Jan Gan Man: जबरन धर्मांतरण आखिर क्यों है देश के लिए बड़ी समस्या? Ashwini Upadhyaya से समझिये
अश्विनी उपाध्याय ने सवाल उठाया कि क्या हमारे धर्मगुरु अमेरिका-अरब जाकर वहां के मूल निवासियों का मतांतरण करा सकते हैं? उन्होंने कहा कि मतांतरण के खिलाफ कठोर केंद्रीय कानून बनाकर साम दाम दंड भेद द्वारा मतांतरण कराने वाले मिशनरियों, पादरियों और मौलवियों को जेल में डालना चाहिए।
नमस्कार, प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम जन गण मन में आप सभी का स्वागत है। आज के कार्यक्रम में बात करेंगे धर्मांतरण जैसे ज्वलंत विषय की। धर्मांतरण के बढ़ते मामले एक विकराल समस्या का रूप लेते जा रहे हैं जिसे देखते हुए अब धर्मांतरण विरोधी सख्त कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस सप्ताह यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी आया जिस पर अदालत ने धर्मांतरण को गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। देश का शीर्ष न्यायालय वरिष्ठ अधिवक्ता और पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में छलपूर्ण धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़े कदम उठाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि जबरन धर्मांतरण एक राष्ट्रव्यापी समस्या है, जिससे तत्काल निपटने की जरूरत है। उनकी याचिका में विधि आयोग को एक रिपोर्ट तैयार करने के साथ-साथ एक विधेयक तैयार करने का निर्देश दिए जाने का भी आग्रह किया गया है, ताकि डरा कर और मौद्रिक लाभों के प्रलोभन से कराए जाने वाले धर्मांतरण को नियंत्रित किया जा सके। इस मामले में अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी।
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हम आपको बता दें कि इस याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि छलपूर्ण धर्मांतरण बहुत ही गंभीर मामला है। वहीं सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस तरह के धर्मांतरण को राष्ट्रहित से जुड़ा मामला बताया और कहा कि सरकार इसे गंभीरता से ले रही है। अब देखना होगा कि अगली सुनवाई पर इस मामले में क्या होता है। फिलहाल इस पूरे विषय पर जब हमने अश्विनी उपाध्याय से बात की तो उन्होंने कहा कि एक कठोर और प्रभावी धर्मांतरण नियंत्रण केंद्रीय कानून की मांग वाली PIL का विरोध करने के लिए तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट आ गई है लेकिन अभी तक कोई भी राज्य सरकार धर्मांतरण नियंत्रण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट नहीं आई है। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण नहीं राष्ट्रांतरण हो रहा है और इसका मूल कारण है घटिया कानून और विदेशी फंडिग।
उन्होंने कहा कि संपत्ति को आधार से लिंक करने, कालाधान बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति 100% जब्त करने तथा धर्मांतरण कराने वालों को 10-20 वर्ष की सजा देने के लिए कानून बनाना नितांत आवश्यक है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हमारे धर्मगुरु अमेरिका-अरब जाकर वहां के मूल निवासियों का मतांतरण करा सकते हैं? उन्होंने कहा कि सरकार को मतांतरण के खिलाफ कठोर केंद्रीय कानून बनाकर साम दाम दंड भेद द्वारा मतांतरण कराने वाले मिशनरियों, पादरियों और मौलवियों को जेल में डालना चाहिए।
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