पुलिसकर्मी या सैन्यकर्मी की शहादत पर चुप रहने वाले लोग भारतीय शहरों में Hassan Nasrallah के समर्थन में प्रदर्शन कर क्या संदेश दे रहे हैं?
जिस दिन हसन नसरल्लाह मारा गया उसी दिन से कश्मीर में कहीं ना कहीं प्रदर्शन हो रहे हैं जोकि आज तक जारी हैं। यह जो कश्मीरी सड़कों पर हसन नसरल्लाह के समर्थन पर उतर रहे हैं यह तब शांत रहते हैं जब घाटी में आतंकी हमले में कोई पुलिसकर्मी या सैन्यकर्मी शहीद होता है।
भारत दशकों तक आतंकवाद से पीड़ित रहा। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश ने आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की जो नीति अपनाई उसके चलते आतंकवादियों और आतंक को प्रश्रय व प्रोत्साहन देने वालों का हौसला टूटा और तबसे लोग बिना भय के अपना जीवन बसर कर रहे हैं। यही नहीं, भारत ने आतंकवाद के सभी रूपों को एक नजर से देखने और उसका सख्ती से मुकाबला करने के प्रति दुनिया भर में जो जागरूकता फैलाई उससे तमाम देशों के नजरिये में बड़ा बदलाव आया है। साफ है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को मिली सफलता दुनिया के लिए प्रेरणादायक है लेकिन यहां सवाल उठता है कि जब हम आतंकवाद को मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं तो हमारे देश में आतंकवादी संगठन हिज्बुल्ला के चीफ रहे हसन नसरल्ला की मौत पर मातम मनाने वाले लोग कहां से आ गये? बेरुत, तेहरान, इस्लामाबाद और सीरिया तथा इराक में नसरल्ला की मौत पर मातम मनाया जाये तो समझ आता है लेकिन कश्मीर, हैदराबाद, वाराणसी, लखनऊ आदि में भी लोग प्रदर्शन करें और रोए गाएं तो सवाल उठेगा ही कि आतंकवादियों के प्रति समर्थन क्यों व्यक्त किया जा रहा है? शुक्रवार की नमाज के बाद जिस तरह की बयानबाजी और नारेबाजी की खबरें आ रही हैं वह दर्शा रही हैं कि हिज्बुल्ला के प्रति समर्थन व्यक्त करने वालों की सोच क्या है?
जिस दिन हसन नसरल्लाह मारा गया उसी दिन से कश्मीर में कहीं ना कहीं प्रदर्शन हो रहे हैं जोकि आज तक जारी हैं। यह जो कश्मीरी सड़कों पर हसन नसरल्लाह के समर्थन पर उतर रहे हैं यह तब शांत रहते हैं जब घाटी में आतंकी हमले में कोई पुलिसकर्मी या सैन्यकर्मी शहीद होता है। एक कश्मीरी बच्ची का 'हर घर से निकलेगा हिजबुल्लाह' वाला विवादित बयान देश के लिए चिंता का सबब बन गया था। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और श्रीनगर के सांसद आगा रूहुल्ला ने नसरल्लाह को श्रद्धांजलि देने के लिए एक दिन के लिए अपना प्रचार ही स्थगित कर दिया था। आज भी बड़गाम और श्रीनगर में लोग सड़कों पर उतरे और नसरल्लाह के समर्थन में नारेबाजी की।
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हम आपको यह भी बता दें कि लखनऊ में भी छोटे इमामबाड़ा से लेकर बड़ा इमामबाड़ा तक हजारों की संख्या में शिया मुसलमानों ने विरोध मार्च निकाला था। प्रदर्शन में जमकर इजराइल और अमेरिका के खिलाफ नारे लगे थे। लखनऊ के शिया मुस्लिमों ने नसरल्लाह की मौत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा था कि वह तीन दिन तक गम शोक मनाएंगे व दुकानें बंद रखेंगे और अपने घरों की छतों पर काला झंडा लगा कर श्रद्धांजलि देंगे। यही नहीं, उत्तर प्रदेश के ही सुल्तानपुर में 'अमेरिका को आग लगा दो' के नारे लगे थे। वहां अंजुमन पंजतनी तुराबखानी के नेतृत्व में एहतेजाजी जुलूस गांव के बड़े इमामबाड़े से निकाला गया था। इसके अलावा, मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नकवी ने नसरल्लाह को आतंकवादी बताए जाने की निन्दा करते हुए कहा था कि अपनी सरहदों की हिफाजत कौन नहीं करता? अगर अपने हक के लिए लड़ाई लड़ना दहशतगर्दी है तो यह नजरिया वही है जिसके तहत कुछ लोग शहीद-ए-आजम भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद को आतंकवादी कहते हैं। इसके अलावा, शिया मौलाना सैयद आजिम ने कहा था कि हिज्बुल्लाह ने लेबनान में इंसानियत के लिए बड़ा काम किया है। वहीं, ऑल इंडिया शिया मुस्लिम सभा के जिला अध्यक्ष आकिल रिजवी ने हिजबुल्लाह कमांडर नसरल्लाह की मौत पर विरोध मार्च निकाल कर 3 दिन काले कपड़े पहनने और धार्मिक स्थलों और घरों पर काले झंडे लगाने की अपील की थी। रिजवी ने साथ ही इजराइल के प्रोडक्ट इस्तेमाल नहीं करने की अपील भी की। इस पूरे मामले में सीतापुर पुलिस ने कार्रवाई की चेतावनी देते हुए त्वरित संज्ञान लेकर घरों/मस्जिदों पर लगे हुये झण्डों को हटवा दिया था। आज भी वाराणसी में लोगों ने इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया।
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