Prajatantra: राजनीति के केंद्र में क्यों आ जाते हैं हिंदू धर्म ग्रंथ, Ramcharitmanas के बाद अब Mahabharat की बारी!
वर्तमान समय में देखें तो नेताओं के बयान और फिल्मों को लेकर भी सवाल खड़े हुए हैं। हालांकि, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर कुछ चीजों को जायज ठहरा भी दिया जाता है तो कुछ चीज समाज के लिए गलत साबित होने लगती हैं।
जब भी भारत का जिक्र होता है तो इसके विविधता की बात होती है। इसके एकता के बाद होती है। इसके धर्मनिरपेक्षता की बात होती है। अगर यूं कहें कि दुनिया में अगर किसी देश में सबसे ज्यादा धर्मों के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं तो उसमें भारत का नाम ही सबसे ऊपर होगा। भारत की यही खासियत है। यही हमारे देश भारत को दुनिया के बाकी देशों की तुलना में अलग खड़ा करता है। यह हमारी आज भी मजबूत कड़ी है और पहले भी रही है। हालांकि, यह बात भी सच है इस समय-समय पर हमारे यहां के सामाजिक सद्भावना को बिगाड़ने की भी कोशिश हुई है। वर्तमान समय में देखें तो नेताओं के बयान और फिल्मों को लेकर भी सवाल खड़े हुए हैं। हालांकि, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर कुछ चीजों को जायज ठहरा भी दिया जाता है तो कुछ चीज समाज के लिए गलत साबित होने लगती हैं।
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भूपेन बोरा का विवादित बयान
वर्तमान में देखें तो असम कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने जो बयान दिया है उससे कहीं ना कहीं हिंदू भावनाओं को आहत पहुंच सकती है। उनके बयान को लेकर अब मामला गर्म होता जा रहा है। सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि भूपेन बोरा ने क्या कहा। बोरा ने कहा, ‘‘प्यार और जंग में सब कुछ जायज है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में कृष्ण का रुक्मणी को भगाकर ले जाने समेत कई कहानियां हैं और मुख्यमंत्री को आज के दौर में विभिन्न धर्मों तथा समुदायों के लोगों के बीच शादियों को लेकर विरोध का राग नहीं अलापना चाहिए।’’ भूपेन बोरा ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, ''जब भगवान कृष्ण रुक्मिणी से विवाह करना चाहते थे, तब अर्जुन एक महिला के भेष में आए थे। महाभारत में भी लव जिहाद था।”
हिमंत विश्व सरमा भड़के
बोरा के बयान की निंदा करते हुए हिमंत ने कहा कि यह टिप्पणी सनातन और हिंदू धर्म के खिलाफ है। मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि भगवान कृष्ण और रुक्मिणी के विषय को घसीटना निंदनीय है। यह सनातन धर्म के विरुद्ध है। मैं कांग्रेस से अनुरोध करता हूं कि जिस तरह हम हजरत मुहम्मद या ईसा मसीह को किसी विवाद में नहीं घसीटते, उसी तरह हमें भगवान कृष्ण को भी किसी विवाद में घसीटने से बचना चाहिए। भगवान की तुलना आपराधिक गतिविधि से करना स्वीकार्य नहीं है। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि अगर हिंदू पुरुष अपने समुदाय की महिलाओं से शादी करते हैं और मुस्लिम पुरुष अपने समुदाय की महिलाओं से शादी करते हैं तो देश में शांति रहेगी। हिमंत विश्व शर्मा ने यह भी कहा कि अगर धार्मिक भावनाओं को आहत करने को लेकर कोई उनके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराता है तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
क्या है मामला
ये बयानबाजी तब हुई गोलाघाट जिले में सोमवार को 25 वर्षीय एक व्यक्ति ने पारिवारिक विवाद के कारण अपनी पत्नी और सास-ससुर की हत्या कर दी तथा बाद में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। सरमा ने इसे ‘लव जिहाद’ का मामला बताया था क्योंकि पति मुस्लिम और पत्नी हिंदू थी। इसी को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से पलटवार किया गया था।
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हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह की बयानों को सार्वजनिक तौर पर दिया गया है। बड़ा सवाल यही है कि आखिर हिंदू देवी-देवताओं और उनके ग्रंथों को ही टारगेट क्यों किया जाता है? देश में किसी अन्य धर्म और उनके ग्रंथों को लेकर इस तरह के बयान काफी कम सुनने को मिलते हैं। लेकिन हिंदुओं के धर्म ग्रंथों पर आसानी से लोग टीका टिप्पणी कर देते हैं। हाल में ही हमने देखा कि कैसे रामायण को लेकर भी सियासत जबरदस्त तरीके से हुई थी। राजनीतिक तौर पर देखें तो इसके कई कारण भी होते हैं। राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से सामाजिक समीकरणों को साधना चाहते हैं। कुछ ध्रुवीकरण के रास्ते पर चलकर राजनीति करते हैं तो कुछ तुष्टिकरण की कोशिश में रहते हैं। हालांकि, दोनों का मकसद चुनावी लाभ ही हासिल करना है। इस तरह के बयान को देते वक्त नेताओं के मन में वोट बैंक को लेकर गुणा भाग जरूर चलता है। उन्हीं गुणा भाग को अपने पक्ष में करने के लिए नेता इस तरह के बयान देते हैं। वर्तमान में देखें तो भाजपा जहां हिंदुत्व और राष्ट्रीयता की बात कर रही है तो वहीं कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल भाजपा पर अल्पसंख्यकों को टारगेट करने का आरोप लगा रही है। हालांकि, जनता सब समझती है और समय आने पर अपने वोट के जरिए नेताओं को इसका जवाब भी देती है। यही तो प्रजातंत्र है।
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