मोदी के खिलाफ देश के ‘मूड’ को समझ कर ही धुर विरोधी भी एक हुये: येचुरी
वामदलों के अलग थलग पड़ने के सवाल पर येचुरी ने कहा कि सांप्रदायिक सोच वाला एक खास वर्ग है जो वामदल और अन्य विपक्षी दलों में बिखराव की धारणा को फैलाने में लगा है।
नयी दिल्ली। विपक्षी दलों की एकजुटता पर उठते सवालों को सांप्रदायिक सोच वाले ‘खास तबके’ की रणनीति का नतीजा बताते हुये माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि इस चुनाव में सपा बसपा जैसे धुर विरोधी भी एकजुट हुये हैं। यह भाजपा आरएसएस की घातक नीतियों के खिलाफ बने जनमानस का ही नतीजा है जिसने देशहित में जन्मजात राजनीतिक विरोधियों के मिलने की जमीन तैयार की। येचुरी ने बताया कि इस चुनाव का मकसद महज सत्ता परिवर्तन नहीं है बल्कि भाजपा आरएसएस की विखंडनकारी नीतियों से देश को निजात दिलाना है। इसलिये यह चुनाव स्वतंत्र भारत का सबसे अहम चुनाव बन गया है।
The larger issue is that the PM as a candidate in the ensuing elections is using the office of the PM to convey a development achieved by our scientists during the election campaign. This constitutes a gross misuse of the office for furthering electoral objectives. #LetterToEC pic.twitter.com/LoXIZWcVCZ
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) March 30, 2019
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले पांच साल में समाज को तोड़ने और देश एवं आम आदमी को आर्थिक बदहाली में धकेलने वाली मोदी सरकार की नीतियों से नाराज जनता ने सत्ता परिवर्तन का मूड बना लिया है। इसे समझते हुये ही सपा, बसपा और तेदेपा, कांग्रेस जैसे दल इस चुनाव में एक साथ आये हैं।’’ वामदलों के अलग थलग पड़ने के सवाल पर येचुरी ने कहा कि सांप्रदायिक सोच वाला एक खास वर्ग है जो वामदल और अन्य विपक्षी दलों में बिखराव की धारणा को फैलाने में लगा है। वामदलों सहित पूरा विपक्ष मोदी सरकार को हटाने के लिये एकजुट है। हमारी पूर्व निर्धारित रणनीति के तहत ही, राज्यों में जहां जिसके एक साथ आने की जरूरत थी, वहां वे सभी दल, एक साथ आये हैं।’’ बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्यों में कांग्रेस के साथ नहीं आने से भाजपा को चुनावी लाभ होने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘किसी विपक्षी दल के साथ आने से जहां भाजपा को लाभ होने की आशंका हो, वहां उसके साथ गठजोड़ की क्या जरूरत है।’’
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उन्होंने दलील दी कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी अजीत जोगी और बसपा के अलग लड़ने से भाजपा को लाभ होने की बात कही गयी थी, लेकिन नतीजा उलट ही रहा। मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी बसपा कांग्रेस के साथ नहीं थी। इससे साफ है कि जहां जैसी जरूरत है उसके मुताबिक ही गठजोड़ हो रहे हैं। येचुरी से पूछा गया कि राजग के घटक दल समय रहते एकजुट होकर प्रचार में जुट गये हैं जबकि बिहार, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में गठबंधन पर स्थिति साफ नहीं होने से विपक्ष में बिखराव साफ दिख रहा है। इस पर उन्होंने कहा, ‘‘हमसे ज्यादा बिखराव राजग में है। रालोसपा जैसे राजग के घटक दल हों या शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद जैसे दिग्गज नेता हों, आखिर ये कौन लोग हैं जो भाजपा छोड़ रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस बिखराव से ध्यान भटकाने के लिये एक प्रकार के राजनीतिक ध्रुवीकरण की छद्म तस्वीर दिखायी जा रही है। हकीकत यह है कि जनता में मोदी सरकार को हटाने के लिये ध्रुवीकरण हो चुका है। यह ध्रुवीकरण अलग अलग राज्यों में अलग अलग रूप में जाहिर हो रहा है। यही वजह है कि पहली बार जन्मजात राजनीतिक दुश्मन भी एक साथ आये हैं।’’
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