झाड़ू को मिलेगा हाथ का साथ, दिल्ली में सीटों पर बनेगी बात!
दिल्ली में कांग्रेस की कमान संभाल रहीं शीला दीक्षित आप के साथ चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है। लेकिन कांग्रेस के कुछ नेता आप के साथ गठबंधन को लेकर पॉजिटिव दिख रहे हैं। फिलहाल, दोनों पार्टियों के गठबंधन को लेकर सस्पेंस बरकरार है। बीते दिनों घोषणा पत्र जारी करने के दौरान पत्रकारों से बातचीत में भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन के सवाल पर सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि दिल्ली में आप के साथ गठबंधन को लेकर कोई उलझन नहीं हैं और इस दिशा में सभी रास्ते खुले हैं।
चुनावी आगाज के साथ सभी दल लोकतंत्र के इस महापर्व में अपने-अपने तरकश के तीर आजमाने की कवायद में लगे हैं। देश की राजधानी दिल्ली में भी भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस केंद्र शासित प्रदेश की सभी सात सीटों को अपना बनाने का दावा करती नजर आ रही है। लेकिन इन तमाम दावों के बीच दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा या नहीं, दोनों दल एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे या नहीं ? यह एक पहेली बनकर रह गई है जिसका जवाब फिलहाल कांग्रेस व आप कार्यकर्ताओं के पास नजर नहीं आ रहा है।
लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन को लेकर कभी हां कभी ना की स्थिति चुनाव के तारीखों के ऐलान के बाद भी बरकरार है। दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल दिल्ली सहित हरियाणा और पंजाब में गठबंधन को लेकर लगातार कोशिशों में जुटे हैं। वहीं दिल्ली में कांग्रेस की कमान संभाल रहीं शीला दीक्षित आप के साथ चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है। लेकिन कांग्रेस के कुछ नेता आप के साथ गठबंधन को लेकर पॉजिटिव दिख रहे हैं। फिलहाल, दोनों पार्टियों के गठबंधन को लेकर सस्पेंस बरकरार है। बीते दिनों घोषणा पत्र जारी करने के दौरान पत्रकारों से बातचीत में भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन के सवाल पर सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि दिल्ली में आप के साथ गठबंधन को लेकर कोई उलझन नहीं हैं और इस दिशा में सभी रास्ते खुले हैं। हालांकि दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित अब भी इसके विरोध में हैं।
राहुल के साथ फिर हुई बैठक
दिल्ली में आप के साथ गठबंधन करने के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर बैठक की। बैठक में केवल शीला दीक्षित और प्रदेश प्रभारी पीसी चाको को बुलाया गया था। करीब 20 मिनट की इस बैठक में राहुल ने दोनों से पूछा कि, हम दिल्ली में कितनी सीटें जीत सकते हैं और अगर जीत नहीं सकते तो कितनी सीटों पर नंबर दो की स्थिति हासिल कर सकते हैं? इसके जवाब में शीला ने जहां दो तीन सीटें कहा वहीं चाको ने मौजूदा सियासी समीकरणों के मद्देनजर इसे बहुत ही मुश्किल बताया। उन्होंने शक्ति एप की सर्वे रिपोर्ट भी पेश की और कहा कि गठबंधन नहीं होने पर सातों सीटें भाजपा को चली जाएंगी। इसके बाद राहुल ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि या तो सातों सीटें जीतिए, नहीं जीत सकते तो आप गठबंधन को तैयार है जाएं।
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गठबंधन पर कांग्रेस कन्फ्यूज
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस 2019 में फिर से सरकार बनाने का सपना तो संजोया हुआ है लेकिन दिल्ली को लेकर पार्टी के भीतर ही असमंजस की स्थिति बरकरार है। दिल्ली की कमान संभाल रही शीला दीक्षित 2013 में आप संयोजक के हाथों मिली पराजय और केजरीवाल द्वारा उनपर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को आज तक नहीं भूल पाई हैं। इसलिए शुरुआती दौर में ही आप से गठबंधन की बात पर शीला दीक्षित ने साफ इनकार कर दिया था। शीला ने यहां तक कह दिया कि आप से गठबंधन कर कांग्रेस को भविष्य में नुकसान झेलना पड़ सकता है। लेकिन शीला के इस फैसले से इनकी पार्टी के भीतर ही विरोध है। आप से गठबंधन नहीं होने की सूरत में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन द्वारा लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार की खबरों ने भी कांग्रेस के सिरदर्द को बढ़ाने का ही काम किया है।
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गठबंधन को आतुर केजरीवाल का
चुनावी रैलियों से लेकर तमाम जगहों पर अरविंद केजरीवाल कहते नजर आते हैं कि 'हम कांग्रेस को मना मना कर थक गए कि गठबंधन कर लो गठबंधन कर लो। उनकी समझ में नहीं आ रहा। पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गठबंधन को लेकर पूरी तैयारी कर ली है। उन्होंने गठबंधन का पूरा फॉर्मूला भी सेट कर दिया है। आप की तरफ से कांग्रेस को प्रस्ताव दिया गया था। जिसमें दिल्ली की पांच सीटों पर आम आदमी पार्टी व 2 सीटें कांग्रेस को देने के साथ ही हरियाणा और पंजाब के लिए भी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला दिया था।
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दिल्ली के चुनावी आंकड़े पर एक नजर
लोकसभा चुनाव 2014 के आंकड़ों पर नजर डालें तो दिल्ली में भाजपा ने सभी 7 लोकसभा सीटों पर कब्जा किया था। भाजपा का वोट शेयर 46.63 प्रतिशत था। वहीं आम आदमी पार्टी का 33.08 प्रतिशत और कांग्रेस का वोट प्रतिशत 15.2 था।
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