North East India के तीन चुनावी राज्य- त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड का राजनीतिक गणित समझिये
चुनावी राज्यों की राजनीतिक स्थिति की बात करें तो त्रिपुरा में जहां भाजपा की सरकार है वहीं नगालैंड और मेघालय की गठबंधन सरकारों में भाजपा शामिल है। इस तरह से तीनों चुनावी राज्यों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का शासन है।
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है इसी के साथ ही मेघालय, त्रिपुरा और नगालैंड में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गयी है। तीन राज्यों में चुनावों के चलते पूर्वोत्तर पहले ही राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बना हुआ था और तमाम बड़े नेताओं के दौरे पूर्वोत्तर के राज्यों में हो रहे थे। चुनाव तिथियों की बात करें उससे पहले पूर्वोत्तर क्षेत्र की बात करते हैं। भारत के खूबसूरत पूर्वोत्तर को रोजाना सूर्य अपनी रोशनी से सबसे पहले जगमग करता है। भारत के मनमोहक पूर्वोत्तर को हम सेवन सिस्टर्स के नाम से भी जानते हैं। अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं और हस्तशिल्प के लिए पूरी दुनिया में मशहूर पूर्वोत्तर पिछले आठ वर्षों से विकास की जो बयार देख रहा है वह अभूतपूर्व है।
चुनावी राज्यों की राजनीतिक स्थिति की बात करें तो त्रिपुरा में जहां भाजपा की सरकार है वहीं नगालैंड और मेघालय की गठबंधन सरकारों में भाजपा शामिल है। इस तरह से तीनों चुनावी राज्यों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का शासन है। पूर्वोत्तर को वर्तमान केंद्र सरकार कितना महत्व देती है यह इस बात से भी साबित होता है कि आजादी के बाद पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में पूर्वोत्तर के नेताओं को सर्वाधिक स्थान मिले हैं। सर्बानंद सोनोवाल, किरेन रिजीजू जहां मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं वहीं रामेश्वर तेली, प्रतिमा भौमिक और डॉ. राजकुमार रंजन सिंह केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री समेत सभी मंत्री लगातार पूर्वोत्तर के दौरे करते रहते हैं और यहां चल रही तमाम विकास परियोजनाओं की समीक्षा करते रहते हैं।
जहां तक पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में चुनाव कार्यक्रम की बात है तो आपको बता दें कि त्रिपुरा के आगामी विधानसभा चुनाव के तहत 16 फरवरी को मतदान होगा जबकि मेघालय और नगालैंड में एक ही दिन 27 फरवरी को मत डाले जाएंगे। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन में पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों के चुनाव से जुड़ी महत्वपूर्ण तारीखों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि तीनों राज्यों में मतगणना दो मार्च को होगी। चुनाव तारीखों की घोषणा के साथ ही तीनों राज्यों में आदर्श चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई।
हम आपको यह भी बता दें कि नगालैंड विधानसभा का कार्यकाल 12 मार्च को समाप्त हो रहा है, वहीं मेघालय विधानसभा का 15 मार्च और त्रिपुरा की विधानसभा का कार्यकाल 22 मार्च को समाप्त हो रहा है। तीनों राज्यों की विधानसभाओं में 60-60 सीटें हैं। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में इस साल सबसे पहले विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। त्रिपुरा में जहां भाजपा की सरकार है, वहीं नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी सत्ता में है। मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की सरकार है। एनपीपी पूर्वोत्तर की एकमात्र पार्टी है जिसे राष्ट्रीय दल के तौर पर मान्यता हासिल है।
वर्तमान में मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की अगुवाई में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) की गठबंधन सरकार है और कोनराड संगमा इसका नेतृत्व कर रहे हैं। हालांकि, आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं की है। मेघालय में कुल मतदाताओं की संख्या 21 लाख के करीब है। मेघालय विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 31 जनवरी को जारी होगी और नामांकन की आखिरी तारीख सात फरवरी होगी जबकि नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 10 फरवरी होगी। मतदान 27 फरवरी को होगा तथा दो मार्च को मतों की गिनती की जाएगी।
मेघालय के पिछले चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस 21 सीट पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन वह बहुमत से दूर रह गई। कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी 19 सीट पर जीत के साथ दूसरे नंबर पर थी। प्रदेश की यूडीपी के छह सदस्य चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसी प्रकार राज्य की पीडीएफ को चार सीट पर जीत मिली थी और भाजपा तथा एचएसपीडीपी को दो-दो सीट पर सफलता मिली थी। चुनावी नतीजों के बाद संगमा ने भाजपा, यूडीपी, पीडीएफ, एचपीपीडीपी और एक निर्दलीय के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई और वह राज्य के मुख्यमंत्री बने। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में एनपीपी और भाजपा के बीच गठबंधन था। इस बार के चुनाव में एनपीपी और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
उधर, त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 21 जनवरी को जारी होगी और नामांकन की आखिरी तारीख 30 जनवरी होगी। नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख दो फरवरी होगी और मतदान 16 फरवरी को होगा तथा दो मार्च को मतों की गिनती की जाएगी। त्रिपुरा में मतदाताओं की कुल संख्या 28,13,478 है। वर्तमान में वहां भाजपा और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) की गठबंधन सरकार है। भाजपा और आईपीएफटी ने इस बार साथ मिलकर लड़ने की घोषणा की है जबकि कांग्रेस और माकपा ने चुनावी गठबंधन किया है। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस भी चुनाव में ताल ठोंकने को तैयार है।
हम आपको यह भी बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने त्रिपुरा में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 25 सालों से सत्ता पर काबिज माकपा को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। भाजपा ने राज्य की 60 में से 35 सीट पर जीत दर्ज की थी और आईपीएफटी ने आठ सीट पर जीत हासिल की थी जबकि माकपा 16 सीट पर सिमट गई थी। इस चुनाव के बाद भाजपा ने आईपीएफटी के साथ राज्य में सरकार बनाई और बिप्लब कुमार देब राज्य के मुख्यमंत्री बने। पिछले साल मई महीने में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने देब को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला किया और उनकी जगह माणिक साह को राज्य की कमान सौंपी।
-गौतम मोरारका
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