Morarji Desai Death Anniversary: लंबे समय तक PM पद के दावेदार रहे मोरारजी देसाई, फिर ऐसे बनें भारत के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री

आज ही के दिन यानी की 10 अप्रैल को भारत के पूर्व पीएम मोरारजी देसाई का निधन हो गया था। मोरारजी देसाई को उनकी गांधीवादी सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए भी जाना जात है। वह ऐसे पीएम थे, जिन्होंने देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया था।
भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व पीएम मोरारजी देसाई का 10 अप्रैल को निधन हो गया था। उन्होंने साल 1977 से लेकर 1979 तक भारत के चौथे प्रधानमंत्री के तौर पर कार्य किया था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना योगदान दिया था। मोरारजी देसाई को उनकी गांधीवादी सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए भी जाना जात है। वह ऐसे पीएम थे, जिन्होंने देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया था। वहीं कांग्रेस में रहते हुए वैचारिक मतभेद की वजह से उन्होंने इंदिरा गांधी को 'गूंगी गुड़िया' तक कह दिया था। आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर पूर्व पीएम मोरारजी देसाई के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
गुजरात के भदेली नामक स्थान पर 29 फरवरी 1896 को मोरारजी देसाई का जन्म हुआ था। वह ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता का नाम रणछोड़जी देसाई था, जोकि एक अध्यापक थे। वहीं उनकी मां का नाम वीजाबाई था। मोरारजी देसाई ने सेंट बुसर हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की। फिर साल 1918 में उन्होंने बंबई प्रांत के विल्सन सिविल सेवा से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और 12 सालों तक वह डिप्टी कलेक्टर के तौर पर कार्य किया।
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राजनीतिक सफर
साल 1931 में वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में शामिल हो गए। साल 1931 से 1937 तक वह गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिन थे। साल 1937 में तत्कालीन बॉम्बे प्रांत के मुख्यमंत्री बी.जी. खेर ने मोरारजी को राजस्व, कृषि, वानिकी और सहकारिता मंत्री नियुक्त किया। फिर 1957 से 1980 तक वह लोकसभा के सदस्य के तौर पर सूरत निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। फिर साल 1956 में मोरारजी देसाई को वाणिज्य और उद्योग मंत्री बनाया गया और साल 1967 में वह इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में उप-प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्रालय के प्रभारी मंत्री के तौर पर शामिल हुए।
हालांकि साल 1969 में इंदिरा गांधी ने मोरारजी देसाई से वित्त मंत्रालय वापस ले लिया। लेकिन इससे मोरारजी देसाई के आत्म सम्मान को ठेस पहुंची, क्योंकि इंदिरा गांधी ने उनसे परामर्श कर शिष्टाचार नहीं दिखाया। ऐसे में उनको लगा कि उप-प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है।
भारत के प्रधानमंत्री
बता दें कि राजनीतिक गतिविधियों की वजह से साल 1975 से लेकर 1977 तक मोरारजी देसाई को एकान्त कारावास में रखा गया। फिर उन्होंने जनता पार्टी में हिस्सा लेना शुरूकर दिया। वहीं 1977 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी ने एक अप्रत्याशित चुनाव जीता। वहीं जनता पार्टी के नेताओं ने पीएम के तौर पर मोरारजी देसाई को चुना और इस तरह से उन्होंने साल 1977 में भारत के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में वह चाहते थे कि देश के लोगों को इस हद तक निडर बनाया जाए कि यदि देश में कोई भी व्यक्ति चाहे किसी भी सर्वोच्च पद पर आसानी व्यक्ति की गलती बता सके कि उसने क्या गलत किया है। वहीं दो साल की राजनीतिक अशांति और जनता पार्टी के अंदर की कलह और विभाजन के बाद उन्होंने अविश्वास मत को टालने के लिए 15 जुलाई 1979 में पीएम पद से इस्तीफा दे दिया।
मृत्यु
वहीं 10 अप्रैल 1995 को 99 साल की उम्र में मोरारजी देसाई का निधन हो गया था।
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