KB Hedgewar Death Anniversary: केबी हेडगेवार ने देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया था पूरा जीवन, ऐसे की थी RSS की स्थापना

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नागपुर में तेलुगु बोलने वाले देशस्थ ऋग्वेदी सामान्य ब्राह्मण परिवार में 01 अप्रैल 1889 को के बी हेडगेवार का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम बलिराम पंत हेडगेवार और माता का नाम रेवतीबाई था। इन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा नील सिटी हाई स्कूल नागपुर से की।

आज ही के दिन यानी की 21 जून को राष्ट्रीय स्वयं सेवक के संस्थापक और सरसंघचालक रहे केशव बलिराम हेडगेवार का निधन हो गया था। जब भी हेडगेवार की चर्चा होती है, तो आरएसएस का भी जिक्र आता है। हेडगेवार ने हमेशा हिंदू राष्ट्र की पैरवी की थी। वहीं आजादी की लड़ाई में कांग्रेस से उनका वैचारिक मतभेद रहा है। वह पेशे से डॉक्टर थे और साल 1920 में कांग्रेस से जु़ड़े थे। लेकिन जल्द ही कांग्रेस से मोह भंग हो गया और साल 1925 में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना की। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर केशव बलिराम हेडगेवार के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

नागपुर में तेलुगु बोलने वाले देशस्थ ऋग्वेदी सामान्य ब्राह्मण परिवार में 01 अप्रैल 1889 को के बी हेडगेवार का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम बलिराम पंत हेडगेवार और माता का नाम रेवतीबाई था। इन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा नील सिटी हाई स्कूल नागपुर से की। यहां पर एक अंग्रेजी अधिकारी के निरीक्षण के दौरान हेडगेवार द्वारा वंदेमातरम गीत गाने पर निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा यवतमाल और फिर पुणे से की। मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद कलकत्ता से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की।

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साल 1916 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी होने के बाद हेडगेवार ने एक साल के लिए एप्रेंटिसशिप पूरी की। इसके बाद साल 1917 में हेडगेवार बतौर सामान्य फिजिशियन के रूप में नागपुर वापस आ गए। अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद वह बंगाल का अनुशीलन समिति में भी शामिल हुए थे।

कांग्रेस से मोहभंग

बता दें कि केबी हेडगेवार कांग्रेस में भी सक्रिय तौर पर शामिल हुए, लेकिन वैचारिक मतभेद के कारण उनका जल्द ही कांग्रेस से मोहभंग हो गया। वह अपने समकालीन हिंदू नेताओं से काफी ज्यादा प्रभावित थे। के बी हेडगेवार पर विनायक दामोदर सावरकर की पुस्तक हिंदुत्व, समर्थ रामदास की दशबोध, बंकिम चंद्र चटर्जी और लोकमान्य तिलक की गीता रहस्य का बहुत अधिक प्रभाव रहा। 

संघ की स्थापना

के बी हेडगेवार का मानना था कि भारत की राष्ट्रीयता की पहचान सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से होनी चाहिए। इसलिए उन्होंने साल 1925 में दशहरे के दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक की स्थापना की। इस संघ की स्थापना का मुख्य लक्ष्य हिंदु समुदाय का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनरुत्थान था। जिसके माध्यम से एकीकृत भारत की स्वतंत्रता को प्राप्त किया जा सके। हेडगेवार साल 1936 संघ में महिलाओं की शाखा राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की।

मृत्यु

संघ-शाखा का उद्देश्य सभी बुराइयों से दूर होकर देश के हर व्यक्ति को चरित्र निर्माण और देश सेवा के लिए संगठित करना है। हेडगेवार ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना पूरा जीवन देश को समर्पित कर दिया था। यहां तक की इसके लिए उन्होंने अपने स्वास्थ्य तक की परवाह नहीं की और उनको गंभीर बीमारी ने घेर लिया। तेज बुखार होने के बाद भी के बी हेडगेवार कार्य करते रहे। वहीं 21 जून 1940 को के बी हेडगेवार की आत्मा अनंत में विलीन हो गई।

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