिक विकास के उपमंत्री भी रहे। एक समय बाद वह इंदिरा सरकार में नंबर दो हो गए। आप प्रणब मुखर्जी के बौद्धिक स्तर और काबिलियत का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि इंदिरा गांधी ने लिखित में यह आदेश दिया था कि उनकी गैरमौजूदगी में प्रणब मुखर्जी कैबिनेट मीटिंग की अगुआई करेंगे।

ऐसे संभाला वित्त मंत्री का पद

प्रणब मुखर्जी ने 1982 से 1984 तक कैबिनेट के कई पद संभाले। इसके बाद वह साल 1982 में वित्त मंत्री बने। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ से उन्होंने 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर के लोन के लिए बातचीत को आगे बढ़ाया। फिर लोन के एक तिहाई हिस्से को बिना इस्तेमाल के वापस कर दिया गया। प्रणब दा द्वारा उठाए गए इस कदम से पूरी दुनिया हैरान रह गई थी। अमेरिका के 40वें राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के वित्त मंत्री डोनाल्ड रीगन ने उनके वित्तीय प्रबंधन की तारीफ भी की थी। बता दें कि जिस दौरान प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री थे। तब उन्होंने पीएम मनमोहन सिंह की पूर्व रिजर्व बैंक के गवर्नर पद पर नियुक्ति की थी। प्रणब इस तरह से मनमोहन सिंह के सीनियर थे।

पाइप जमा करने का था शौक

हांलाकि वह कई साल पहले की अपनी स्मोकिंग की आदत को छोड़ चुके थे। लेकिन इसके बाद भी वह पाइप को मुंह से लगाए रखते थे। इसके अलावा आपको जानकर हैरानी होगी कि उनको पाइप जमा करने का शौक था। वह पाइप की टिप को अपने होंठो से दबाए रखते थे। जिससे उनको स्मोकिंग किए जाने का एहसास होता रहता था। विदेशी मेहमानों, मंत्रियों और कांग्रेस के नेताओं से उनको करीब 500 पाइप मिले थे। इन पाइपों को उन्होंने कलेक्शन किया था। बाद में इन पाइपों को उन्होंने राष्ट्रपति भवन के म्यूजियम को दे दिया था।

13 नंबर से था खास कनेक्शन

बता दें कि प्रणब मुखर्जी के जीवन में 13 नंबर से उनका खास कनेक्शन था। वह देश के 13वें राष्ट्रपति बने। दिल्ली में प्रणब मुखर्जी के पास जो बंगला था, वह भी 13 नंबर का था। इसके साथ ही उनकी मैरिज एनिवर्सरी भी 13 तारीख को होती थी। इस तरह से उनकी लाइफ में 13 नंबर का खास महत्व था। 

मृत्यु

बीमारी के चलते भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 31 अगस्त 2020 को निधन हो गया था। जिसके बाद पूरे राजकीय सम्मान के साथ दिल्ली में उनका अंतिम संस्कार किया गया। प्रणब दा की गिनती देश के उन नेताओं में की जाती थी, जिनको हर पार्टी से पूरा सम्मान मिलता था। हर राजनैतिक पार्टी से उनके अच्छे संबंध थे।

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