पारंपरिक नव वर्ष उत्सव भारतीय संस्कृति का प्रतीक : वेंकैया नायडू
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि देशभर में विभिन्न नामों और रीति रिवाजों से मनाया जाने वाला पारंपरिक नव वर्ष जैसे कि उगादी, गुडी पड़वा, चैत्र शुक्लदी, चेटीचंड, साजिबू चेइराओबा, नवरेह भारतीय संस्कृति का प्रतीक है जौ उसकी विविधता और उसमें अंतर्निहित एकता को दर्शाता है।
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि देशभर में विभिन्न नामों और रीति रिवाजों से मनाया जाने वाला पारंपरिक नव वर्ष जैसे कि उगादी, गुडी पड़वा, चैत्र शुक्लदी, चेटीचंड, साजिबू चेइराओबा, नवरेह भारतीय संस्कृति का प्रतीक है जौ उसकी विविधता और उसमें अंतर्निहित एकता को दर्शाता है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, यहां स्वर्ण भारत ट्रस्ट द्वारा आयोजित उगादी समारोह में नायडू ने युवाओं से भारतीय संस्कृति की रक्षा करने और प्रत्येक भारतीय त्योहार के पीछे की महत्ता को समझने का आह्वान किया।
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उन्होंने कामना की कि पारंपरिक नव वर्ष के देश के लोगों की जिंदगी में समृद्धि एवं खुशी लाए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने से समाज में सौहार्दता को बढ़ावा मिलता है। ‘वसुदैव कुटुम्बकम’ के भारत के सभ्यागत मूल्य को याद करते हुए उन्होंने देश की प्रगति के लिए हर किसी से सतत प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘एकजुट रहिए और आगे बढ़िए, आत्म निर्भर भारत बनाइए।’’ नायडू ने कहा कि भारत सभी क्षेत्रों में तेजी से वृद्धि कर रहा है और पूरी दुनिया देश से उम्मीद कर रही है। सार्वजनिक विमर्श में उच्च गुणवत्ता की बहस करने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि किसी को भी विश्व मंच पर देश के दर्जे को कमतर नहीं करना चाहिए।
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साथ ही उन्होंने सभी से प्रकृति का संरक्षण करने और सतत जीवनशैली को अपनाने का संकल्प लेने का अनुरोध किया। उन्होंने लोगों खासतौर से युवाओं को निष्क्रिय जीवनशैली त्यागने और स्वस्थ आदतें अपनाने की भी सलाह दी। उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक जीवन में भारतीय भाषाओं के इस्तेमाल की महत्ता पर जोर दिया और कहा, ‘‘हर किसी को अपने दैनिक जीवन में मातृका यथासंभव उपयोग करना चाहिए।’’ उन्होंने मातृको स्कूलों में कम से कम प्राथमिक स्तर तक पढ़ाने की भी इच्छा जतायी और कहा कि प्रशासन और अदालतों में भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल बढ़ना चाहिए।
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