Untold Stories of Ayodhya: राम लला हम आएंगे...22 साल के एक लड़के की लाइन, कैसे बन गई राम जन्मभूमि आंदोलन का प्रतीक, मंदिर वहीं बनाएंगे नारे की कहानी

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jan 18 2024 4:50PM

राम मंदिर आंदोलन से जुड़े प्रमुख नारा राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे के बारे में बताएंगे। अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान शुरू हो चुका है।

"आप से इतनी आशा है, बीच में मत पड़ो। रास्ते में मत आओ। क्योंकि ये जो रथ है, लोक रथ है, जनता का रथ है। जो सोमनाथ से चला है और जिसने मन में संकल्प किया हुआ है कि 30 अक्टूबर को वहां पहुंचकर कार सेवा करेंगे और मंदिर वहीं बनाएंगे।" 

दशकों पुराने राम जन्मभूमि आंदोलन का सबसे चर्चित नारा रहा है राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। लेकिन ये नारा किसी साधु-संत या किसी नेता का दिया हुआ नहीं है। बल्कि ये नारा है 22 साल के एक लड़के का जो अयोध्या से करीब 1 हजार किलोमीटर दूर एक कार्यक्रम में मौजूद था और भीड़ के बीच अनाचक से उसने वो लाइन बोल दी जो राम जन्मभूमि आंदोलन का प्रतीक बन गई। आज हम आपको राम मंदिर आंदोलन से जुड़े प्रमुख नारा राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे के बारे में बताएंगे। 

अयोध्या के राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान शुरू हो चुका है। समारोह को अभूतपूर्व बनाने के लिए देशी-विदेशी मेहमानों को मिलाकर लगभग 7 हजार लोगों को निमंत्रण भेजे गए हैं। अयोध्या को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है। राम लला की 500 सालों की प्रतीक्षा अब खत्म होने वाली है। लेकिन क्या आपको पता है राम जन्मभूमि आंदोलन में गूंजने वाला सबसे आम नारा राम लला हम आएंगे वाला नारा किसने दिया था? ये नारा बजरंग दल के उज्जैन शिविर से निकला था। साल 1986 में सत्यनारायण मौर्य ने ये नारा दिया जो बाद में हर राम भक्त की जुबान पर चढ़ गया था। 

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22 साल के लड़के के मुख से निकला नारा बन गया आंदोलन का प्रतीक 

1986 की बात है सत्यनारायण मौर्य मध्य प्रदेश से एमकॉम की पढ़ाई कर रहे थे। कॉलेज के दिनों में उनकी मुलाकात बजरंग दल के आला-अधिकारियों से हुई। तब उज्जैन में बजरंग दल का एक शिविर लगा। युवा सत्यनारायण मौर्य उस शिविर में शामिल हुए। शिविरों में शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ करते थे। उसी कार्यक्रम के दौरान राम जन्मभूमि को लेकर ये नारा पहली बार दिया गया। सत्यनारायण मौर्य की रुचि बचपन से ही कविता और चित्रकारी में थी। जिसके कारण वो जल्द ही राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख नेताओं की नजर में आ गए। उन्होंने अपनी कला से अटल जी, आडवाणी जी और सिंघल जी सभी को प्रभावित किया था। 6 दिसंबर 1992 में मंच संचालन की जिम्मेदारी भी उन्हें ही दी गई थी। तब वो आंदोलन के प्रचार प्रमुख थे। तब उन्होंने वॉल राइटिंग का काम किया था जिसमें श्री राम और हनुमान के चित्रों के साथ-साथ नारे भी लिखे गए थे। 

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 कारसेवकों के हौसले को किया मजबूत 

इस नारे ने न तब राम जन्मभूमि आंदोलन के विरोधियों को विचलित किया था। बल्कि कारसेवकों को भी संबल दिया था। जब बाबरी विध्वंस से पहले मुलायम सिंह ने कारसेवकों पर गोली चलवाने का फैसला लिया तो यही वो नारा था जिसने कारसेवकों के हौसले को मजबूत किया। कहते हैं उस दिन अयोध्या में ढांचे के टूटने की आवाज और राम लला हम आएँगे मंदिर वहीं बनाएंगे ही सिर्फ सुनाई दे रहा था। 

मिला प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण

राम मंदिर आंदोलन में नारा खूब प्रचलित हुआ था, जिस पर विपक्ष भी कई बार तंज कसते हुए दिखाई दिया था। विपक्षी दल अक्सर कहते थे कि 'मंदिर वहीं बनाएंगे, लेकिन तारीख नहीं बतायेंगे। रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे', का नारा देने वाले कारसेवक बाबा सत्यनारायण मौर्य को भी राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का न्योता दिया गया है। 

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