दो बार पद्म पुरस्कार लेने से इनकार करने वाली रोमिला थापर को कितना जानते हैं आप ?
देश की प्रमुख इतिहासकारों व लेखकों में से एक रोमिला थापर को पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया था। लखनऊ में जन्मीं थापर के पिता दया राम थापर सेना में डॉक्टर थे और उन्होंने भारतीय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक के रूप में कार्य किया था।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में 49 वर्षों से सेवा दे रहीं प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर से उनका सीवी मांगा गया है ताकि इस बात पर विचार किया जा सके कि उनकी सेवाएं प्रोफेसर एमेरिटस के रूप में जारी रखी जाएं या नहीं। हालांकि जेएनयू प्रशासन ने ऐसा करके जवाहरलाल नेहरू शिक्षक संघ (JNUTA) की नजरों में अपनी छवि गिरा दी है। जेएनयूटीए ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का थापर से सीवी मांगने का फैसला पूर्ण रूप से राजनीति प्रेरित है।
यह विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया है कि ट्विटर पर #RomilaThapar ट्रेंड कर रहा है और यूजर्स लगातार इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। मामले को बिगड़ता देख जेएनयू प्रशासन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि सिर्फ रोमिला थापर से ही उनका सीवी नहीं मांगा गया बल्कि 11 अन्य प्रोफेसर एमेरिटस के काम का मूल्यांकन करने के लिए उनका भी सीवी मांगा गया है।
किनको मिलता है प्रोफेसर एमेरिटस का पद ?
प्रोफेसर एमेरिटस एक मानद पद है जो प्रतिष्ठित संकाय सदस्य को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद दिया जाता है। प्रोफेसर एमेरिटस उन विभागों में शैक्षणिक काम करने के लिए स्वतंत्र होते हैं जिससे वे संबद्ध रहे हैं। साथ में वे नियमित संकाय सदस्यों के साथ एक मूल पर्यवेक्षक के रूप में शोध विद्वानों का पर्यवेक्षण भी कर सकते हैं।
इस मामले को बढ़ता देख मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी स्पष्टीकरण दिया। मंत्रालय ने कहा कि जेएनयू ने किसी भी प्रोफेसर एमेरिटस का दर्जा खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
कौन हैं रोमिला थापर ?
देश की प्रमुख इतिहासकारों व लेखकों में से एक रोमिला थापर को पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया था। लखनऊ में जन्मीं थापर के पिता दया राम थापर सेना में डॉक्टर थे और उन्होंने भारतीय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक के रूप में कार्य किया था। पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद रोमिला थापर ने लंदन विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास में स्नातक से डॉक्टरेट की उपाधि ली। तत्तपश्चात उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास पढ़ाया। 1970 में रोमिला दिल्ली विश्वविद्यालय से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय आ गईं। जहां पर वह 1991 तक प्रोफेसर रहीं। बाद में रिटायर होने के बाद रोमिला को 1993 में प्रोफेसर एमेरिटस का दर्जा दिया गया।
कई किताबें लिखने वालीं रोमिला थापर को दो बार पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया था लेकिन उन्होंने दोनों बार यह पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था। उस समय उन्होंने कहा था कि मैं राजकीय पुरस्कार स्वीकार नहीं कर सकती क्योंकि मैं अकादमिक या फिर मेरे काम से जुड़े हुए संस्थानों से पुरस्कार स्वीकार करती हूं।
अगर हम रोमिला थापर की प्रमुख रचनाओं की बात करें तो उनमें अशोक और मौर्य साम्राज्य का पतन, प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास, भारत का इतिहास - खंड 1, प्रारंभिक भारत - उत्पत्ति से ई.1300, समकालीन परिप्रेक्ष्य में प्रारंभिक भारतीय इतिहास, सोमनाथ: द मेनी वॉइसेज ऑफ अ हिस्ट्री जैसी पुस्तकें शामिल हैं।
JNUTA के बयान के बाद JNU ने रखा अपना पक्ष
जेएनयूटीए के बयान के बाद विश्वविद्यालय ने कहा कि वह जेएनयू में प्रोफेसर एमेरिटस के पद पर नियुक्ति के लिए अपने अध्यादेश का पालन कर रहा है। उन्होंने कहा कि अध्यादेश के मुताबिक, विश्वविद्यालय के लिए यह जरूरी है वह उन सभी को पत्र लिखे जो 75 साल की उम्र पार कर चुके हैं ताकि उनकी उपलब्धता और विश्वविद्यालय के साथ उनके संबंध को जारी रखने की उनकी इच्छा का पता चल सके। यह पत्र सिर्फ उन प्रोफेसर एमेरिटस को लिखे गए हैं जो इस श्रेणी में आते हैं।
बवाल मचता देख मामले में कूट पड़े थे जावेद अख्तर
लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने इस मामले पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर के ट्वीट पर कमेंट करते हुए लिखा था कि नाराज होने की जरूरत नहीं है। बेशक वह जानते हैं कि वे (रोमिला थापर) अंतरराष्ट्रीय स्तर की सम्मानित इतिहासकार हैं, जिनका सीवी दिल्ली की टेलीफोन डायरेक्टरी से थोड़ा-सा ही छोटा होगा। वे सिर्फ इस बात को पुख्ता करना चाहते हैं कि उनकी बीए की डिग्री है या नहीं, क्योंकि यह अकसर खो जाती है।
Please don’t get so upset . Ofcourse they know that she is an internationally recognised and respected Historian with a CV that is slightly shorter than the Delhi telephone directory . They just want to confirm if she has her B.A. degree because that often goes missing .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) September 2, 2019
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