योगी, प्रियंका, अखिलेश सब मैदान में, लेकिन BSP इस चुनाव में है कहां? प्रतिद्वंद्वी भी मायावती की कमी कर रहे हैं महसूस
कभी यूपी में बीजेपी को 51 सीटों पर सिमेट देने वाली बीएसपी आज खुद सूबे की सियासत से गायब दिख रही है। जिसने राजनीतिक पंडितों से लेकर प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों को भी हैरान कर दिया है।
ऐसे समय में जब उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख राजनीतिक दल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूरे दम-खम से लगे हैं वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती को अभी चुनावी बिगुल फूंकना बाकी है। चुनावी विश्लेषक हो या उनके विरोधी भी ये समझ नहीं पा रहे हैं कि पिछले 3 दशकों में 4 बार यूपी को मुख्यमंत्री देने वाली बीएसपी इस बार के चुनाव में है कहां हैं। वो भी ऐसे वक्त में जब प्रदेश में चुनाव होने में कुछ ही हफ्ते शेष रह गए हैं। मुरादाबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मायावती पर कटाक्ष किया।
बहन जी की तो अभी ठंड ही नहीं गयी
अमित शाह ने बसपा सुप्रीमो पर तंज कसते हुए कहा कि बहन जी की तो अभी ठंड ही नहीं गयी है। अरे चुनाव आ गया है, बहन जी थोड़ा बाहर भी आ जाओ। इसके साथ ही अमित शाह ने कहा ये सपा बसपा, सपा ये बुआ, बबुवा 15 साल राज किए, क्या हाल किए थे, उत्तर प्रदेश का लोग पलायन करने लगे थे, आज पलायन करने वाले पलायन कर गए।
प्रियंका ने भी उठाए सवाल
मायावती की गैरमौजूदगी पर यूपी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी हैरानी जताई है। 23 दिसंबर को नई दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों के बीच कांग्रेस पिछले कुछ वर्षों से लोगों के मुद्दों को उठाने में सबसे आगे रही है। उन्होंने कहा, "यदि आप पिछले दो वर्षों में उत्तर प्रदेश में सभी विपक्षी दलों को देखें, तो कांग्रेस के अलावा किसी ने भी कोई आंदोलन नहीं किया, सड़कों पर नहीं आया या लोगों के मुद्दों को नहीं उठाया। प्रियंका ने कहा कि इसके पीछे का कारण मेरी समझ से परे है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मायावती इतनी चुप क्यों हैं?
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बीजेपी ने सबसे पहले फूंका चुनावी बिगुल
फरवरी-मार्च में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बजाने वाली पहली पार्टी बीजेपी ही रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई महीनों से राज्य में कई विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास कर रहे हैं। इनके अलावा अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जैसे कई बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री राज्य में काफी समय बिता रहे हैं, रणनीति बना रहे हैं और सार्वजनिक रैलियां कर रहे हैं। भाजपा अपने विकास कार्यों को दिखाने, अपनी हिंदू विचारधारा और कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर हुई प्रगति को दिखाने में जुटी है।
अखिलेश की विजय रथ यात्रा
अखिलेश यादव ने 17 नवंबर को गाजीपुर से अपनी 'विजय रथ यात्रा' शुरू की थी। तब से वह विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करने और सार्वजनिक रैलियों को आयोजित करने में व्यस्त हैं। सपा प्रमुख भाजपा को निशाने पर ले रहे हैं और सत्ताधारी पार्टी द्वारा अपना दावा किए जा रहे सभी विकास कार्यों का श्रेय ले रहे हैं। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार 2012 और 2017 के बीच एक्सप्रेसवे और सड़कों पर हवाई जहाज उतारने पर उनकी सरकार के कार्यों की नकल कर रही है।
कांग्रेस भी अपनी खोई जमीन वापस पाने में लगी
बीते दो दशकों से सभी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में चौथे नंबर पर रही कांग्रेस ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी है। प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी पिछले कुछ समय से प्रदेश की राजनीति में लगातार सक्रिय रही हैं। वह लखीमपुर खीरी जैसी विभिन्न हिंसक घटनाओं के पीड़ितों से मिलने गईं थीं। यहां तक कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के ओपी राजभर और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जयंत चौधरी जैसे छोटे दलों के अध्यक्ष, जिन्होंने अखिलेश यादव से हाथ मिलाया है, अपने-अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में रैलियां करने में व्यस्त हैं।
कभी यूपी में बीजेपी को 51 सीटों पर सिमेट देने वाली बीएसपी आज खुद सूबे की सियासत से गायब दिख रही है। जिसने राजनीतिक पंडितों से लेकर प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों को भी हैरान कर दिया है।
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