पेरिस ओलंपिक के लिए भारतीय ध्वजवाहक बने Sharath Kamal, ओलंपिक पदक का सूखा खत्म करने की होगी चुनौती

Sharath Kamal
प्रतिरूप फोटो
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Anoop Prajapati । Jul 13 2024 8:02PM

पेरिस ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय टेबल टेनिस के दिग्गज खिलाड़ी शरत कमल को ध्वजवाहक बनाया गया है। चार कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड, दो एशियन गेम्स के मेडल्स, तीन ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने के साथ साथ दो आईटीटीएफ प्रो टूर खिताबों के साथ, शरत कमल यकीनन भारतीय इतिहास के अब तक के सर्वश्रेष्ठ टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं।

इसी महीने पेरिस में होने जा रहे ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय टेबल टेनिस के दिग्गज खिलाड़ी शरत कमल को ध्वजवाहक बनाया गया है। चार कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड, दो एशियन गेम्स के मेडल्स, तीन ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने के साथ साथ दो आईटीटीएफ प्रो टूर खिताबों के साथ, शरत कमल यकीनन भारतीय इतिहास के अब तक के सर्वश्रेष्ठ भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं। राष्ट्रीय टीम से उन्हें बुलावा 2002 के कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले आया, जहां उन्हें 16-सदस्यीय संभावित प्रशिक्षण शिविर के लिए चुना गया था। शरत कमल को 20 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत करने के लिए यही ब्रेक चाहिए था। शिविर के अनुभव ने उन्हें आत्मविश्वास दिया और शीर्ष स्तर के खिलाड़ियों के संपर्क ने उन्हें बेहतर बनाया।

अचंत शरत कमल का जन्म 12 जुलाई 1982 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। यह शहर अपने टेबल टेनिस कौशल और कई राष्ट्रीय चैंपियनों के लिए जाना जाता है। टेबल टेनिस शरत के परिवार के जीन में था और उन्हें इससे मदद भी मिली। शरत के पिता श्रीनिवास राव और चाचा मुरलीधर राव ने अपने शुरुआती दिनों में टेबल टेनिस खेला था और फिर उन्होंने कोचिंग में हाथ आजमाया। शरत कमल ने चार साल की उम्र में इस खेल को खेलना शुरू किया। हालांकि, उन्होंने आयु-वर्ग की श्रेणियों को चुनौतीपूर्ण पाया और 15 साल की उम्र में उन्हें एक कठिन निर्णय लेना पड़ा। इस दौरान वह या तो अपनी पढ़ाई जारी रख सकते थे या खेल में अपना करियर बना सकते थे। अब या तो उनके पास इंजीनियर बनने का मौका था या एक खिलाड़ी। 

शरत कमल ने टेबल टेनिस को चुना और अब इसे अपने करियर के सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में से एक मानते हैं। उनके पिता और चाचा ने युवा को कोचिंग देना शुरू किया, लेकिन शरत को फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस खिलाड़ी की खेलने की शैली आक्रामक थी, जिसकी वह से वह कभी निरंतरता हासिल नहीं कर सके। राष्ट्रीय टीम से उन्हें बुलावा 2002 के कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले आया, जहां उन्हें 16-सदस्यीय संभावित प्रशिक्षण शिविर के लिए चुना गया था। शरत कमल को 20 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत करने के लिए यही ब्रेक चाहिए था। शिविर के अनुभव ने उन्हें आत्मविश्वास दिया और शीर्ष स्तर के खिलाड़ियों के संपर्क ने उन्हें बेहतर बनाया। 

उन्होंने 2002 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई और हालांकि फाइनल में उन्हें हार जरूर मिली लेकिन इसके बावजूद उन्हें राष्ट्रीय टीम में शामिल कर लिया गया। शरत कमल ने 2003 में अपना पहला राष्ट्रीय खिताब जीता। इसके अलावा 2004 कॉमनवेल्थ टेबल टेनिस चैंपियनशिप में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक अपने नाम किया। 2004 एथेंस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद करियर का ग्राफ अपने चरम पर पहुंच गया। 2004 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, उन्होंने लगातार पांच राष्ट्रीय खिताब जीते। मेलबर्न में 2006 के कॉमनवेल्थ गेम्स में एक ऐतिहासिक एकल स्वर्ण पदक और पुरुषों की टीम स्पर्धा में एक और स्वर्ण ने शरत के उस साल को यादगार बना दिया था। साल 2010 में शरत कमल आईटीटीएफ प्रो टूर खिताब जीतने वाले पहले भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी बने। 

इस दिग्गज खिलाड़ी ने 2010 में दो और कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड जीते, जिनमें एक मेंस टीम के साथ आया तो दूसरा उन्होंने मेंस डबल्स में जीता। इसके बाद उनके प्रदर्शन में गिरावट देखने को मिली और वह 2012 के लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में भी फेल रहे। हालांकि, उन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करके फॉर्म में वापसी कर ली और इसके तुरंत बाद शरत कमल के करियर का सबसे अच्छा पल आया। शरत ने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में एक स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक जीते। शरत कमल ने 2018 एशियन गेम्स में भी दो कांस्य पदक जीते। साल 2019 में, अनुभवी शरत कमल ने अपनी सर्वश्रेष्ठ 30वीं रैंकिंग हासिल की। साल 2020 में 37 साल की उम्र में, शरत कमल ने ओमान ओपन में अपना दूसरा अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता। यह इस दशक में उनका केवल दूसरा खिताब था। टोक्यो 2020 में, उन्होंने चौथी बार देश का प्रतिनिधित्व किया। बढ़ती उम्र के बावजूद, शरत कमल ने 2021 एशियन टेबल टेनिस चैंपियनशिप में पुरुषों की टीम और पुरुष युगल स्पर्धाओं में कांस्य अपने नाम किया।

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