Pramod Mahajan Birth Anniversary: 90 के दशक में बीजेपी के चाणक्य थे प्रमोद महाजन, मेहनत से बनाया था में राजनीति मुकाम
भाजपा के नेता रहे प्रमोद महाजन की आज यानी की 30 अक्तूबर को बर्थ एनिवर्सरी है। प्रमोद महाजन एक जबरदस्त संभावनाओं वाले नेता थे। प्रमोद महाजन ऐसी शख्सियत थे, जो पर्दे के पीछे भी होते थे और पर्दे के सामने भी।
भाजपा के नेता रहे प्रमोद महाजन की आज यानी की 30 अक्तूबर को बर्थ एनिवर्सरी है। प्रमोद महाजन एक जबरदस्त संभावनाओं वाले नेता थे। 90 के दशक में जब भाजपा की राजनीति शिखर पर चढ़ने लगी तो प्रमोद महाजन इस सियासत के सबसे असरदार चेहरे हुआ करते थे। उनको बीजेपी की दूसरी पीढ़ी का चाणक्य भी कहा जाता था। प्रमोद महाजन ऐसी शख्सियत थे, जो पर्दे के पीछे भी होते थे और पर्दे के सामने भी। जनता के साथ खास तरीके से वह मुस्कुराते चेहरे के साथ रूबरू होते थे। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर प्रमोद महाजन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
प्रमोद महाजन का जन्म तेलंगाना में 30 अक्तूबर 1949 को हुआ था। वह छात्र जीवन से ही संघ से जुड़ गए थे। संघ का इनके जीवन पर विशेष प्रभाव रहा। प्रमोद महाजन ने ने पुणे के रानाडे इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज्म से पत्रकारिता की थी। फिर वह RSS के मराठी अखबार 'तरुण भारत' के उप संपादक बन गए। जिसके बाद साल 1974 में प्रमोद महाजन को संघ प्रचारक बनाया गया। वहीं इमरजेंसी के समय उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी विरोध का मोर्चा भी संभाला था।
इसे भी पढ़ें: K. R. Narayanan Birth Anniversary: देश के पहले दलित राष्ट्रपति ने लिया था गांधी जी का इंटरव्यू, जानिए केआर नारायणन से जुड़ी रोचक बातें
बीजेपी के संकटमोटक
बीजेपी और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कई मामलों में प्रमोद महाजन ने संकटमोचक की भूमिका निभाई। वह बैकरूम स्ट्रैटजी में काफी ज्यादा माहिर थे। वहीं 90 के दशक के आखिर तक अटल बिहारी और लाल कृष्ण आडवाणी के बाद बीजेपी की राजनीति में जो दो असरदार चेहरे नजर आने लगे थे। उनमें से एक प्रमोद महाजन थे। उन्हें लोग होमवर्क में परफेक्ट, चतुर और जनता के करीब रहने वाले मजबूत नेता के तौर पर जानने लगे थे। प्रमोद महाजन का असर ना सिर्फ पार्टी संगठन बल्कि सरकार के साथ संघ पर भी नजर आता था।
बखूबी तैयार किया जनाधार
हांलाकि यह बात भी बिलकुल सच है कि 90 के दशक में जब वह भाजपा के सेकेंड लाइन लीडरशिप के तौर पर उभर रहे थे। तो प्रमोद महाजन का जनाधार नहीं था। लेकिन फिर उन्होंने इस जनाधार को बखूबी तैयार किया। 90 का दशक ऐसा दशक भी था, जब इस देश में बाजार के जरिए धन का प्रवाह बढ़ा। इस दौरान तकनीक का नया युग भी शुरू हो रहा था। वहीं प्रमोद महाजन को तकनीक में माहिर माना जाता था।
मोबाइल क्रांति में भी योगदान
भारत में यह वही दौर था जब लैंडलाइन फोन की जगह मोबाइल फोन और उनके नेटवर्क का जाल फैल रहा था। उस दौरान केंद्र सरकार में प्रमोद महाजन संचार मंत्री थे। लेकिन वह आरोपों से भी बचे नहीं रहे। हांलाकि प्राइवेट कंपनियों को मोबाइल नेटवर्क के आवंटन और तकनीक को देश में लाने में प्रमोद महाजन की भूमिका अहम रही।
मेहनत से कमाई राजनीति
प्रमोद महाजन ने अपनी मेहनत से राजनीति कमाई थी। उन्हें राजनीति ना तो विरासत में मिली और ना ही किस्मत से। इसे उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से हासिल किया था। बीजेपी में जहां अटलबिहारी वाजपेयी को वाकचातुर्य, लालकृष्ण आडवाणी को सांगठनिक गुणों में संपन्न कहा जाता था। तो वहीं प्रमोद महाजन को सियासी कुटिलता और समझबूझ में अपने राजनीतिक गुरुओं से भी आगे माना जाता था। जिसके कारण वह अपनी पार्टी में भी ईर्ष्या के पात्र थे। उस दौर में प्रमोद महाजन की क्षमताओं के बारे में कहा जाता था कि वह उस समय भारतीय राजनीति में अन्य नेताओं से कही ज्यादा आगे थे।
लाइफस्टाइल पर उठी उंगलियां
प्रमोद महाजन की लाइफस्टाइल पर भी कई बार उंगलियां उठाई गईं। उनके आलीशान रहन-सहन के ऊपर लोगों ने कमेंट किए। लेकिन वह बिना किसी फिक्र से आगे बढ़ते रहे। विवादों में भी उनका नाम कई बार उछला, लेकिन उन्होंने कभी भी उन विवादों को दबाने या छिपाने का प्रयास नहीं किया।
निधन
आपको बता दें बहुगुणी प्रतिभा के धनी प्रमोद महाजन की हत्या उनके ही छोटे भाई ने मुंबई में कर दी। वह अपने भाई के लिए सब कुछ हुआ करते थे। लेकिन 22 अप्रैल, 2006 को प्रमोद महाजन के आवास पर उनके भाई ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। प्रमोद महाजन के सीने में 3 गोलियां लगीं। इस दौरान उनकी पत्नी अंदर थीं। जिसके बाद वह 13 दिनों तक अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ते रहे। वहीं 3 मई 2006 को प्रमोद महाजन ने सदा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
अन्य न्यूज़