Guru Nanak Dev Death Anniversary: गुरु नानक देव ने बदला सामाजिक ताना-बाना, ऐसे रखी सिख धर्म की नींव
सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का 22 सितंबर को निधन हो गया था। उन्होंने समाज को एक नई दिशा दिखाने का काम किया था और उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज और प्राणी मात्र के लिए समर्पित कर दिया था।
आज ही के दिन यानी की 22 सितंबर को सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का निधन हो गया था। ऐसे में हर साल इस दिन गुरु नानक देव जी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। गुरु नानक देव जी दार्शनिक थे और वह समाज में फैली कुरीतियों को बढ़ता देखकर आहत थे। उन्होंने यह भांप लिया था कि यह कुरीतियां न सिर्फ समाज को खोखला कर रही हैं, बल्कि इन कुरीतियों के कारण मनुष्य पतन की ओर बढ़ रहा है। इसलिए उन्होंने समाज को एक नई दिशा दिखाने का काम किया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म
गुरु नानक देव जी का जन्म रावी नदी के किनारे बसे तलवंडी नामक स्थान पर हुआ था। वर्तमान समय में इस स्थान को ननकाना साहिब के नाम से जानते हैं। उनका जन्म कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। बताया जाता है कि नानक देव जी के साथ बचपन में कई चमत्कारिक घटनाएं हुईं। जिसके बाद वह आध्यात्म की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित हुए। वह बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति वाले बालक थे और आगे चलकर वह सिख समाज के पहले गुरु बनें।
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अध्यात्म से जुड़ाव
बता दें कि महज 5 साल की उम्र से ही नानक देव जी अध्यात्म से जुड़ाव महसूस करने लगे थे। वहीं 13 साल की उम्र में उनका उपनयन संस्कार हो गया था। वह बचपन से ही धर्म की राह और आत्मा के चिंतन की राह पर निकल पड़े। उन्होंने सांसारिक मोह माया और रुकावटों व बंधनों की बेड़ियों को तोड़कर एक संत और समाज सुधारक के तौर पर अपना जीवन व्यतीत करने लगे थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज और प्राणी मात्र के लिए समर्पित कर दिया था।
सिख धर्म की स्थापना
वहीं 1500 ईसा में गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की थी। वह अपने आत्मज्ञान और मोक्ष के उपदेश से समाज के लिए मार्गदर्शक बनें। उन्होंने हिंदू और इस्लाम दोनों धर्मों के विश्वास के एक अलग समुदाय और सोच तैयार की। वह करीब 30 सालों तक भारत, तिब्बत और अरब जैसे देशों में आध्यात्मिक यात्राएं करते रहे। साथ ही गुरु नानक देव जी जन्म, मरण, ईश्वर जैसे मुद्दों पर अपने विचारों के आधारों पर लोगों को उपदेश देने लगे।
सिख धर्म के 10 गुरुओं में गुरु नानक देव जी का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने इक ओंकार यानी की ईश्वर एक होने की बात समझाई और हमेशा आत्मा के परमात्मा से मिलन की बात कर गुरु व ईश्वर की उपासना करने की सीख दी।
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