Paris Paralympics 2024: पावरलिफ्टर में भारत रहा खाली हाथ, पावरलिफ्टर सकीना खातून सातवें, परमजीत आठवें स्थान पर रहे

 Sakina Khatun and Parmjeet Kumar
प्रतिरूप फोटो
Social Media

पावरलिफ्टर सकीना खातून और परमजीत कुमार बुधवार को यहां पेरिस पैरालंपिक में अपने-अपने भार वर्ग में क्रमश: सातवें और आठवें स्थान पर रहते हुए पदक जीतने में नाकाम रहे। राष्ट्रमंडल खेल 2014 की कांस्य पदक विजेता 35 वर्षीय सकीना अपने तीन प्रयासों में केवल एक ही बार सफलतापूर्वक वजन उठा सकीं।

भारतीय पावरलिफ्टर सकीना खातून और परमजीत कुमार बुधवार को यहां पेरिस पैरालंपिक में अपने-अपने भार वर्ग में क्रमश: सातवें और आठवें स्थान पर रहते हुए पदक जीतने में नाकाम रहे। राष्ट्रमंडल खेल 2014 की कांस्य पदक विजेता 35 वर्षीय सकीना अपने तीन प्रयासों में केवल एक ही बार सफलतापूर्वक वजन उठा सकीं।

महिलाओं की 45 किग्रा स्पर्धा में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रयास 86 किग्रा रहा। वह अपने दूसरे और तीसरे प्रयास में क्रमशः 90 किग्रा और 92 किग्रा वजन उठाने में विफल रहीं। एशियाई पैरा खेल 2018 की रजत पदक विजेता सकीना ने तीन साल पहले तोक्यो खेलों में 93 किग्रा भार उठाया था। उन्हें बचपन में पोलियो हो गया था। चीन की लिंगलिंग गुओ ने 123 किग्रा का विश्व रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता।

पुरुषों की 49 किग्रा स्पर्धा में प्रतिस्पर्धा करते हुए परमजीत अपने पहले प्रयास में 150 किग्रा के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ नौ खिलाड़ियों के बीच आठवें स्थान पर रहे। दो साल की उम्र में दोनों पैरों में पोलियो होने के कारण परमजीत को बचपन से ही बैसाखी, व्हीलचेयर और तिपहिया वाहन का सहारा लेना पड़ा।

सकीना की तरह 2018 एशियाई पैरा खेलों के कांस्य पदक विजेता परमजीत भी सिर्फ एक बार वैध तरीके से भार उठा पाए। पावरलिफ्टिंग उन खिलाड़ियों के लिए होता है जिनके पैरों या कूल्हों में कोई शारीरिक कमी है, जो उन्हें सक्षम (खड़े होकर) भारोत्तोलन में प्रतिस्पर्धा करने से रोकती है। पावरलिफ्टिंग में केवल एक ही खेल वर्ग है, लेकिन खिलाड़ी अलग-अलग भार श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा करते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़