हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के नये युग की शुरूआत कर रहे: मोदी
मोदी ने कहा कि सुदूर पूर्व क्षेत्र मजबूत भारत-रूस संबंधों का आधार-स्तंभ बनेगा जो नियम आधारित व्यवस्था, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित है और एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के खिलाफ है। भारत, अमेरिका और दुनिया की अन्य कई महाशक्तियां क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य प्रयासों की पृष्ठभूमि में एक खुले, स्वतंत्र और बढ़ते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जरूरत के बारे में बात करते रहे हैं।
व्लादिवोस्तोक। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और रूस हिंद-प्रशांत क्षेत्र को ‘खुला, स्वतंत्र तथा समावेशी’ बनाने के लिए इस क्षेत्र में सहयोग के नये युग की शुरूआत कर रहे हैं। चीन इस रणनीतिक क्षेत्र में अपनी सैन्य ताकत दिखाता रहता है। यहां पांचवें ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘जब व्लादिवोस्तोक और चेन्नई के बीच समुद्री मार्ग खुलने के साथ जहाज चलने शुरू हो जाएंगे, तो रूस का यह बंदरगाह शहर भारत में उत्तर पूर्व एशियाई बाजार को प्रोत्साहित करने वाला केंद्र बन जाएगा। इससे भारत-रूस साझेदारी और गहन होगी।’’ रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में चेन्नई तथा व्लादिवोस्तोक के बंदरगाह शहरों के बीच समुद्री संपर्क के विकास के लिए भारत और रूस ने बुधवार को एक आशय-पत्र पर दस्तखत किये थे। मोदी ने कहा, ‘‘हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के नये युग की शुरूआत कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि सुदूर पूर्व के विकास में भारत और रूस के बीच साझेदारी इसे एक खुला, स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र बनाएगी।
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मोदी ने कहा कि सुदूर पूर्व क्षेत्र मजबूत भारत-रूस संबंधों का आधार-स्तंभ बनेगा जो नियम आधारित व्यवस्था, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित है और एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के खिलाफ है। भारत, अमेरिका और दुनिया की अन्य कई महाशक्तियां क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य प्रयासों की पृष्ठभूमि में एक खुले, स्वतंत्र और बढ़ते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जरूरत के बारे में बात करते रहे हैं।
चीन, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। वहीं वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रूनेई और ताइवान के इस क्षेत्र को लेकर विपरीत दावे हैं। मोदी ने ईस्टर्न इकनॉमिक फोरम से इतर आज दिन में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से भी मुलाकात की। दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और बढ़ाने पर सहमति जताई।भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने पिछले साल नवंबर में काफी समय से लंबित चतुष्कोणीय गठबंधन को आकार दिया था ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को चीन के प्रभाव से मुक्त रखने की नयी रणनीति तैयार की जा सके। चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान से भी क्षेत्रीय विवाद चल रहा है।
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