Indian Air Force और Indian Navy का पूरा ध्यान Indian Ocean Region पर क्यों लगा है? चीन की चीख निकालने के लिए क्या तैयारी चल रही है?
सैन्य रूप से खुद को मजबूत करने के लिए उठाये जा रहे कदमों की बात करें तो आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना के SU-30 MKI लड़ाकू विमानों के एक बेड़े ने हिंद महासागर क्षेत्र में आठ घंटे तक एक रणनीतिक मिशन को अंजाम दिया।
आपने वह खबर देख या पढ़ ली होगी कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आंतरिक मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र में सीमा प्रबंधन और नियंत्रण का जायजा लेने के दौरान सैनिकों से सीमा रक्षा में नयी मिसाल कायम करने को कहा है। जिनपिंग ने सीमा पर तैनात चीनी सैनिकों से देश की सीमाओं पर ‘‘फौलादी ताकत’’ बनने के लिए सीमा रक्षा और नियंत्रण में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने का आह्वान भी किया है। आपने वह खबर भी पढ़ ली होगी कि खस्ताहाल पाकिस्तान ने अपने रक्षा बजट में 16 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि कर दी है। ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि चीन से बढ़ती चुनौतियों के बीच भारत क्या नये कदम उठा रहा है? इसका जवाब है कि भारत वो कदम उठा रहा है जिससे आने वाले वर्षों में चीन की चीख निकलना तय है। भारत खासतौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की नकेल कसने के लिए रणनीतिक और सैन्य रूप से जो कदम उठा रहा है वह बड़ा असर छोड़ने वाले हैं।
भारतीय वायुसेना का अभ्यास
सैन्य रूप से खुद को मजबूत करने के लिए उठाये जा रहे कदमों की बात करें तो आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना के SU-30 MKI लड़ाकू विमानों के एक बेड़े ने हिंद महासागर क्षेत्र में आठ घंटे तक एक रणनीतिक मिशन को अंजाम दिया। इस मिशन से जुड़े लोगों ने बताया कि एसयू-30एमकेआई लड़ाकू विमानों ने हिंद महासागर के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में उड़ान भरी और इससे लंबी दूरी के मिशन को अंजाम देने की उसकी परिचालन क्षमता प्रदर्शित हुई। आईएएफ ने ट्वीट किया, ‘‘हिंद महासागर क्षेत्र में एक और यात्रा! इस बार, आईएएफ एसयू-30 ने लगभग आठ घंटे की उड़ान एक अलग धुरी पर भरी। इस मिशन के तहत दोनों समुद्र तटों को शामिल किया गया।’’ हम आपको बता दें कि इससे पहले चार राफेल विमानों द्वारा इसी तरह का मिशन चलाया गया था। राफेल लड़ाकू विमान से जुड़े छह घंटे के मिशन को पिछले महीने हिंद महासागर के पूर्वी क्षेत्र में अंजाम दिया गया था। भारतीय वायुसेना ने इन दो मिशन को ऐसे समय पर अंजाम दिया है, जब चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। वायुसेना ने हालांकि इन दोनों मिशन के पूर्ण विवरण का खुलासा नहीं किया है। हम आपको बता दें कि राफेल लड़ाकू विमान कई शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम हैं।
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नौसेना की तैयारी
दूसरी ओर, हिंद महासागर में चीन से बढ़ती चुनौतियों के बीच भारतीय नौसेना ने अरब सागर में एक मिशन को अंजाम दिया है, जिसके तहत दो विमान वाहक, कई युद्धपोत, पनडुब्बियों और 35 से अधिक अग्रिम पंक्ति के विमानों ने हिस्सा लिया। नौसेना के अधिकारियों ने कहा कि विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत इस अभ्यास के केंद्रबिंदु थे। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, "अभ्यास हिंद महासागर और उससे आगे समुद्री सुरक्षा व शक्ति-प्रक्षेपण को बढ़ाने की भारतीय नौसेना की कोशिशों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।" अधिकारियों ने कहा कि यह अभ्यास हाल ही में आयोजित किया गया।
नौसेना की बढ़ी ताकत
इसके अलावा, भारतीय नौसेना के स्वदेश में विकसित भारी वजन वाले टॉरपीडो ने इस सप्ताह पानी के भीतर एक लक्ष्य को सफलतापूर्वक निशाना बनाया। नौसेना ने इस सफलता को ‘‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’’ करार दिया है। नौसेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि टॉरपीडो के अचूक निशाने से आत्मनिर्भरता के जरिए भविष्य की उत्कृष्ट युद्ध तैयारियों के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का पता चलता है। बयान में कहा गया है कि स्वदेशी रूप से विकसित भारी वजन वाले टॉरपीडो द्वारा पानी के भीतर लक्ष्य को निशाना बनाया जाना पानी के नीचे के क्षेत्र में लक्ष्य को नष्ट करने संबंधी आयुध की सटीक प्रदायगी की भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ललक को दिखाने वाला एक ‘‘महत्वपूर्ण मील का पत्थर’’ है। नौसेना ने कहा, ‘‘यह आत्मनिर्भरता के माध्यम से भविष्य की युद्ध तैयारियों के प्रमाण के प्रति हमारी वचनबद्धता को प्रदर्शित करता है।’’ हम आपको बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से नौसेना संबंधित क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती आक्रामकता के मद्देनजर विशेष रूप से हिंद महासागर में अपनी युद्ध तैयारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
अग्नि प्राइम का जवाब नहीं
इसके अलावा, भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम नयी पीढ़ी की ‘अग्नि प्राइम’ मिसाइल का ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक रात्रिकालीन परीक्षण कर देश के सामरिक महत्व की हथियार प्रणाली को मजबूती दी है। अधिकारियों ने बताया है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की सामरिक बल कमान ने 1,000 से 2,000 किलोमीटर (किमी) तक की मारक क्षमता वाली मिसाइल का पहला ‘प्री-इंडक्शन’ (सशस्त्र बलों में शामिल किये जाने से पहले) रात्रिकालीन परीक्षण किया। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि परीक्षण ने सभी वांछित लक्ष्यों को पूरा किया और इस तरह इसने इस हथियार को सशस्त्र बलों में शामिल किये जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच मिसाइल का यह परीक्षण किया गया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘‘नयी पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि प्राइम’ का डीआरडीओ ने ओडिशा तट पर स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफल परीक्षण किया गया।’’ बयान में कहा गया है, ‘‘मिसाइल के तीन सफल विकासात्मक परीक्षणों के बाद इसे सशस्त्र बलों में शामिल किये जाने से पूर्व उपयोगकर्ता द्वारा किया गया यह पहला रात्रिकालीन परीक्षण था, जो इसकी सटीकता और इस पर विश्वसनीयता को मान्यता देता है।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘परीक्षण के लिए रडार, टेलीमेट्री, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे उपकरण विभिन्न स्थानों पर लगाये गये थे।’’ हम आपको बता दें कि अग्नि-5 की जद में चीन का सुदूर उत्तर क्षेत्र और यूरोप के कुछ क्षेत्र सहित पूरा एशिया आ जाएगा। अग्नि-1 से अग्नि-4 तक, मिसाइलों की रेंज 700 किमी से लेकर 3,500 किमी तक है और उन्हें पहले ही तैनात किया जा चुका है।
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