इन कारणों से विरल आचार्य को बीच में ही छोड़ना पड़ा डिप्टी गवर्नर का पद
वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास से भी से भी उनके टकराव की खबरें आती रही हैं। वह लगातार उनके नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। फिलहाल विरल आचार्य का इस्तीफा सरकार के लिए टेंशन बढ़ाने वाली है।
भारतीय रिजर्व बैंक को बड़ा झटका देते हुए डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है। वह मौद्रिक नीति विभाग के प्रमुख थे। मौद्रिक नीति विभाग ही है जो देश में ब्याज दरों को तय करने में अहम भूमिका निभाता है। पिछले छह महीने में रिजर्व बैंक से इस्तीफा देने वाले आचार्य दूसरे बड़े पदाधिकारी हैं। इससे पहले दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकार के साथ मतभेदों के कारण कार्यकाल पूरा होने से नौ महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था। इस खबर के आते ही RBI ने कहा कि कुछ सप्ताह पहले आचार्य ने पत्र लिखकर सूचित किया था कि अपरिहार्य निजी कारणों से 23 जुलाई, 2019 के बाद वह डिप्टी गवर्नर के अपने कार्यकाल को जारी रखने में असमर्थ हैं। हालांकि उनके इस्तीफे पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली नियुक्ति समिति ने आचार्य की नियुक्ति की थी, इसलिए उनका त्यागपत्र भी वही समिति स्वीकार करेगी।
Reserve Bank of India (RBI) Deputy Governor, Viral Acharya has resigned six months before the scheduled end of his term. He had joined RBI in 2017. (file pic) pic.twitter.com/RyxAt6fmAN
— ANI (@ANI) June 24, 2019
विरल आचार्य की नियुक्ति भी सुर्खियों में रही थी तो उनका इस्तीफा भी बड़ा मुद्दा बन गया है। चलिए अब हम आपका परिचय विरल आचार्य से कराते हैं। 1 मार्च 1974 को जन्मे विरल आचार्य वित्तीय क्षेत्र में विश्लेषण और शोध के लिए जाने जाते हैं। 1995 में IIT मुंबई से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में ग्रैजुएट होने के बाद आचार्य ने 2001 में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से फाइनेंस में पीएचडी की। इसके बाद वह लंदन बिजनेस स्कूल से जुड़ गए जहां उन्होंने 2001 से 2008 तक अध्यापन का कार्य किया। उर्जित पटेल के गवर्नर बनने के बाद 28 दिसंबर 2016 को आचार्य को तीन साल की अवधि के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के रूप में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया गया जो कि 17 जनवरी 2017 से शुरू हुआ। कहा जाता है कि विरल आचार्य का चयन सौ से अधिक लोगों में से किया गया था। आचार्य संगीत में भी रूचि रखते हैं और उन्होंने एक संगीत एल्बम भी तैयार किया है जिसका नाम यादों के सिलसिलें हैं।
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नोटबंदी से हुए नुकसान को साधने के लिए विरल आचार्य का चयन किया गया था। आचार्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेहद करीबी भी बताया जाता रहा है। विरल आचार्य ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के साथ कई पेपर्स पर भी काम किया है और उनसे काफी प्रभावित भी हैं। कभी-कभी मजाकिया अंदाज में वह खुद को गरीबों का रघुराम राजन भी बता देते हैं। 45 वर्षीय आचार्य, RBI की सेवा करने वाले सबसे कम उम्र के डिप्टी गवर्नर थे। विरल आचार्य RBI की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के मजबूत पक्षधर थे। इसके लिए वह समय समय पर सरकार को चेतावनी भी देते रहते थे। 26 अक्टूबर, 2018 को एडी श्रॉफ मेमोरियल लेक्चर में अपने भाषण में आचार्य ने कहा था कि जो सरकारें केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करती हैं, उन्हें देर-सबेर वित्तीय बाजारों के आक्रोश का सामना करना ही पड़ता है। जिसके बाद से यह कहा जाने लगा था कि आचार्य और सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं है।
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वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास से भी से भी उनके टकराव की खबरें आती रही हैं। वह लगातार उनके नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। फिलहाल विरल आचार्य का इस्तीफा सरकार के लिए टेंशन बढ़ाने वाली है। जब विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर RBI की स्वतंत्रता का हनन करने का आरोप लगा रहा है ऐसे में उन्हें एक और मोका मिल गया। इसके अलावा रघुराम राजन, उर्जित पटेल के बाद विरल आचार्य का अचानक चले जाना सरकार के सामने कई सवाल खड़े करता है।
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