Pt Deen Dayal Upadhyaya Birth Anniversary: राष्ट्रहित के लिए पथ प्रदर्शक रहे पं. दीन दयाल उपाध्याय

Pandit Deen Dayal Upadhyaya
ANI

दीन दयाल उपाध्याय की पहचान पत्रकार, दार्शनिक और समर्पित संगठनकर्ता और नेता के तौर पर होती है। 25 सितंबर को भारतीय राजनीति के पुरोधा पुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था।

आज ही के दिन यानी की 25 सितंबर को भारतीय राजनीति के पुरोधा पुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था। वह कई वर्षों तक जनसंघ से जुड़े रहे। दीन दयाल उपाध्याय की पहचान पत्रकार, दार्शनिक और समर्पित संगठनकर्ता और नेता के तौर पर होती है। भाजपा पार्टी की स्थापना के समय से ही वह पार्टी के वैचारिक मार्गदर्शक और नैतिक प्रेरणा-स्रोत रहे हैं। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर पं. दीन दयाल उपाध्याय के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में 25 सितंबर 1916 को पं. दीन दयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था। वह बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। अल्पायु में ही उपाध्याय के सिर से माता-पिता का साया उठ गया। जिसके बाद ननिहाल में इनका पालन-पोषण हुआ। फिर शुरुआती शिक्षा पूरी कर कानपुर के सनातन धर्म कॉलेज में बीए की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। इस दौरान साल 1937 में उनकी मुलाकात श्री बलवंत महाशब्दे से हुई और इन्ही के कहने पर उपाध्याय आऱएसएस से जुड़ गए।

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संघ में सक्रिय भूमिका

संघ में सक्रियता बढ़ने के साथ ही उनकी मुलाकात भारत रत्न श्री नानाजी देशमुख और श्री भाऊराव देवरस से हुई। इन दोनों लोगों ने उपाध्याय के भविष्य निर्माण में अहम भूमिका निभाई। वहीं 21 अक्तूबर 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की अध्यक्षता में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई। जिसके जरिए दीन दयाल उपाध्याय ने राजनीति में कदम रखा। साल 1952 कानपुर में जनसंघ के प्रथम अधिवेशन में उपाध्याय को यूपी शाखा का महासचिव बनाया गया। फिर इन्हें अखिल भारतीय महासचिव के पद पर नियुक्त किया गया।

इसके अलावा पं. दीन दयाल उपाध्याय पत्रकार भी थे, उन्होंने तमाम पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन किया था। वहीं हिंदुत्व की विचाराधारा को प्रसारित करने के लिए उपाध्याय ने मासिक राष्ट्रधर्म का प्रकाशन किया। उन्होंने शंकराचार्य और चंद्रगुप्त मौर्य की हिंदी में जीवनी भी लिखी।

मृत्यु

बता दें कि दिसंबर 1967 में भारतीय जनसंघ का 14वां अधिवेशन कालीकट में हुई। इस दौरान सर्वसम्मति से पं. उपाध्याय को पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। लेकिन वह महज 43 दिन तक जनसंघ के अध्यक्ष रह सके। क्योंकि 10 फरवरी 1968 को वह लखनऊ से पटना जाने के लिए ट्रेन में बैठे। वहीं अगले दिन यानी की 11 फरवरी को सुबह पौने चार बजे के आसपास पं. दीन दयाल उपाध्याय की लाश रेलवे लाइन के किनारे मिली। बताया जाता है कि वह जौनपुर तक जीवित रहे। फिर इसके बाद किसी ने उनको चलती ट्रेन से धक्का मार दिया, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई।

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