हरियाणा के दो स्थल सुल्तानपुर और भिंडावास राष्ट्रीय रामसर साइट में शामिल

Haryana

हरियाणा में इस वर्ष विश्व आर्द्रभूमि दिवस का उत्सव और भी विशेष होगा, क्योंकि मई 2021 में सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, गुरुग्राम और भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य, झज्जर को रामसर साइट (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि) के रूप में घोषित किया गया था। इसके साथ ही हरियाणा अंतरराष्ट्रीय महत्व वाले आर्द्रभूमि मानचित्र पर उभरा है।

 चंडीगढ़   हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल और वन मंत्री  कंवरपाल विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर 2 फरवरी को गुरुग्राम जिले में सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में होने वाले राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। इस कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री  भूपेन्द्र यादव मुख्य अतिथि होंगे और केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री  अश्विनी कुमार चौबे विशेष अतिथि होंगे।

 

हरियाणा में इस वर्ष विश्व आर्द्रभूमि दिवस का उत्सव और भी विशेष होगा, क्योंकि मई 2021 में सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, गुरुग्राम और भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य, झज्जर को रामसर साइट (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि) के रूप में घोषित किया गया था। इसके साथ ही हरियाणा अंतरराष्ट्रीय महत्व वाले आर्द्रभूमि मानचित्र पर उभरा है।

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वर्तमान में भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 47 है। दो और आद्र्रभूमि अर्थात्- खिजडिय़ा वन्यजीव अभयारण्य (गुजरात) और बखिरा वन्यजीव अभयारण्य (यूपी) को उस दिन रामसर स्थलों की सूची में शामिल किया जाएगा। इससे भारत में रामसर आद्र्रभूमि की संख्या 49 हो जाएगी।

उल्लेखनीय है कि सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान गुरुग्राम-झज्जर  राजमार्ग पर सुल्तानपुर गांव में स्थित है। यह गुरुग्राम से 15 किलोमीटर और दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर है। यह 350 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। सुल्तानपुर के एविफौना-समृद्ध पर्यावास की खोज पीटर जैक्सन ने की थी, जिन्होंने मार्च 1970 में अपने एक वन्यजीव विशेषज्ञ मित्र के साथ पार्क का दौरा किया था।

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सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान को 2 अप्रैल, 1971 को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था। 5 जुलाई, 1991 को इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त हुआ था। हर साल लगभग 50,000 प्रवासी पक्षी दुनिया के विभिन्न हिस्सों मुख्य रूप से यूरेशिया से खाने और सर्दियों का समय व्यतीत करने सुल्तानपुर आते हैं। सर्दियों में सुल्तानपुर में प्रवासी पक्षियों जैसे सारस क्रेन, डेमोइसेल क्रेन, उत्तरी पिंटेल, उत्तरी फावड़ा, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, वेडर, ग्रे लैग गूज, गडवाल, यूरेशियन विजन, ब्लैक-टेल्ड गॉडविट आदि की चहचाहट एक सुरम्य चित्रमाला प्रदान करने का काम करती है। यह पार्क कोबरा, मॉनिटर लिजर्ड, हेजहोग, भारतीय खरगोश, येलो मॉनिटर लिजर्ड, सेही, सियार, नीला बैल का भी आवास है। यह पार्क एशियाई फ्लाईवे पर पड़ता है और इसलिए, कई पक्षी अपनी आगे और पीछे की यात्रा के दौरान यहां आराम करते हैं। भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य एक मीठे पानी की झील, जो हरियाणा में सबसे बड़ी है, झज्जर जिले में स्थित है। यह झज्जर शहर से लगभग 15 किमी दूर है। यह एक हजार एकड़ से कुछ अधिक के क्षेत्र में विस्तृत है। इसे 5 जुलाई 1985 को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था।

 

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यह झील प्राचीन साहिबी नदी जो राजस्थान में अरावली पहाडिय़ों से मसानी बैराज रेवाड़ी होती हुई यमुना तक जाती थी, के मार्ग के साथ पारिस्थितिक गलियारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह साहिबी नदी, सबाशीपुर, एसएनपी, बसई आद्र्रभूमि और द लॉस्ट लेक ऑफ गुरुग्राम की एक सहायक नदी भी बनाती है। यहां प्रवासी प्रजातियां की 80 से अधिक प्रजातियां और 100 से अधिक रेजिडेंट प्रजातियां दर्ज की गई हैं। सर्दियों के दौरान भिंडावास में 40,000 से अधिक प्रवासी पक्षी आते हैं। आद्र्रभूमि दिवस समारोह के अवसर पर आद्र्रभूमि के विभिन्न पहलुओं से संबंधित वेबिनार की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है। हरियाणा में पक्षियों की संख्या पर एक अभ्यास भी पूरे राज्य के विभिन्न भागों में चल रहा है।

 

इससे पहले, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में सुल्तानपुर में आईकोनिक सप्ताह मनाया। आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान आद्र्रभूमि के बारे में जागरूकता पैदा करने से संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित किए गए।

उल्लेखनीय है कि आद्र्रभूमि पारिस्थितिक रूप से विविध पारिस्थितिक तंत्र हैं, जो 40 प्रतिशत जैव विविधता को आश्रय देते हैं। वे पानी को अवशोषित करते हैं, बाढ़ को नियंत्रित करते हैं, पानी को शुद्ध करते हैं और जल स्तर को रिचार्ज करते हैं।  वे वैश्विक कार्बन का लगभग 1/3 भाग संग्रहीत करते हैं और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करते हैं। हालांकि, अगर इन्हे संरक्षित नहीं किया जाता है, तो वे कार्बन उत्सर्जन का स्रोत भी हो सकते हैं। आद्र्रभूमि सबसे अधिक उत्पादक प्रणालियाँ हैं और दूसरों को रोजगार प्रदान करने के अलावा लाखों लोगों को खाना देने का काम करती है।

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