Jammu Terrorist Attack के बीच भारत पहुंचा पाकिस्तान, पांच साल से अधिक समय में किसी प्रतिनिधिमंडल ने की जम्मू की यात्रा

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jun 24 2024 4:21PM

इंडस वॉटर ट्रिटी को लेकर दोनों देशों के बीच अक्सर तनाव देखा गया है और पांच साल से अधिक समय में किसी पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की ये पहली जम्मू कश्मीर की यात्रा है।

आतंकी हमले और बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तानी डेलीगेशन जम्मू कश्मीर पहुंच चुका है। 1960 की सिंधु जल संधि पर चर्चा को लेकर ये डेलीगेशन भारत आया है। पाकिस्तानी डेलीगेशन विभन्न स्थल का दौरा करेगा। अधिकारियों ने कहा है कि पाकिस्तानी डेलीगेशन केंद्र शासित प्रदेश के अपने प्रवास के दौरान चिनाबघाटी में किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का निरीक्षण करेगा। इंडस वॉटर ट्रिटी को लेकर दोनों देशों के बीच अक्सर तनाव देखा गया है और पांच साल से अधिक समय में किसी पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की ये पहली जम्मू कश्मीर की यात्रा है। इस जलसंधि में 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हस्ताक्षर हुए थे। 

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इस  ट्रिटी के तहत नदियों के उपयोग के संबंध में दोनों देशों के उपयोग की बात कही गई थी जो स्थायी सिंधु सहयोग के नाम से जाना जाता है। लेकिन पाकिस्तान यहां भी अक्सर विवाद खड़ा करने से नहीं चूकता है। पहले से ही पाकिस्तान सीमा पर आतंकवाद को बढ़ावा देता है। कश्मीर का मुद्दा दोनों देशों के बीच लंबे समय से देखने को मिलता है। वहीं सिंधु जल संधि पर भी जहां भारत प्रावधानों के अनुसार मुद्दों के समाधान का समर्थन करने वाले तरीकों को अपनाता है। वहां पाकिस्तान विवाद खड़ा करने वाले तरीकों से पीछे नहीं हटता है। 

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पाकिस्तान ने 2016 में विश्व बैंक से दो जलविद्युत परियोजनाओं के बनावट की विशेषताओं पर अपनी आपत्तियों के संबंध में प्रारंभिक अनुरोध किया था, जिसमें तटस्थ विशेषज्ञ के माध्यम से समाधान की मांग की गई थी। हालांकि बाद में पाकिस्तान ने इस अनुरोध को वापस ले लिया और मध्यस्थता अदालत से इसपर निर्णय लेने की मांग की। दूसरी ओर भारत ने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे को केवल तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। वार्ता विफल होने के बाद विश्व बैंक ने अक्टूबर 2022 में एक तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थता न्यायालय की नियुक्ति की। संधि को संशोधित करने के लिए एक नोटिस जारी करते हुए, भारत ने आगाह किया कि समान मुद्दों पर इस तरह के समानांतर विचार सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के किसी भी प्रावधान के अंतर्गत नहीं आते हैं।  

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