यूपी चुनाव: पश्चिमी यूपी में इस बार सपा- रालोद गठबंधन कितना असरदार? सर्वे ने बताया

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सी वोटर के ताजा सर्वे की मानें तो बीजेपी को 42 फ़ीसदी मत मिल सकते हैं। वहीं सपा 33 फ़ीसदी मत हासिल कर सकती है। अगर दोनों पार्टियों में वोट के अंतर को देखा जाए तो वह 9 फ़ीसदी है। बसपा को 15, कांग्रेस को 7 और अन्य को 6 फ़ीसदी वोट मिलने का अनुमान है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब बहुत ज्यादा नहीं बचे हैं। राजनीतिक पार्टियां भी इस चुनावी दंगल के लिए प्रत्याशियों का ऐलान शुरू कर चुकी हैं। उत्तर प्रदेश में पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होगा। तमाम सियासी पार्टियों ने इस चरण के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चुनावी बिसात में किसके पासे सही गिरते हैं यह तो 10 मार्च को नतीजों के आने के बाद ही पता चलेगा।

 पश्चिमी उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन के लिए मशहूर है। साल भर से ज्यादा चले किसान आंदोलन का असर भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खूब देखने को मिला। यहां सपा और रालोद सरकार के प्रति किसान आंदोलन से पैदा हुई नाराजगी को अपने पक्ष में भुनाने में जुटा है। वहीं सत्ताधारी दल बीजेपी यहां कानून व्यवस्था और कैराना में हुए पलायन को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है। कुल मिलाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की यह सियासी जंग बहुत दिलचस्प हो चुकी है।

 बीजेपी, सपा रालोद गठबंधन के अलावा कांग्रेस आजाद समाज पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की एमआईएम भी यहां चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। शनिवार को सी वोटर ओपिनियन पोल ने यहां के सर्वे के जो नतीजे जारी किए, उसके अनुसार पश्चिम में बीजेपी को बढ़त मिलती दिख रही है। 136 सीटों वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 41 फीसद मत मिल सकते हैं। वहीं सपा रालोद गठबंधन के हिस्से में 33 फ़ीसदी वोट जा सकता है। मायावती की बहुजन समाज पार्टी को यहां 15 फीसद वोट मिलने की संभावना है। वहीं कांग्रेस के खाते में 7 फीसद और अन्य के खाते में 4 फ़ीसदी वोट जा सकता है। सी वोटर के 15 जनवरी को किए सर्वे से तुलना की जाए तो भाजपा के वोट प्रतिशत में 1 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।

पिछले विधानसभा चुनावों में पश्चिमी यूपी में भाजपा ने लहराया था परचम

यहां मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़ जैसे 26 जिलों में 136 सीटें हैं। बात अगर पिछले विधानसभा चुनाव की की जाए तो बीजेपी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किले में 109 सीटें जीती थी। जबकि सपा गठबंधन महज 20 सीटों पर सिमट गया। सियासी गलियारों के जानकार मानते हैं कि 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए हिंदू मुस्लिम दंगे का फायदा बीजेपी ने ध्रुवीकरण की बिसात बिछाकर खूब उठाया। लेकिन बीते कुछ वक्त से पश्चिम का मिजाज किसान आंदोलन के कारण बदला है। जाट और मुस्लिम के बीच जो खाई दंगों के बाद पनपी थी, वह भरी तो है। जाट और मुस्लिम किसान आंदोलन की वजह से एक बार फिर एकजुट हुए हैं। इसका फायदा भी सपा और रालोद गठबंधन को इस बार हो सकता है।

क्या कहता है इस बार यूपी

सी वोटर के ताजा सर्वे की मानें तो बीजेपी को 42 फ़ीसदी मत मिल सकते हैं। वहीं सपा 33 फीसदी मत हासिल कर सकती है। अगर दोनों पार्टियों में वोट के अंतर को देखा जाए तो वह 9 फ़ीसदी है। बसपा को 15, कांग्रेस को 7 और अन्य को 6 फ़ीसदी वोट मिलने का अनुमान है।

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