Prajatantra: दिल्ली में जलसंकट क्यों है, सियासी लड़ाई के बीच लोगों को राहत का इंतजार
शहर अपनी पीने के पानी की बड़ी मांग को पूरा करने के लिए काफी हद तक पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। यमुना की ऊपरी पहुंच, कैरियर लाइन्ड चैनल (सीएलसी) मुनक, हरियाणा से दिल्ली उप-शाखा (डीएसबी) नहरों और उत्तर प्रदेश से मुरादनगर के माध्यम से ऊपरी गंगा नहर का पानी नौ जल उपचार संयंत्रों के माध्यम से घरों तक पहुंचता है।
क्या आप जानते हैं कि जल संकट से जूझ रहे दुनिया के 20 सबसे बड़े शहरों में से पांच भारत में हैं? वहीं, इस सूची में दिल्ली दूसरे स्थान पर है। यह 2019 में नीति आयोग द्वारा जारी समग्र जल प्रबंधन सूचकांक के अनुसार है। देश की राष्ट्रीय राजधानी लंबे समय से जल संकट से जूझ रही है। शहर अपनी पीने के पानी की बड़ी मांग को पूरा करने के लिए काफी हद तक पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। यमुना की ऊपरी पहुंच, कैरियर लाइन्ड चैनल (सीएलसी) मुनक, हरियाणा से दिल्ली उप-शाखा (डीएसबी) नहरों और उत्तर प्रदेश से मुरादनगर के माध्यम से ऊपरी गंगा नहर का पानी नौ जल उपचार संयंत्रों के माध्यम से घरों तक पहुंचता है। लेकिन यह शहर की कुल पानी की ज़रूरत से बहुत दूर है।
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पानी की कमी के मुख्य कारण
दिल्ली में प्रतिदिन 1,290 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी की मांग है, जिसमें से दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) वर्तमान में 1,000 एमजीडी का उत्पादन करता है। यह अंतर दिल्ली के भूजल भंडार से पूरा होता है। हाल के वर्षों में दिल्ली के पानी के कोटे में बाहरी बढ़ोतरी के अभाव में, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) पिछले पांच वर्षों में भूजल निकासी में लगातार वृद्धि कर रहा है। डीजेबी के सूत्रों के अनुसार, डीजेबी के सूत्रों के अनुसार, जल बोर्ड ने दिल्ली की बढ़ती पानी की मांग को पूरा करने के लिए, 135 एमजीडी की वर्तमान निकासी के अलावा, अतिरिक्त 23.45 एमजीडी भूजल निकालने के लिए 1,034 ट्यूबवेल जोड़ने की योजना बनाई है। इसका परिणाम: पानी की खराब गुणवत्ता, जल स्तर में कमी और भविष्य में जल आपूर्ति के लिए खतरा है। यमुना में उच्च अमोनिया स्तर ने लंबे समय से दिल्ली के कुछ हिस्सों में खराब जल आपूर्ति में योगदान दिया है। दिल्ली में अकुशल जल प्रबंधन भी पानी की कमी के मुख्य कारणों में से एक है। वहीं, हरियाणा और दिल्ली के बीच जल विवाद यमुना नदी के पानी के आवंटन को लेकर केंद्रित है।
आप सरकार का दावा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से आग्रह किया कि वह हरियाणा और उत्तर प्रदेश की अपनी सरकारों से राष्ट्रीय राजधानी को एक महीने तक पानी उपलब्ध कराने के लिए कहे। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राजनीति करने का समय नहीं है। उन्होंने कहा, अगर भाजपा हरियाणा और उत्तर प्रदेश की अपनी सरकारों से बात करके एक महीने के लिए दिल्ली को कुछ पानी दिलवा दे तो दिल्ली वाले भाजपा के इस कदम की खूब सराहना करेंगे। जल संसाधन मंत्री आतिशी का दावा है कि हरियाण द्वारा पानी रोकने की वजह से शहर के कई हिस्सों में जल संकट उत्पन्न हो गया है। दिल्ली सरकार ने जल संकट से जूझ रही राष्ट्रीय राजधानी को अधिक पानी की आपूर्ति करने के लिए हरियाणा को निर्देश देने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
भाजपा का आरोप
दिल्ली भाजपा ने राष्ट्रीय राजधानी में जल संकट को लेकर शहीदी पार्क से दिल्ली सचिवालय तक प्रदर्शन मार्च निकाला। नई दिल्ली लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार बांसुरी स्वराज ने कहा कि आप सरकार ने कृत्रिम जल संकट पैदा कर दिया है। दिल्ली जल बोर्ड 2013 में 600 करोड़ रुपये के फायदे में था। फिलहाल यह 73,000 करोड़ रुपये के घाटे में है। अरविंद केजरीवाल की सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली में जल संकट अरविंद केजरीवाल के कुप्रबंधन का नतीजा है। उन्होंन कहा कि वे 2000 रुपये का जुर्माना लगा रहे हैं, यह जुर्माना नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार करने का एक और तरीका है। ये टैंकर माफियाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। अरविंद केजरीवाल का हर विधायक टैंकर माफियाओं के साथ मिलकर दिल्ली की जनता को पानी बेच रहा है और उन्हें लूट रहा है।
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क्या है स्थिति
दिल्ली में जल संकट इतना गंभीर हो गया है कि उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में लोग खाली बाल्टियां लेकर पानी के टैंकरों की ओर भागते नजर आ रहे हैं, यहां तक कि कुछ लोग तो अपनी बाल्टी भरने के लिए धक्का मुक्की करते नजर आ रहे हैं। दिल्ली सरकार ने कार धोने और निर्माण स्थलों पर पीने योग्य पानी के उपयोग पर प्रतिबंध सहित कई आपातकालीन उपायों की घोषणा की है, वहीं चाणक्यपुरी के संजय कैंप में लोग टैंकरों से पानी भरने के लिए फुटपाथों पर कतार में खड़े नजर आए। यही स्थिति चाणक्यपुरी के ही विवेकानंद कॉलोनी में देखने को मिली जब लोग पानी भरने के लिए टैंकर पर चढ़ गए।
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