Prabhasakshi Exclusive: जम्मू डिवीजन में क्यों बढ़ रहा आतंकवाद, पुंछ-राजौरी इलाके में कहां हो रही चूक?
ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी (आर) जी ने कहा कि मैं खुद 1995 से लेकर 1997 तक राजौरी और पुंछ के इलाके में रहा हूं। इस दौरान हमने आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए कई बड़े एक्शन करने पड़े थे।
प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी (आर) जी से हमने हाल के दिनों में कश्मीर में बढ़े आतंकवाद की घटनाओं को लेकर सवाल पूछा। हमने पूछा जिस तरीके से कश्मीर में ऊपरी हिस्सों में आतंकवाद की घटनाओं में कमी हुई है लेकिन जिन क्षेत्रों में आतंकवाद की घटनाएं नहीं थी वहां बढ़ोतरी देखी जा रही है इसके पीछे की वजह क्या है? इसको लेकर कहां चूक हो रही है? इसके जवाब में ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि घाटी में आतंकवाद लगातार रहा है जबकि राजौरी और पुंछ के इलाके में पिछले कुछ सालों में आतंकी घटनाओं में लगातार कमी रही है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि इन इलाकों में आतंकी घटनाएं नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि अभी कश्मीर घाटी में ठंड का मौसम है, बर्फबारी पढ़ने की संभावनाएं रहती है इसलिए आतंकवादियों की ओर से निचले इलाकों में अपने प्लान को अंजाम देने की कोशिश की जाती है।
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ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी (आर) जी ने कहा कि मैं खुद 1995 से लेकर 1997 तक राजौरी और पुंछ के इलाके में रहा हूं। इस दौरान हमने आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए कई बड़े एक्शन करने पड़े थे। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने इस बात को भी स्वीकार किया कि पीर पंजाल के बेस में मिलिटेंस ने अपना बहुत बड़ा अड्डा बनाया हुआ था, उसे भी हमने ध्वस्त करने में कामयाबी हासिल की थी। उन्होंने कहा कि 2004-05 आते-आते इन इलाकों से मिलिटेंसी खत्म हो गई थी। उन्होंने कहा कि मैं दोबारा 2007 से 2009 तक इन इलाकों में था और इस दौरान वहां जनजीवन पूरी तरीके से सामान्य हो चुका था। लगातार विकास के कार्य किया जा रहे थे। सड़कों का निर्माण हुआ, पूलों का निर्माण हुआ, स्कूल-कॉलेज भी काफी मात्रा में बने। इसके बाद सभी को लगा कि अब इन इलाकों में शांति स्थापित हो चुकी है।
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इसके बाद डी.एस.त्रिपाठी ने कहा कि कहीं तो कुछ कमी हुई है तभी इस तरह के वारदात इन इलाकों में फिर से शुरू हुई है। उन्होंने कहा कि यह कमी हमारे फौजी की है, या हमारे सिस्टम की है, इस पर गौर करने की जरूरत है। उन्होंने इस बात को भी कहा कि हो सकता है कि जो हमारे सुरक्षा एजेंसी हैं, वह भी इन इलाकों को लेकर थोड़े ढीले पड़ गए होंगे। लेकिन आमतौर पर ऐसा होता नहीं है। शायद इस वजह से भी मामलों में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि सितंबर में भी इन्हीं इलाकों में हमारे जवान मारे गए थे। अब भी यही हुआ है। उन्होंने कहा कि इन इलाकों से फौज में कमी की गई थी। शायद इस वजह से भी इस तरह की घटनाएं देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए खुफिया एजेंसियों के साथ-साथ भारतीय सेना और पैरामिलिट्री फोर्स को एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
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