Prabhasakshi Exclusive: क्या है Inter-Services Bill जिसे संसद ने पारित किया है? इससे देश और तीनों सेनाओं को क्या लाभ होगा?

Inter Services Bill
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने से सेनाओं में अनुशासन और काम करने का बेहतर माहौल बन सकेगा। उन्होंने कहा कि अभी तक थलसेना, वायुसेना एवं नौसेना अपने अपने संबंधित अधिनियम शासित होते हैं।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि संसद ने अंतर सेना संगठन (कमान, नियंत्रण एवं अनुशासन) विधेयक 2023 पारित किया है, इससे सेना और देश को क्या लाभ होगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण विधेयक है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने से अंतर सेना संगठन की दक्षता बढ़ेगी और अनुशासनात्मक कार्यवाही को जल्द निस्तारित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक विभिन्न कमानों के बीच समन्वय के मामले में एक मार्गदर्शक प्रकाश साबित होगा तथा इससे कमान नियंत्रण में सहायता भी मिलेगी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने से सेनाओं में अनुशासन और काम करने का बेहतर माहौल बन सकेगा। उन्होंने कहा कि अभी तक थलसेना, वायुसेना एवं नौसेना अपने अपने संबंधित अधिनियम शासित होते हैं। किंतु अंतर सेना संगठनों के मामले में कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई में कठिनाइयां आती हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने बताया है कि सेना के तीनों अंगों से जानकारी लेकर तथा कानून एवं विधि मंत्रालय से परामर्श कर इस विधेयक को तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक अंतर सेना संगठनों के प्रमुखों को बेहतर अनुशासनात्मक एवं प्रशासनिक अधिकार प्रदान करता है और इससे वे अपने संगठन में प्रभावी कमान नियंत्रण और अनुशासन ला सकेंगे। उन्होंने कहा कि इससे हमारे सुरक्षा ढांचे को और अधिक मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि यह विधेयक भारत के सैन्य सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस विधेयक के कारणों एवं उद्देश्य में कहा गया है कि वर्तमान में भारतीय वायु सेना, थलसेना एवं नौसेना के कार्यरत कर्मी क्रमश: वायुसेना अधिनियम 1950, थलसेना अधिनियम 1950 एवं नौसेना अधिनियम 1957 के तहत काम करते हैं। इसके अनुसार इन तीनों सेनाओं के अधिकारियों के पास यह अधिकार है कि वे अपनी सेवा के कर्मियों के ऊपर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकें। इसमें कहा गया कि इस समय कई ऐसे अंतर सेना संगठन हैं जिसमें विभिन्न सशस्त्र बलों के कर्मी एक साथ काम करते हैं। वर्तमान में अंतर सेना संगठन के कमांडर चीफ या प्रमुख के पास अन्य सेवाओं के कर्मियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। इसमें कहा गया कि इस विधेयक के तहत अंतर सेना संगठन के कमांडर चीफ या प्रमुख के पास अन्य सेवाओं के कर्मियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से अब उम्मीद है कि थियेटर कमांड भी जल्द हकीकत बनेगी। उन्होंने कहा कि अभी तक हमारी सेना की रणनीति अपनी सीमाओं की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य से काम कर रहा है जिसमें थिएटर कमान की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

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