Prajatantra: Tamil Nadu में BJP के भरोसेमंद हैं K Annamalai, पदयात्रा से पार्टी को दिलाएंगे चुनावी जीत!

K Annamalai and amit shah
ANI
अंकित सिंह । Jul 25 2023 4:45PM

तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में पार्टी लगातार अपने विस्तार की कोशिश में जुटी हुई है। इन सबके बीच आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा तमिलनाडु में प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई के नेतृत्व में एक व्यापक पद यात्रा निकालने की तैयारी में है।

2024 चुनाव को लेकर भाजपा अभी से ही सक्रिय हो गई है। वह सभी राज्यों को स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक साधने की कोशिश कर रही है। राष्ट्रीय मुद्दे तो उठा ही रही है, साथ ही साथ प्रदेशस्तर पर भी पार्टी खूब सक्रिय रह रही है। हालांकि, 2024 के लिहाज से भाजपा ने दक्षिण पर अपना फोकस कुछ ज्यादा ही कर रखा है। यही कारण है कि भाजपा दक्षिण भारत के राज्यों में खूब सक्रिय नजर आ रही है। तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में पार्टी लगातार अपने विस्तार की कोशिश में जुटी हुई है। इन सबके बीच आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा तमिलनाडु में प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई के नेतृत्व में एक व्यापक पद यात्रा निकालने की तैयारी में है। 

 

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तमिलनाडु पर भाजपा की यात्रा

तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई अगले साल लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए 28 जुलाई से राज्य के ग्रामीण और नगरपालिका क्षेत्रों में पदयात्रा निकालने के लिए तैयार हैं। इसे 'एन मन एन मक्कल' का नाम दिया गया है जिसका मतलब है 'मेरी मिट्टी, मेरे लोग'। बताया जा रहा है कि इसे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा रामेश्वरम में हरी झंडी दिखाई जाएगी। पार्टी को उम्मीद है कि कार्यक्रम के पहले दिन 1.5 लाख से अधिक लोग भाग लेंगे। पदयात्रा सभी निर्वाचन क्षेत्रों और जिलों को कवर करेगी। इसका उद्देश्य तमिल लोगों को केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी की उपलब्धियों के बारे में बताना है। 

रामेश्वरम से होगा शुरू

भाजपा का दावा है कि इस यात्रा के जरिए वह डीएमके शासन के कुशासन का भी पर्दाफाश करेगी। यात्रा के प्रत्येक स्थान पर हमारे 100 से अधिक स्वयंसेवक होंगे। भाजपा ने रैली के शुरुआती बिंदु के रूप में रामनाथपुरम जिले के रामेश्वरम को चुनने का फैसला किया है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि हम कन्याकुमारी या रामेश्वरम में से किसी एक को चुनना चाहते थे और हमने रामेश्वरम को चुना क्योंकि यह एक पवित्र स्थान है। एन मन एन मक्कल पदयात्रा 11 जनवरी को चेन्नई में समाप्त होगी। 

अन्नामलाई से भाजपा को उम्मीद

अन्नामलाई का युवाओं के बीच भारी क्रेज है। अन्नामलाई से भाजपा को भी उम्मीद है। भ्रष्टाचार को लेकर डीएमके सरकार को घेरने की कोशिश में अन्नामलाई को सफलता भी मिली है। एमके स्टालिन की सरकार में रहे पलानीवेल थियागा राजन पर अन्नामलाई जबरदस्त तरीके से आक्रामक रहे। दबाव में आकर इन्हें स्टालिन की सरकार ने अपने कैबिनेट फेरबदल में आईटी मंत्रालय आवंटित कर दिया। इसको लेकर अन्नामलाई ने एक वीडियो क्लिप जारी किया था। वहीं, राज्य के एक अन्य मंत्री सेंथिल बालाजी को प्रवर्तन निदेशालय ने हाल में ही गिरफ्तार किया है। सेंथिल बालाजी के ऊपर भी अन्नामलाई जबरदस्त तरीके से आक्रामक रहे हैं। अन्नामलाई ने अपने दम पर डीएमके सरकार के भीतर भ्रष्टाचार को पूरी तरीके से बेनकाब कर दिया है। इसी के बाद भाजपा का अन्नामलाई पर विश्वास भी बढ़ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार दक्षिण भारत में भाजपा की जड़ों को मजबूत करने की कोशिश में लगातार जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में अन्नामलाई का यह उदय हुआ है। पिछले दो दशकों की बात करें तो भाजपा राज्य में क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ती रहे हैं। भगवा पार्टी ने राज्य की दोनों बड़ी पार्टियां एआईएडीएमके और डीएमके के साथ गठबंधन कर चुकी है। हालांकि, पार्टी को अपने पैर जमाने के लिए इससे ज्यादा लाभ नहीं हुआ। अन्नामलाई को आगे करके भाजपा शिक्षित और शहरी वोटरों को तमिलनाडु में अपने पक्ष में कर सकती है। के अन्नामलाई युवा है, आक्रामक है और पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर संघर्ष करने को पूरी तरीके से बेताब रहते हैं। कहीं कारण है कि वह भाजपा के शीर्ष नेताओं के गुड बुक में भी शामिल हैं।  

खाली स्पेस को भरने की कोशिश

भाजपा का फिलहाल एआईएडीएमके के साथ गठबंधन है। हालांकि पार्टी वहां अपना पांव जमाने की कोशिश में लगी हुई है। भाजपा डीएमके पर तो हमलावर रहते ही हैं, साथ ही साथ अपने गठबंधन में सहयोगी एआईडीएमके पर भी निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ती है। इस मामले में के अन्नामलाई कुछ आगे ही है। भाजपा को उम्मीद है कि तमिलनाडु में उसके लिए फिलहाल परिस्थितियां अनुकूल है। जयललिता की मौत के बाद एक स्पेस खाली हुआ है। उनकी पार्टी एआईएडीएमके आपसी मतभेदों के बाद कमजोर पड़ी है। इसी का फायदा भाजपा को उठाने की कोशिश में है।  

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पार्टी का मिल रहा साथ

वर्तमान में देखे तो अन्नामलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा का भरपूर समर्थन ही मिल रहा है। यह तीनों फिलहाल भाजपा के टॉप थ्री हैं। यही कारण है कि अन्नामलाई का हौसला भी काफी बुलंद रहता है। राज्य में कांग्रेस का कुछ खास जनाधार नहीं है। कांग्रेस डीएमके और एआईएडीएमके का मुकाबला करने में अपने दम पर पूरी तरीके से भी रही है। यही कारण है कि भाजपा अपने लिए तमिलनाडु में लगातार संभावनाएं तलाश रही है। 2024 लोकसभा चुनाव सामने हैं। भाजपा ने दक्षिण भारत में 100 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। तमिलनाडु में अनंत 39 लोकसभा की सीटें हैं। ऐसे में कहीं ना कहीं तमिलनाडु फिलहाल भाजपा के लिए प्रमुखता में हैं। आईपीएस की नौकरी छोड़ने के बाद अन्नामलाई 25 अगस्त 2020 को भाजपा में शामिल हुए। इसके बाद उन्हें तमिलनाडु भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 

सिंघम का दिया गया था नाम

अन्नामलाई कर्नाटक कैडर के आईपीएस अफसर रहे हैं। वह तमिलनाडु में भाजपा के सबसे युवा अध्यक्ष भी हैं। उन्हें कर्नाटक में सिंघम का नाम भी दिया गया था। लोगों में जनजागृति वह लगातार करते रहते थे। कुरान का भी उन्होंने अध्ययन किया है ताकि सांप्रदायिक तनाव को कम किया जा सके। युवाओं के लिए यह प्रेरणा स्रोत थे। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरा करने के बाद यह लखनऊ के आईआईएम में एमबीए करने पहुंचे थे। लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनी में प्लेसमेंट की बजाय उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा दी। पहली पसंद आईएएस थी लेकिन नंबर कम होने की वजह से आईपीएस बने।

वर्तमान परिस्थिति

तमिलनाडु में लोकसभा की कुल 39 सीटें हैं। पिछले 2019 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भी भाजपा एक भी सीट नहीं जीत सके। भाजपा वहां एआईएडीएमके के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में थी। बावजूद इसके उसे सिर्फ एक ही सीट पर जीत हासिल हुई थी विधानसभा में भी कुछ खास सफलता पार्टी को नहीं मिली। हालांकि सूत्र बताते हैं कि भाजपा तमिलनाडु में अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश में है। इसके साथ ही तमिलनाडु में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता को भी भुनाया जा सकता है। यही कारण है कि काशी तमिल संगमम को लेकर खूब क्रेज देखा गया। दावा किया जा रहा है कि मोदी तमिलनाडु से चुनाव तक लड़ सकते हैं। इसके लिए कन्याकुमारी सीट की चर्चाएं तेज है यहां भाजपा को 2014 में चुनावी जीत मिली थी। 

भाजपा को उत्तर भारतीयों की पार्टी माना जाता है और यह बात भी सच है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर और पश्चिम भारत से ही जबरदस्त सीट मिली थी। हालांकि भाजपा दक्षिण भारत में भी अपना कुनबा बढ़ाने की कोशिश कर रही है ताकि अगर उत्तर भारत में उसे नुकसान होता है तो दक्षिण से इसकी भरपाई की जा सके। 2024 चुनाव को लेकर भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है और जनता भी उसके हर चाल को समझने की कोशिश में है। यही तो प्रजातंत्र है।

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