Senior Citizens के लिए UP में लिया गया बड़ा फैसला, बच्चों से दुखी हुए बुजुर्ग, तो कर सकेंगे घर से बेदखल
राज्य सरकारों के पास अधिनियम को लागू करने के लिए नियम बनाने और न्यायाधिकरण बनाने का अधिकार है। राज्य ने इस संबंध में 2014 में अधिकार और नियम बनाए थे। जानकारी के मुताबिक अप्रैल 2021 में यूपीएसएलसी ने अधिनियम के नियम संख्या 22 को बदलने की सिफारिश की है।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने बुजुर्गों के लिए बड़ा अहम फैसला लेते हुए घर की बागडोर उनके हाथों में सौंप दी है। राज्य के समाज कल्याण विभाग ने नया मसौदा पेश किया है, जिसके जरिए बुजुर्गों या वरिष्ठ नागरिकों को नए अधिकार मिल सकते है। ये अधिकार बेहद महत्वपूर्ण है, जिससे बुजुर्गों को ढलती उम्र में दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर ना होना पड़े।
अगर योगी सरकार की कैबिनेट बैठक में इस मसौदे को मंजूरी मिल जाती है तो जो बुजुर्ग अपने बच्चों से नाखुश हैं, वो पुलिस की सहायता लेकर अपने बच्चों को संपत्ति से बेदखल करने का अधिकार रख सकेंगे। ये प्रस्ताव माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के राज्य नियमों में उत्तरप्रदेश विधि आयोग द्वारा सुझाए गए संशोधनों पर आधारित है। बुजुर्गों के लिए बनाए गए इस अधिनियम में साफ किया गया है कि बच्चों या रिश्तेदारों को वरिष्ठ नागरिक का भरण पोषण करना होगा। बच्चों या रिश्तेदारों का दायित्व है कि बुजुर्गों की जरुरतों को पूरा किया जाए। बुजुर्गों को भी सामान्य जीवन जीने का अधिकार ये अधिनियम देता है।
बता दें कि राज्य सरकारों के पास अधिनियम को लागू करने के लिए नियम बनाने और न्यायाधिकरण बनाने का अधिकार है। राज्य ने इस संबंध में 2014 में अधिकार और नियम बनाए थे। जानकारी के मुताबिक अप्रैल 2021 में यूपीएसएलसी ने अधिनियम के नियम संख्या 22 को बदलने की सिफारिश की है। ये जिला मजिस्ट्रेट डीएम को अधिनियम के कर्तव्यों और शक्तियों को पूरा करने के लिए अपने अधीनस्थ अधिकारी को नियुक्त करने की भी शक्ति देता है।
इस संबंध में समाज कल्याण विभाग को आयोग से भी कई सिफारिशें मिली थी जिसके बाद मसौदा तैयार किया गया था, जिसे अब कैबिनेट में पेश किया गया है। इससे पहले भी दो महीने पहले इस मसौदे को कैबिनेट में किया जा चुका है।
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