हम लाए हैं इतिहास से सूची निकाल के, राज्यसभा भेजे गए पूर्व CJI, जज और CEC कांग्रेस काल के
अभिनय आकाश । Mar 17 2020 12:05PM
रंजन गोगोई पहले न्यायाधीश नहीं है जो सेवानिवृत्ति के बाद संसद में पहुंचे हैं। इससे पहले, एक अन्य पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंगनाथ मिश्र भी राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं और असम के ही बहरूल इस्लाम, हिदायतुल्लाह का नाम भी इसी कड़ी में जोड़ा जा सकता है।
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई राज्यसभा जाएंगे। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने रंजन गोगोई का नाम राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। यह खबर आने के बाद से ही तमाम विपक्षी नेताओं की ओर से प्रतिक्रिया आने लगी। असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर न्यायपालिका की स्वतंत्रता के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया गया। वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता ने ट्वीटर पर अपनी उंगलियां चलाते हुए कटाक्ष का सहारा लिया। उन्होंने कहा कि तस्वीरें सब कुछ बयां करती हैं। ट्विटर पर सुरजेवाला ने दो खबरें शेयर की। बहरहाल, रंजन गोगोई पहले न्यायाधीश नहीं है जो सेवानिवृत्ति के बाद संसद में पहुंचे हैं। इससे पहले, एक अन्य पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंगनाथ मिश्र भी राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं और असम के ही बहरूल इस्लाम, हिदायतुल्लाह का नाम भी इसी कड़ी में जोड़ा जा सकता है। इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिनमें न्यायाधीशों को अवकाश ग्रहण करने से पहले ही और अवकाश ग्रहण करने के बाद व्यवस्था में नयी जिम्मेदारियां सौंपी गईं। ऐसे में रंजन गोगोई के मनोनीत होने पर सवाल उठाने वालों को यह सूची जरूर देखनी चाहिए और यह सूची कांग्रेस पार्टी को अपनी स्मरण शक्ति मजबूत करने में सहायक भी होगी।
उनमें से एक गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने की है और दूसरी में कहा गया है कि न्यायपालिका पर जनता का विश्वास कम होता जा रहा है। आम आदमी पार्टी नेता सोमनाथ भारती ने भी अपनी राय देते हुए कहा कि गोगोई ने तीन अन्य सम्मानित न्यायाधीशों के साथ मोदी सरकार के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और आज उनको वही मोदी सरकार राज्यसभा के लिए मनोनीत कर रही है। कुछ समझ में नहीं आता! वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने लिखा, 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा (सुभाष चंद्र बोस ) तुम मेरे हक में वैचारिक फैसला दो मैं तुम्हें राज्यसभा सीट दूंगा।Justice Lokur rightly summarises it -:
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) March 17, 2020
“Has the last bastion fallen?” pic.twitter.com/Mxh7KrQClb
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा | (सुभाष चंद्र बोस )
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) March 16, 2020
तुम मेरे हक़ में वैचारिक फैसला दो मैं तुम्हें #राज्यसभा सीट दूंगा | ( #भाजपा ) #RanjanGogoi #ChiefJusticeofIndia #RajyaSabha
रंगनाथ मिश्रा: साल 1998 से 2004 तक कांग्रेस ने रंगनाथ मिश्रा को राज्यसभा के लिए नामित कराया था। वो देश के 21वें मुख्य न्यायधीश थे। जस्टिस मिश्रा की 1983 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हुई थी और 1990 में मुख्य न्यायधीश का कार्यभार संभाला था। 31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में भड़के सिख विरोधी दंगों की घटनाओं की जांच के लिये 26 अप्रैल, 1985 को तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया था। इस आयोग ने फरवरी, 1987 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में चूंकि सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस को क्लीन चिट दे दी थी। जिसके ईनाम स्वरूप उन्हें सेवानिवृत्ति के सात साल बाद उन्होंने कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजा और वो 1998 से 2004 तक सांसद रहे।
जस्टिस हिदायतुल्ला खान: 25 फरवरी 1968 से 16 दिसंबर 1970 के बीच देश के 11वें सीजेआई रहे हिदायतुल्ला उप-राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। बता दें कि उपराष्ट्रपति ही भारत में राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। साथ ही वह भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे।
बहरुल इस्लाम: सुप्रीम कोर्ट के जज बहरुल इस्लाम की कहानी बड़ी दिलचस्प है। वे जब सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते थे, तब उन्हें 1962 में पहली बार असम से क्रांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा भेजा। उसके बाद दूसरी बार 1968 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया लेकिन इसके पहले कि वो 6 साल का अपना कार्यकाल पूरा कर पाते, उन्हें तब के असम और नागालैंड हाईकोर्ट (आज के गुवाहाटी हाईकोर्ट) का जज बनाया गया। जज बनते ही उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। 1983 में सुप्रीम कोर्ट के जज से रिटायर होने के तुरंत बाद उन्हें तीसरी बार कांग्रेस ने राज्यसभा भेज दिया। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को जालसाजी मामले में क्लीन चिट मिली और यह फैसला सुनाने के एक महीने बाद बहरूल इस्लाम ने सुप्रीम कोर्ट जज के पद से इस्तीफा दे दिया और 1983 में बारपेटा लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस की तरफ से लोकसभा की दावेदारी ठोकी। हालाँकि असम की अशांति की वजह से वहां का चुनाव टल गया। जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें तीसरी बार राज्यसभा का सदस्य बना दिया।
मनोहर सिंह गिल: देश के 11वें मुख्य चुनाव आयुक्त मनोहर सिंह गिल बने। भारतीय चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रवेश एमएस गिल की ही देन है। वह 2008 में केंद्र में मंत्री भी रहे।
विजय बहुगुणा: हाई कोर्ट के जज रहे विजय बहुगुणा अचानक ही 15 फरवरी, 1995 को न्यायाधीश के पद से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस में शामिल हो गये। 2007 से 2012 तक लोकसभा में कांग्रेस के सदस्य बने और फिर 13 मार्च 2012 से 31 जनवरी 2014 तक वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी बने थे।
जबकि वर्तमान में रंजन गोगोई को राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है।
रंजन गोगोई: पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई सुप्रीम कोर्ट से 17 नवंबर 2019 को रिटायर हुए थे। राम मंदिर, राफेल और सबरीमाला मंदिर मामले में फैसले दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन उन्हें दे दी। जबकि मुस्लिम पक्षकार (सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया। रंजन गोगोई ने शुरुआत में गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत की। 23 अप्रैल 2012 को उन्हें प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया। जब दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुए, तो उनकी जगह जस्टिस रंजन गोगोई को चीफ जस्टिस बनाया गया।
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