BJD और YSRC ने दिल्ली अध्यादेश पर मोदी सरकार का किय समर्थन तो राघव चड्ढा बोले- यूं ही कोई बेवफा नहीं होता
आम आदमी पार्टी के नेता ने साफ तौर पर कहा कि जो लोग इस विधेयक का समर्थन करेंगे उन्हें राष्ट्र-विरोधी के रूप में याद किया जाएगा... हम भारत के संविधान को बचाने के लिए लड़ेंगे।
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने बुधवार को दिल्ली सेवा विधेयक पर केंद्र का समर्थन करने के लिए बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी पर कटाक्ष किया और कहा कि वे ऐसा करने के लिए "मजबूर" थे। चड्ढा ने लोकप्रिय उद्धरण देते हुए कहा, "कुछ तो मजबूरी रही होगी, यूं ही कोई बेवफा नहीं होता, जी करता है कि बहुत सच कहूं, क्या करे हौसला नहीं होता। आम आदमी पार्टी के नेता ने साफ तौर पर कहा कि जो लोग इस विधेयक का समर्थन करेंगे उन्हें राष्ट्र-विरोधी के रूप में याद किया जाएगा... हम भारत के संविधान को बचाने के लिए लड़ेंगे।
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चड्ढा का वार
चड्ढा ने कहा कि विपक्ष की राज्य सरकारों को "अलोकतांत्रिक" विधेयक का विरोध करने से रोकने वाली 'मजबूरियां' जनता और मीडिया के विश्लेषण का विषय हैं। चड्ढा ने गैर-भाजपा दलों को भी चेतावनी देते हुए कहा कि "अगर यह प्रयोग (भाजपा द्वारा) दिल्ली में सफल हो जाता है, तो इसे सभी गैर-भाजपा सत्तारूढ़ सरकारों में दोहराया जाएगा।" उन्होंने अपने रुख को दोहराते हुए लोकप्रिय कवि राहत इंदौरी की प्रसिद्ध पंक्तियों को भी याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था, "...लगेगी आग तो आएँगे काई घर जद में, यहाँ सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है...।" दोनों गैर-भारतीय जनता पार्टियों, जिनकी ओडिशा और आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ सरकार है, ने विवादास्पद विधेयक को अपना समर्थन देने का फैसला किया, जिसका उद्देश्य केंद्र को दिल्ली में नौकरशाही पर नियंत्रण बनाए रखने की अनुमति देना है।
मंगलवार को हुआ था पेश
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने बुधवार को कहा कि ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023’ उच्च सदन में पारित नहीं हो सकेगा। AAP ने पहले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर विपक्षी दलों को चुप कराने के लिए वित्तीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में मंगलवार को उक्त विधेयक पेश किया। यह विधेयक लागू होने पर उच्चतम न्यायालय के उस आदेश को पलट देगा जिसमें दिल्ली की निर्वाचित सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर अधिकार दिये गये थे।
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