कम हो गए 22 वार्ड, खर्च सीमा बढ़ी, ये ऐप बताएगा हर जानकारी, जानें इस बार के MCD चुनाव में क्या है खास
राज्य चुनाव आयोग ने 4 नवंबर को इसकी घोषणा की है। राज्य चुनाव आयुक्त विजय देव ने कहा कि दिल्ली में चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू हो जाएगी।
दिल्ली नगर निकाय चुनाव 4 दिसंबर को सुबह 8 बजे से शाम 5.30 बजे तक होंगे और परिणाम 7 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। राज्य चुनाव आयोग ने 4 नवंबर को इसकी घोषणा की है। राज्य चुनाव आयुक्त विजय देव ने कहा कि दिल्ली में चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू हो जाएगी। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव से पहले एक ऐप 'दिल्ली निगम चुनाव' लॉन्च किया गया है, जो उपयोगकर्ताओं को एमसीसी उल्लंघन के खिलाफ शिकायत करने की अनुमति देगा। लाउडस्पीकर पर सुबह पांच बजे से रात 11 बजे तक प्रतिबंध रहेगा। उम्मीदवार 7 नवंबर से एमसीडी चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करना शुरू कर सकते हैं। नामांकन 14 नवंबर को बंद हो जाएगा और 16 नवंबर को जांच की जाएगी। उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 19 नवंबर है।
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निगम चुनाव दिल्ली मोबाइल App करेगा आपकी मदद
दिल्ली नगर निगम चुनाव में आईटी का प्रयोग करने के लिए राज्य चुनाव आयोग ने विशेष प्रबंध किए हैं। इसके लिए आयोग ने निगम चुनाव दिल्ली नाम से मोबाइल एप जारी किया है। इस एप पर मतदाता सूची में नाम, मतदान केंद्र का पता और मैप, प्रत्याशी का विवरण और उसके एफीडेविट की जानकारी ले सकेंगे। एप के माध्यम से मैप का इस्तेमाल कर मतदाता अपने मतदान केंद्र पर भी पहुंच सकेंगे। इसके साथ ही आचार संहिता उल्लंघन से संबंधित शिकायतें भी इसी एप पर हो सकेगी। मतगणना का भी त्वरित अपडेट इसी एप पर किया जाएगा।
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दिल्ली नगर निगम का इतिहास
बता दें कि 1993 से पहले कई सालों तक दिल्ली इसी स्थिति में नगर निगम के माध्यम से ही चलती थी। दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 लाया गया जिससे नगर निगम का गठन हुआ। फिर सितंबर 1966 में दिल्ली प्रशासन अधिनियम, 1966 के तहत विधानसभा को दिल्ली महानगर परिषद द्वारा 56 निर्वाचित और पांच मनोनीत सदस्यों के साथ बदल दिया गया। दिल्ली के उपराज्यपाल इसके प्रमुख थे। परिषद के पास कोई विधायी शक्तियां नहीं थीं, केवल दिल्ली के शासन में एक सलाहकार की भूमिका थी। इसने 1990 तक कार्य किया। 1991 में 69वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम के माध्यम से विधानसभा एवं मंत्री-परिषद से संबंधित संवैधानिक प्रावधान निर्धारित किए। वर्ष 2011 में शीला दीक्षित ने इसके तीन टुकड़े कर दिए। कारण राजनीतिक रहे होंगे कि तीनों नगर निगम उनके अधीन हो जाएंगे और उनके तीन महापौर बन जाएंगे, क्योंकि उस समय दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर भाजपा का कब्जा था।
272 वार्ड से अब हो गए 250
एमसीडी के कुछ वार्डों का आकार बदल दिया गया है ताकि उनकी संख्या 272 से 250 तक लाई जा सके। आयोग ने 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 22 के भूगोल को बदल दिया, प्रत्येक में एक वार्ड कम कर दिया गया। शेष 48 को छुआ नहीं गया था। अधिक संख्या में वार्डों वाले विधानसभा क्षेत्रों को मूल रूप से आकार के मामले में समानता प्राप्त करने के लिए चुना गया। पहले उत्तरी और दक्षिण नगर निगम 104-104 पार्षद सीटों की संख्या थीं। वहीं, पूर्वी दिल्ली में 64 सीटें थीं, लेकिन परिसीमन के बाद सीटों की संख्या घट गई है। दिल्ली कैंट और दिल्ली विधानसभा एमसीडी से बाहर हैं, इसलिए इन दोनों सीटों पर नगर निगम के चुनाव नहीं होंगे।
खर्च सीमा बढ़ी
चुनाव आयोग ने खर्च की तय सीमा में भी इजाफा कर दिया है। अब उम्मीदवार पहले की अपेक्षा ज्यादा खर्च कर सकते हैं। चुनाव आयोग की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार पूरे चुनाव में 5.75 लाख रुपए तक खर्च किए जा सकते थे। लेकिन अब इसे बढ़ाकर 8 लाख रुपए तक कर दिया गया है।
कुल वार्ड- 250
अनूसूचित जाति के लिए कुल आरक्षित वार्ड- 42
अनुसूचित जाति (महिला) के लिए आरक्षित वार्ड- 21
अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित वार्ड- 21
महिलाओं के लिए आरक्षित वार्ड- 104
सामान्य- 104
कुल मतदाता- 1,46,73,847
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