पंजाब में कैप्टन की बढ़ी मुसीबत, संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने विधानसभा चुनावों में, भाजपा के विरोध का किया ऐलान

amrinder singh

जोगिंदर सिंह उगरहां ने कहा है कि जो मोर्चा पंजाब में चुनाव लड़ रहा है उससे संबंध तोड़ लिया गया है। उनके पक्ष में कोई प्रचार नहीं किया जाएगा। योगेंद्र यादव ने भी कहा है कि बंगाल जैसी स्थिति इस बार नहीं होगी। किसी भी सियासी दल के नेता को प्रचार के लिए मंच का उपयोग नहीं करने दिया जाएगा।

कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ 1 साल से भी ज्यादा चले  किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने विधानसभा चुनावों में भाजपा के सीधे विरोध का ऐलान किया है। किसान मोर्चा के नेताओं ने राजधानी में बैठक के बाद, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड पंजाब के विधानसभा चुनावों में किसानों से कहा है कि वह भाजपा को सबक सिखाएं। इनका उत्तर प्रदेश पर विशेष जोर होगा। वहां के लिए एक अपील पर्चा जारी करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने दावा किया कि उन्हें 57 किसान संगठनों का समर्थन मिल रहा है।

इन विधानसभा चुनावों में भाजपा के विरोध का आधार केंद्र सरकार से 5 बिंदुओं पर बनी सहमति के पुरा न होने को बनाया गया है। हालांकि, कोशिश ये भी की जा रही है कि मोर्चा गैर राजनीतिक बना रहे। भाजपा के विरोध में उतरने वाले साथ नेताओं में से एक शिवकुमार कक्का ने कहा कि वो लोग भाजपा का खुलकर विरोध करेंगे, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेंगे।

पीएम और सीएम के चुनावी क्षेत्र में होंगे कार्यक्रम

संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा, प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनावी क्षेत्र गोरखपुर के साथ ही उत्तर प्रदेश के 7 स्थानों पर विरोध कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी है। संयुक्त किसान मोर्चा पर्चे बांटकर भाजपा के उम्मीदवारों के खिलाफ मतदान की अपील करेगा। इसी तरह से उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार का भी विरोध होगा। और पंजाब में भाजपा के साथ चुनावी मैदान में उतर रहे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी विरोधी खेमे में गिना जाएगा।

गैर राजनीतिक होगा आंदोलन

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से दावा किया जाता रहा कि इस आंदोलन में सियासी दलों का कोई काम नहीं है। और यह आंदोलन पूरी तरह से गैर राजनैतिक है, लेकिन बंगाल के विधानसभा चुनाव में मोर्चा जिस तरह भाजपा के विरोध में उतरा राज्य में उसके मंच पर तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी नजर आए, उससे राजनीतिक तस्वीर स्पष्ट होने लगी थी। केंद्र सरकार ने जब दिसंबर में तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया उसके बाद आंदोलन स्थगित करके संयुक्त किसान मोर्चा का एक बड़ा धड़ा सियासी दल बनाकर पंजाब के चुनावी समर में उतर गया।

चुनाव लड़ने वालों से तोड़ लिया है संबंध

जोगिंदर सिंह उगरहां  ने कहा है कि जो मोर्चा पंजाब में चुनाव लड़ रहा है उससे संबंध तोड़ लिया गया है। उनके पक्ष में कोई प्रचार नहीं किया जाएगा। योगेंद्र यादव ने भी कहा है कि बंगाल जैसी स्थिति इस बार नहीं होगी। किसी भी सियासी दल के नेता को प्रचार के लिए मंच का उपयोग नहीं करने दिया जाएगा। वहीं इससे प्रत्यक्ष रूप से विपक्षी पार्टियों को फायदा पहुंचाने के सवाल पर किसान आंदोलन के बड़े चहरों में से एक रहे राकेश टिकैत ने कहा कि यह जनता पर छोड़ेंगे की वह अपना मत किसे दे।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़