Mirwaiz Umar Farooq और Mehbooba Mufti एक जैसी पटकथा क्यों पढ़ रहे हैं? Kashmir में आखिर चल क्या रहा है?

Mirwaiz Umar Farooq Mehbooba Mufti
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हम आपको बता दें कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण संबंधी अदालतों के हालिया आदेशों पर चिंता व्यक्त करते हुए मुस्लिम विरासत तथा उनके अधिकारों की सुरक्षा की मांग की है।

इस साल लोकसभा चुनावों और हाल में संपन्न जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को लग रहा है कि वह धार्मिक मुद्दों को उठा कर सियासत में वापसी कर सकती हैं। इसलिए वह भड़काऊ बयान देने लगी हैं। उनके सुर से सुर मीरवाइज उमर फारुक भी मिला रहे हैं। महबूबा और मीरवाइज के बयानों को सुनेंगे तो ऐसा लगेगा कि दोनों एक ही पटकथा पढ़ रहे हैं।

मीरवाइज उमर फारूक का भाषण

हम आपको बता दें कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण संबंधी अदालतों के हालिया आदेशों पर चिंता व्यक्त करते हुए मुस्लिम विरासत तथा उनके अधिकारों की सुरक्षा की मांग की है। श्रीनगर में जामिया मस्जिद में शुक्रवार को आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कश्मीर के मीरवाइज (मुख्य धर्मगुरु) फारूक ने उत्तर प्रदेश के संभल में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़पों में चार युवकों की मौत की निंदा की। उन्होंने कहा, ‘‘भेदभावपूर्ण पुलिस कार्रवाई में इन युवाओं की मौत अत्यंत दुखद एवं निंदनीय है।’’ 

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मीरवाइज ने दावा किया कि राजस्थान में अजमेर की एक अदालत ने अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण का आदेश दिया है। दरअसल अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने दरगाह के स्थान पर पूर्व में मंदिर होने संबंधी याचिका दाखिल होने के बाद दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी किए हैं।

मीरवाइज ने कहा, ‘‘इससे पहले अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। ऐसा लगता है कि यह एक प्रकार का चलन बन रहा है कि पहले संदेह जताया जाता है, फिर अदालत सर्वेक्षण का आदेश देती है और फिर बहुसंख्यकों के दावों को संतुष्ट किया जाता है।’’ उन्होंने कहा,‘‘ बाबरी मस्जिद का मुद्दा... मुसलमानों के दिमाग में ताजा है।’’ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘यह न केवल भारत और कश्मीर बल्कि उपमहाद्वीप और विश्व भर के मुसलमानों के लिए अत्यंत परेशान करने वाला और गंभीर मुद्दा है।’’ उन्होंने कहा, ''यदि संविधान की प्रस्तावना के अनुसार भारत पंथ निरपेक्ष देश है तथा संविधान से संचालित है जिसमें पूजा स्थल अधिनियम भी आता है तो फिर ऐसे मुद्दों को लगातार क्यों उठाया जा रहा है?’’ वक्फ (संशोधन) विधेयक के बारे में उन्होंने कहा कि यह मुसलमानों के लिए चिंताजनक मामला है और इसलिए मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलेमा (धार्मिक संगठनों का एक समूह) ने इस मुद्दे पर गौर कर रही संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल को एक पत्र भेजकर उनसे मुलाकात का वक्त मांगा है।

महबूबा मुफ्ती का बयान

दूसरी ओर, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को उनके 'खराब फैसले' के लिए जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि इस फैसले के कारण मस्जिदों में तलाशी ली गई है और यह देश को विभाजन की ओर धकेल सकता है, क्योंकि धर्मनिरपेक्षता की नींव हिल रही है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कार्रवाइयां विकास और नौकरियों जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए विभाजनकारी विषयों की ओर ले जा रही हैं। जम्मू में पीडीपी मुख्यालय के दौरे के दौरान महबूबा ने आरोप लगाया कि देश की धर्मनिरपेक्ष नींव को कमजोर किया जा रहा है और दावा किया कि हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है। मुफ्ती ने संवाददाताओं से कहा, "मैं कहना चाहती हूं कि हमारे पूर्व प्रधान न्यायाधीशों में से एक ने ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में फैसला देकर इस देश के लिए बहुत बुरा काम किया है जो शिकायत करने पर कार्रवाई की अनुमति देता है।" उन्होंने कहा, "यह देश को विभाजन की ओर ले जाएगा। यह हमें रक्तपात की ओर ले जा रहा है, जैसा कि हमने उत्तर प्रदेश में कुछ घटनाओं में देखा, जहां अराजकता में चार-पांच निर्दोष लोग फंस गए।" 

सभी धार्मिक स्थलों की यथास्थिति बनाए रखने के उच्चतम न्यायालय के पिछले फैसले का हवाला देते हुए मुफ्ती ने कहा, "यह 1991 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सभी धार्मिक स्थलों की स्थिति, जैसी 1947 में थी (चाहे वे मंदिर हों या मस्जिद) में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यवश, पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसके कारण ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि हर मस्जिद में शिवलिंग की खोज की जा रही है। यह हस्तक्षेप अजमेर शरीफ जैसे पवित्र मुस्लिम स्थलों तक भी पहुंच गया है, जो हिंदुओं के लिए भी महत्वपूर्ण है।" पीडीपी प्रमुख ने कहा कि अजमेर शरीफ में प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए मुसलमानों की तुलना में अधिक हिंदू जाते हैं। उन्होंने कहा, "यह दरगाह 800 साल से भी अधिक पुरानी है। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो मुझे डर है कि वे जल्द ही मुस्लिम घरों की तलाशी लेना शुरू कर देंगे।"

ऐसे मुद्दों पर बिगड़ती स्थिति की ओर इशारा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जवाहरलाल नेहरू, गांधी जी, मौलाना अबुल कलाम आजाद और सरदार पटेल जैसे नेताओं ने इस देश का निर्माण धर्मनिरपेक्षता की नींव पर किया था। अब वही नींव हिल रही है। हिंदू और मुसलमानों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है।"

भाजपा की प्रतिक्रिया

उधर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के इस दावे को ‘निराधार’ करार दिया कि देश की धर्मनिरपेक्ष नींव को कमजोर किया जा रहा है और कहा कि यह उनके (मुफ्ती के) ‘वैचारिक दिवालियापन’ को दर्शाता है। चुघ ने भाजपा को विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी बताया जिसके देशभर में 11.5 करोड़ से अधिक सदस्य हैं और अकेले जम्मू-कश्मीर में 2.57 लाख सदस्य हैं। भाजपा नेता ने जम्मू में एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘महबूबा मुफ्ती की टिप्पणी निराधार है और उनके वैचारिक दिवालियापन को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। यहां तक कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भी उन्हें खारिज कर दिया है।’’ 

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