Shaurya Path: किस ओर जा रहा Israel-Hamas war, क्या होगा Ceasefire? समझिए DS Tripathi से
ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी ने कहा कि इसराइल और हमास के बीच युद्ध लगातार जारी है। इजरायल ने शुरुआत में हवाई हमले पर अपना फोकस किया। कहीं ना कहीं जमीनी लड़ाई में देरी हुई जिससे हमास को और तैयारी करने का मौका मिल गया। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि इसराइल ने हमास को पूरी तरीके से हल्के में ले लिया।
दुनिया फिलहाल जबरदस्त तनाव से गुजर रही है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि इसराइल और हमास आमने-सामने हैं। पिछले 35 दिनों से दोनों के बीच युद्ध लगातार जारी है। बावजूद इसके दोनों पीछे हटने को तैयार नहीं है। इतना ही नहीं, यहां तो युद्ध विराम की भी स्थिति नहीं बन पा रही है। वर्तमान में इसराइल-हमास युद्ध की क्या स्थिति है, साथ ही साथ ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के चीन दौरे के मायने क्या है और रूस यूक्रेन पर ताजा स्थिति के लिए हमने हमेशा की तरह प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी (आर) जी से बातचीत की। इन तमाम मुद्दों पर उन्होंने विस्तृत जानकारी दी है।
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किस ओर जाता दिख रहा इसराइल-हमास युद्ध?
ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी ने कहा कि इसराइल और हमास के बीच युद्ध लगातार जारी है। इजरायल ने शुरुआत में हवाई हमले पर अपना फोकस किया। कहीं ना कहीं जमीनी लड़ाई में देरी हुई जिससे हमास को और तैयारी करने का मौका मिल गया। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि इसराइल ने हमास को पूरी तरीके से हल्के में ले लिया। उन्होंने कहा कि हमास ने लंबी तैयारी के बाद ही इसराइल पर हमला किया था। लेकिन यह सब इजरायल के इंटेलिजेंस फेल्योर के कारण हुआ। साथ ही साथ हमास ने सुरंग को लेकर भी अपनी खास तैयारी की थी जो पूरी तरीके से आधुनिक सुख सुविधाओं से सुसज्जित थे। हमें हमास और इजरायल के युद्ध में अर्बन वॉरफेयर भी देखने को मिला। इजराइल का दावा है कि 130 सुरंग को ध्वस्त किया गया है लेकिन सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है। इस युद्ध में बंधकों को छुड़ाना भी बड़ा मुद्दा है। हालांकि ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी ने इस बात को भी स्वीकार किया कि बातचीत से इस समस्या का समाधान हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस युद्ध में फिलहाल इसराइल आगे दिख रहा है।
हमास की ताकत और आत्मविश्वास की वजह क्या?
ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी ने ने कहा कि हमास ने एक या दो महीने की तैयारी में यह हमला नहीं किया था। हमास ने पहले दुनिया को यह दिखाने की कोशिश की कि वह हिंसा की बजाय विकास के रास्ते पर जाना चाहता है। उसने शांति पर पूरी तरीके से फोकस करने का दिखावा किया। इसराइल ने जैसे ही हमास को थोड़ा हल्के में लिया, उसने अपनी तैयारी के साथ ही हमला कर दिया। हमास के लड़ाकू पूरी तरीके से ट्रेंड है। उन्होंने कहा कि हमास को कहीं ना कहीं ईरान, लेबनान, हिज्बुल्लाह से मदद मिल रही है। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार की रूस, चीन, नार्थ कोरिया से भी ईरान के जरिए हमास को मदद मिल रही होगी तभी लंबी लड़ाई चल रही है।
युद्ध विराम पर इसराइल राजी क्यों नहीं?
ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि 11000 फिलिस्तीनी लोगों के मारे जाने की खबर है। इसमें सबसे ज्यादा जाने महिलाओं और बच्चों की गई है। कहीं ना कहीं यह मानवीय त्रासदी है। लेकिन यह पता नहीं चल पा रहा है कि हमास के कितने लड़ाकू की मौत हुई है। कोई 300 कहता है, कोई 30 कहता है। उन्होंने कहा कि अगर युद्ध विराम की स्थिति बनती है तभी मानवीय सहायता इसराइल और फिलिस्तीन में पहुंच सकती है। लेकिन इसराइल क्रॉस बॉर्डर खोलने को तैयार नहीं है इसका बड़ा कारण यह भी है इजराइल को लगता है की बॉर्डर खुलने से हमास को भी अपने जरूरत के समान मंगाने में मदद मिल सकती हैं। इसके अलावा सीजफायर की स्थिति इसलिए नहीं बन रही है क्योंकि अमेरिका और इजरायल इस बात को लेकर चिंतित है कि इस स्थिति में हमास अपनी तैयारी को और भी पुख्ता कर सकता है। उन्होंने इस बात का भी दावा किया कि हमास को लोगों की परवाह नहीं है। सीजफायर से हमास मजबूत हो सकता है। उन्होंने इस बात को लेकर दुख जताया कि बंधकों को लेकर कोई बातचीत नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रेशर सीजफायर के लिए हर तरफ से बनाने की कोशिश हो रही है। लेकिन अब तक इसमें सफलता नहीं मिली है। ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी ने यह भी कहा कि इस बात की भी संभावना है कि बैक चैनल के जरिए कतर या कहीं और हमास और इजरायल के बीच बातचीत जरूर चल रही होगी जिसमें मुस्लिम देश अहम भूमिका में होंगे।
ऑस्ट्रेलिया के PM की चीन यात्रा के मायने
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के चीन दौरे पर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि इसका ज्यादा मतलब नहीं निकल जाना चाहिए। यह सिर्फ और सिर्फ व्यापारिक रिश्ते को बढ़ाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि दिल मिले ना मिले हाथ मिलाने की एक कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की तरफ से यह भी बताया गया है कि उसके पहले प्रधानमंत्री जब चीन के दौरे पर गए थे, उसके 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं और इस उपलक्ष पर उसके वर्तमान प्रधानमंत्री चीन के दौरे पर थे। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री पिछले दिनों अमेरिका दौरे पर भी थे, हो सकता है अमेरिका से उन्हें किसी तरीके का संदेश दिया गया। हालांकि, उन्होंने कहा कि इससे ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच की तकरार कम होने की संभावना बेहद कम है। ऑस्ट्रेलिया साउथ चीन सी और इंडो पेसिफिक रीजन को लेकर लगातार चीन के खिलाफ है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच क्वॉड भी बड़ा मुद्दा है। दोनों देशों के तकरार की वजह से ऑस्ट्रेलिया को निर्यात में काफी नुकसान हुआ है। चीन ऑस्ट्रेलिया से वाइन, कोयला, पदार्थ की आयात करता है। शायद उस नुकसान की भरपाई की कोशिश ऑस्ट्रेलिया की ओर से हो रही है।
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रूस और यूक्रेन युद्ध की ताजा स्थिति
रूस-यूक्रेन युद्ध पर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि अमेरिका में चुनाव होने तक या ऐसे ही जारी रहेगा लेकिन कहीं ना कहीं यूक्रेन पूरी तरीके से बैक फुट पर है। रूस ने अपना दबदबा बनाया है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 20 महीने से ज्यादा समय से जारी युद्ध की वजह से एक थकावट भी देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस युद्ध के बाद पश्चिमी देशों के समकक्ष बड़ा सवाल यही है कि आखिर इससे क्या हासिल हुआ? रूस की स्थिति जस की तस बनी हुई है। रूस को बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। लेकिन यूक्रेन पूरी तरीके से तबाह हो गया है। यूक्रेन की सहायता के लिए पश्चिमी देशों ने पैसे भी बहाएं लेकिन आज यूक्रेन भी उनके निशाने पर है। इसका बड़ा कारण यूक्रेन में हुए भ्रष्टाचार है। इस युद्ध की वजह से रूस को आत्मनिर्भर बनने में भी बहुत बड़ी मदद मिली।
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